क्या नीतीश भी PM मोदी के 'रंग' में रंग गए हैं... कितना प्रभावी होगा यह दांव?

4 hours ago

Last Updated:May 19, 2025, 15:02 IST

Bihar Chunav; नीतीश कुमार का सनातन धर्म की ओर झुकाव और बीजेपी के साथ गठबंधन बिहार चुनाव में एनडीए को फायदा पहुंचा सकता या नुकसान? क्या बिहार की जातिगत संरचना और विपक्ष की रणनीति इसे जोखिम भरा बनाती है?

क्या नीतीश भी PM मोदी के 'रंग' में रंग गए हैं... कितना प्रभावी होगा यह दांव?

क्या नीतीश कुमार बिहार चुनाव में बड़ा दांव खेल रहे हैं?

हाइलाइट्स

नीतीश कुमार का सनातन धर्म की ओर झुकाव चर्चा में है.बीजेपी के साथ गठबंधन से एनडीए को फायदा हो सकता है.बिहार की जातिगत संरचना में यह दांव जोखिम भरा हो सकता है.

पटना. क्या नीतीश कुमार बिहार चुनाव से पहले पीएम मोदी के ‘रंग’ में रंग गए हैं? क्या नीतीश कुमार सनातनी दांव अब खुलकर खेल रहे हैं? पीएम मोदी और सीएम नीतीश का सनातनी दांव क्या बिहार चुनाव में एनडीए को फायदा पहुंचाएगा? बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार हमेशा से अपने रणनीतिक कदमों के लिए जाने जाते हैं. हाल के वर्षों में, खासकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन के बाद, नीतीश कुमार का सनातन धर्म और हिंदुत्व के प्रति झुकाव चर्चा का विषय बना हुआ है. बीते छह महीने में नीतीश कुमार ने हिंदू धर्म से जुड़े लगभग दर्जनों त्योहार और धार्मिक आयोजनों में खुलकर भाग लिया है. जानकारों की राय में नीतीश कुमार की राजनीति से यह मेल नहीं खाती है. लेकिन हाल के दिनों में यह बदलाव नीतीश कुमार को पुराने नीतीश कुमार से अलग कर रहा है.

नीतीश कुमार ने हाल के वर्षों में कई ऐसे कदम उठाए हैं, जो सनातन धर्म के प्रति उनकी नरम छवि को दर्शाते हैं. उदाहरण के लिए, बिहार में मंदिरों के विकास और धार्मिक आयोजनों को बढ़ावा देने की उनकी नीतियां, साथ ही बीजेपी के साथ गठबंधन में उनकी सक्रियता, इस बात का संकेत देती हैं कि वह हिंदुत्व के मुद्दों को अपनाने में संकोच नहीं कर रहे. 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान पटना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में नीतीश का बीजेपी का कमल चिह्न थामना भी सांकेतिक रूप से महत्वपूर्ण था. यह कदम उनकी पुरानी समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष छवि से हटकर सनातन और हिंदुत्व के प्रति झुकाव को दर्शाता है.

क्या नीतीश कुमार बदल गए हैं?
भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधान पार्षद प्रो रणबीर नंदन कहते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सनातन धर्म एवं भारतीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए बहुत सारे कार्य किए गए हैं. पीएम मोदी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से लेकर काशी विश्वनाथ धाम, महाकाल कॉरिडोर, केदारनाथ धाम पुनरुद्धार, कामाख्या मंदिर, सोमनाथ और करतारपुर कॉरिडोर जैसे ऐतिहासिक तीर्थस्थलों के नवीनीकरण एवं सौंदर्याकरण के माध्यम से सनातन परंपरा को विश्व पटल पर स्थापित किया है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीतामढ़ी के पुनौराधाम, जो माता सीता की जन्मस्थली मानी जाती है, का समग्र विकास कराना एक ऐतिहासिक कदम है. मुख्यमंत्री की देखरेख में उमानाथ मंदिर, ऋषि कुंड, विष्णुधाम और उलार सूर्य मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. नीतीश कुमार द्वारा प्रगति यात्रा के दौरान घोषित 100 करोड़ की ऐतिहासिक मंदिर विकास योजना से राज्य में न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है.

सनातनी दांव से नीतीश फिर से सीएम बनेंगे?
हालांकि, नीतीश का यह दांव बिहार की जटिल जातिगत और सामाजिक संरचना में कितना प्रभावी होगा, यह एक बड़ा सवाल है. बिहार में कुर्मी और कोइरी जैसे ओबीसी समुदायों का समर्थन नीतीश के लिए महत्वपूर्ण रहा है, लेकिन सनातन धर्म का खुला समर्थन उनके मुस्लिम और यादव वोट बैंक को नाराज कर सकता है. तेजस्वी यादव और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पहले से ही नीतीश की इस छवि को ‘जंगलराज’ के खिलाफ विकास के उनके पुराने दावों के उलट भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी और आरसीपी सिंह की ‘आप सबकी आवाज’ के विलय ने भी नीतीश के वोट बैंक पर दबाव बढ़ाया है, जो उनके सनातन रुख को एक जोखिम भरा दांव बनाता है.

एनडीए को फायदा होगा या नुकसान?
दूसरी ओर, बीजेपी के साथ गठबंधन और सनातन धर्म के प्रति उनका रुख एनडीए को ऊपरी जातियों और हिंदुत्व समर्थक मतदाताओं का समर्थन दिला सकता है. बीजेपी नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने दावा किया है कि नीतीश के नेतृत्व में एनडीए 200 से अधिक सीटें जीतेगा. नीतीश की प्रगति यात्रा और विकास कार्यों के साथ-साथ सनातन धर्म के प्रति उनकी छवि बीजेपी के कोर वोटरों को आकर्षित कर सकती है. लेकिन, नीतीश की बार-बार गठबंधन बदलने की छवि और उनकी घटती लोकप्रियता (सर्वे में केवल 17% समर्थन) इस दांव को कमजोर कर सकती है.

नीतीश का सनातन रुख एनडीए को कुछ हद तक फायदा पहुंचा सकता है, खासकर बीजेपी के हिंदुत्व समर्थक वोटरों को एकजुट करने में. लेकिन, बिहार की जटिल सामाजिक संरचना और विपक्ष की आक्रामक रणनीति इसे जोखिम भरा बनाती है. नीतीश का यह दांव कितना मददगार होगा, यह उनके वोट बैंक को बनाए रखने और विपक्ष के हमलों को बेअसर करने की उनकी क्षमता पर निर्भर करेगा.

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Patna,Patna,Bihar

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