Last Updated:May 19, 2025, 14:21 IST
BrahMos Missile News: भारत-रूस द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान में तबाही मचाने के कारण चर्चा में है. इसकी गति आवाज से तीन गुना और रेंज 290 किमी है. लेकिन, इसकी कुछ कमियां भी सामने आई ह...और पढ़ें

ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान में खौफ पैदा कर दिया है.
हाइलाइट्स
ब्रह्मोस मिसाइल की गति आवाज से तीन गुना है.ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2900 किलो है.वैज्ञानिक ब्रह्मोस की स्पीड और वजन कम करने में जुटे हैं.ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में तबाही मचाने के कारण इस वक्त भारत की सबसे घातक मिसाइल ब्रह्मोस की खूब चर्चा हो रही है. ब्रह्मोस वाकई में एक जबरदस्त मिसाइल है. इसे रूस और भारत ने मिलकर डेवलप किया है. यह एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है. किसी जंग जैसे हालात में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस शानदार मिसाइल का यह पहला परीक्षण भी था. इस परीक्षण में यह मिसाइल 100 फीसदी खरा उतरी लेकिन, इस दौरान इसकी कुछ कमियां भी सामने आई है. ऐसे में वैज्ञानिक इन्हें दूर करने में जुटे हैं. अगर ये कमियां दूर हो जाएं तो यह मिसाइल और घातक बन जाएगी.
दरअसल, ब्रह्मोस इस वक्त दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइलों में शुमार है. इसकी गति आवाज की गति से तीन गुना है. इसकी गति ही इसकी सबसे बड़ी ताकत है. इस गति से चलने वाली किसी ऑब्जेक्ट को पकड़ना मौजूदा राडार सिस्टम के लिए मुश्किल है. अभी इसका रेंज 290 किमी है और इसका निशाना इतना सटीक है कि यह लक्ष्य से केवल एक मीटर के घेरे में वार करती है.
सुपरसोनिक गति
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह मिसाइल शुरू से अंत तक सुपरसोनिक गति से चलती है. यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है. बीबीसी से बातचीत में डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक रवि गुप्ता कहते हैं कि इस मिसाइल का इंजन अंत तक चालू रहता है और दागे जाने के बाद भी हवा में इसके लक्ष्य को बदला जा सकता है. इसमें सीकर सेंसर लगा है जो बहुत ही घातक है. इस सेंसर की खासियत यह है कि यह एक समान कई लक्ष्यों में से असली लक्ष्य को पहचानकर उस पर वार करती है. यह मिसाइल धरती से 10 मीटर की ऊंचाई से लेकर 15 किमी की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है. भारत की तीनों सेनाएं इस मिसाइल का इस्तेमाल करती हैं. इस पर एपीजे अब्दुल कलाम के डीआरडीओ के प्रमुख रहते वक्त काम शुरू किया गया था.
ब्रह्मोस का नौसैनिक वर्जन.
सबसे बड़ी कमी
ब्रह्मोस मिसाइल की दुनिया दीवानी है. इसकी खौफ पाकिस्तान की सेना के सिर पर मंडरा रहा है. लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी इसका काफी अधिक भारी होना है. मौजूदा एक ब्रह्मोस मिसाइल का वजन करीब 2900 किलो यानी 29 क्विंटल है. इस कारण भारत के सबसे प्रमुख सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में एक बार में केवल एक ब्रह्मोस मिसाइल को ही लोड किया जाता है. ऐसे में जब मिसाइल दागना होता है तो एक साथ कई फाइटर जेट्स में इस लोड किया जाता है.
इसकी दूसरी कमी इसकी स्पीड है. अभी इसकी मौजूदा स्पीड करीब तीन मैक की है. यानी इसकी स्पीड करीब 3700 किमी प्रति घंटे की है. वहीं दुनिया खासकर चीन मैक 20 तक स्पीड वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने का दावा कर चुका है. ऐसे में बदलते वक्त के साथ इसकी स्पीड अब बढ़ाने की जरूरत है.
वैज्ञानिकों की कोशिश
बता दें कि भारतीय वैज्ञानिक इस मिसाइल की इन दोनों कमियों को दूर करने में लगे हैं. ब्रह्मोस का नया वैरिएंट ब्रह्मोस एनजी डेवलप कर लिया गया है. इसकी रेंज 300 किमी और वजन 1250 किलो है. अगर इस मिसाइल के वजन को और कम कर दिया जाता है तो सुखोई जैसे फाइटर जेट में एक साथ पांच मिसाइलें लोड हो पाएंगी. इस तरह भारतीय एयरफोर्स के लिए इससे वार करना और आसान हो जाएगा.
स्क्रैमजेट इंजन का परीक्षण
वैज्ञानिक इस मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन लगाने में जुटे हैं. इस इंजन के लग जाने के बाद यह मिसाइल और घातक हो जाएगी. इसके साथ ही इसकी स्पीड मैक-8 यानी 9,878 किमी प्रति घंटे की हो जाएगी. इसका असर यह होगा कि मौजूदा राडार सिस्टम इस मिसाइल को नहीं पकड़ पाएंगे और जब तक दुश्मन को इस मिसाइल को छोड़े जाने की भनक लगेगी तब तक काफी देर हो चुकी होगी. यह मिसाइल लक्ष्य को भेज चुका होगी.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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