भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालकर पाकिस्तान को बूंद-बूंद के लिए मोहताज कर दिया है. अब वाटर स्ट्राइक की इसी रणनीति के तहत चिनाब दरिया के पानी को जम्मू की रणबीर नहर में डायवर्ट करने का प्लान बनाया जा रहा है. गौर करने वाली बात है कि जम्मू संभाग के डैम पहले ही बंद किए जा चुके हैं और इस रणबीर नहर की लंबाई को दोगुना करने की योजना पर काम हो रहा है. बताया जा रहा है कि एक बार इसका काम पूरा होने पर अब पाकिस्तान को ओवरफ्लो के जरिये भी एक बूंद पानी नहीं मिलने वाला है.
जम्मू-कश्मीर का जब भी जिक्र होता है, तो उसकी खूबसूरत वादियां, चिनाब और झेलम की कलकल करती धाराएं या फिर आतंकी हलचल ही केंद्र में रहती हैं. लेकिन इस धरती की एक ऐतिहासिक विरासत है, जो आज भी वहां की रग-रग में बसी है – वह विरासत है महाराजा रणबीर सिंह की…
कौन थे राजा रणबीर सिंह?
एक समय था जब जम्मू-कश्मीर केवल एक भू-भाग नहीं था, बल्कि एक वैभवशाली रियासत थी, जिसकी बागडोर डोगरा वंश के राजाओं के हाथों में थी. महाराजा रणबीर सिंह, डोगरा साम्राज्य के दूसरे शासक थे और उन्होंने 1857 से 1885 तक राज्य पर शासन किया.
रणबीर सिंह जम्मू और कश्मीर राज्य के संस्थापक गुलाब सिंह के तीसरे बेटे थे. गुलाब सिंह के खराब स्वास्थ्य के कारण उनके त्याग के बाद 1856 में रणबीर सिंह सिंहासन पर बैठे. वे न केवल एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि संस्कृति, शिक्षा और कानून के क्षेत्र में उनके किए काम आज भी याद किए जाते हैं.
रणबीर नहर
आज जब जम्मू-कश्मीर में रणबीर नहर की लंबाई को दोगुना करने की योजना पर काम हो रहा है, तो यह सिर्फ एक सिंचाई परियोजना नहीं, बल्कि महाराजा की दूरदृष्टि को दोबारा जिंदा करने का प्रयास है. रणबीर नहर महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बनवाई गई थी, जिसका मकसद था – किसानों को सिंचाई के लिए स्थायी जलस्रोत उपलब्ध कराना.
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तब चिनाब नदी से पानी खींचकर यह नहर जम्मू के खेतों तक पहुंचाई गई. यह सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की मिसाल भी थी, जिससे हजारों किसानों को लाभ मिला.
रणबीर दंड संहिता
अनुच्छेद 370 हटने से पहले जम्मू-कश्मीर की अपनी अलग रणबीर दंड संहिता (Ranbir Penal Code – RPC) थी. यह कानून भारतीय दंड संहिता (IPC) पर आधारित था, लेकिन इसमें स्थानीय जरूरतों के अनुसार बदलाव किए गए थे. RPC को महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में लागू किया गया और यह 2019 तक जम्मू-कश्मीर में लागू रहा, जब अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद भारतीय दंड संहिता को वहां पूरी तरह लागू किया गया.
रणबीरपुरा से रणबीर सिंहपुरी तक जगह-जगह छाप
महाराजा रणबीर सिंह के नाम पर जम्मू में रणबीर सिंह पुरी, रणबीर बाजार जैसी कई जगहों के नाम आज भी उनकी विरासत को जीवित रखते हैं. रणबीर मेडिकल कॉलेज, रणबीर पुस्तकालय, रणबीर प्रेस, ऐसे कई संस्थान आज भी मौजूद हैं जो उनके कार्यकाल में प्रारंभ हुए या बाद में उनके नाम पर स्थापित हुए.
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रणबीर सिंह न केवल एक धर्मनिष्ठ हिन्दू शासक थे, बल्कि उन्होंने सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई. संस्कृत के विद्वान, फारसी भाषा के ज्ञाता और न्यायप्रिय शासक के रूप में उनकी पहचान थी. उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण कराया, संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा दिया और कश्मीर के शैव दर्शन को संरक्षित करने का प्रयास किया.
उनके शासनकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, कला, साहित्य और प्रशासनिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया गया. उन्होंने स्थानीय प्रशासन को मजबूत किया, राजस्व व्यवस्था में सुधार किए और लोगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं शुरू कीं.