Last Updated:May 06, 2025, 19:23 IST
AIR RAID WARNING SIREN: एरियल अटैक से बचने के लिए एयर डिफेंस के हर तरह रेंज के रडार चौबीसों घंटे एक्टिव रहते है. किसी भी तरह का कोई डार्क स्पॉट नहीं छोड़ा जाता. इसी वजह से सबी एरियल ट्रैफिक और अटैक को मॉनिटर कि...और पढ़ें

एयर डिफेंस की बड़ी ड्रिल
हाइलाइट्स
7 मई को 244 शहरों में एयर रेड वॉर्निंग सायरन बजाया जाएगा.सिविल डिफेंस की तैयारियों को परखा जाएगा.दुश्मन के एयरस्पेस में घुसने पर सायरन बजता है.AIR RAID WARNING SIREN: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अब जंग की तैयारियों की ओर बढ़ चुका है. पहलगाम हमले के बाद से पाकिस्तान भारतीय हमलों से बचने के उपाय कर रहा है. पाकिस्तान ने सैन्य अभ्यास और धमकियों का सहारा लिया है. भारत ने भी एक बड़ी मॉक ड्रिल की तैयारी कर ली है. 7 मई को देश के 244 शहरों में एयर रेड वॉर्निंग सायरन बजाया जाएगा और सिविल डिफेंस की तैयारियों को परखा जाएगा. आइए जानते हैं, किस हालात में यह सायरन बजाए जाते हैं.
दुश्मन के एयर स्पेस में घुसने के बाद शुरू होती है कार्रवाई
किसी भी देश के एयरस्पेस में दुश्मन का मिसाइल, फाइटर एयरक्राफ्ट, ड्रोन या लॉटरिंग एम्युनेशन घुसता है, तो एयर डिफेंस रडार एक्टिव हो जाता है. एयर डिफेंस की जिम्मेदारी वायुसेना के पास होती है. जंग के दौरान थलसेना का एयर डिफेंस भी एक्टिव हो जाता है. दुनिया के तमाम देशों के पास एयर डिफेंस की कई लेयर होती हैं. इसमें फाइटर एयरक्राफ्ट के अलावा लांग रेंज, मीडियम रेंज, शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम होते हैं. अगर अटैक इससे भी बच गया तो वेरी शॉर्ट रेंज शोल्डर फायर एयर डिफेंस सिस्टम भी मौजूद होते हैं. अगर कोई दुश्मन का एरियल अटैक एयर स्पेस को ब्रीच करता है, तो सबसे पहले रडार उसे डिटेक्ट करता है और फिर अलग-अलग एयर डिफेंस सिस्टम और एयरक्राफ्ट को लॉन्च कर उसे न्यूट्रलाइज किया जाता है. सभी रडार इंटीग्रेटेड एयर कमॉंड एंड कंट्रोल से जुड़े होते हैं. अगर फिर भी कोई अटैक इन सब सिक्योरिटी लेयर से बच निकलता है तो अटैक की दिशा और रफ्तार से पता लगाया जाता है कि वह कहां गिरने की संभावना है. उसी हिसाब से उस इलाके के सिविल डिफेंस को जानकारी दी जाती है और फिर सिविल डिफेंस की तरफ से एयर रेड सायरन बजाया जाता है.
कैसे मॉनिटर होते हैं एयर स्पेस?
एयर स्पेस में सिर्फ सिविल एयरलाइन और मिलिट्री एयरक्राफ्ट को उड़ने की इजाजत होती है. एयरलाइन हमेशा रूट के हिसाब से ही उड़ान भरते हैं. हर फ्लाइट का अपने डेस्टिनेशन के हिसाब से रूट बना होता है. उस रूट पर ही सभी एयरक्राफ्ट फ्लाई करते हैं. एक तरह से समझें तो रेल की पटरी की तरह होता है आसमान में रूट. जैसे रेल गाड़ी अपनी पटरी पर ही दौड़ती है, उसी तरह से एयरक्राफ्ट भी एक लाइन में ही उड़ान भरते हैं. हर उड़ान से पहले एयरक्राफ्ट को अपना फ्लाइट प्लान देना होता है और एयर डिफेंस क्लीयरेंस लेनी होती है. इसे IFF (Identification Friend or Foe) सिस्टम कहा जाता है. यह ग्राउंड बेस्ड रडार और एयरक्राफ्ट के ट्रांसपॉन्डर के जरिए फ्रेंडली एयरक्राफ्ट की पहचान करता है. हर एयरक्राफ्ट का एक कोड होता है, जो ट्रांसमिट किया जाता है. अगर किसी एयरक्राफ्ट ने अपने ट्रांसपॉन्डर को बंद कर दिया, तो उसकी डिटेल दिखनी बंद हो जाती है. उस वक्त रडार से उसे ट्रैक किया जाता है और सिग्नल भेजे जाते हैं. अगर एयरक्राफ्ट फिर भी रेस्पॉन्ड नहीं करता, तो एयरफोर्स के फाइटर अलग-अलग बेस से स्क्रैम्बल होते हैं और एयरक्राफ्ट को या तो एस्कॉर्ट कर एयरस्पेस से बाहर किया जाता है या फिर फोर्स लैंडिंग कराई जाती है. जंग की सूरत में हमेशा एयरक्राफ्ट का IFF सिस्टम बंद किया जाता है. ऐसे में वह एक अनआईडेंटिफाईड ऑब्जेक्ट के तौर पर दिखाई देता है. मिसाइल और रॉकेट में किसी तरह का कोई मॉनेटरिंग सिस्टम नहीं होता. उसकी स्पीड और ट्रेजेक्टरी से रडार में उसका पता लगाया जाता है.
इजरायल, रूस और यूक्रेन में रोज बजते है सायरन
इजरायल में आज भी रोज मिसाइल अटैक के सायरन बजते है. यूक्रेन और रूस में इसी तरह के वॉरनिंग सायरन बजाए जाते है. हजारों की संख्या में रॉकेट हमास, हिजबुल्लाह ने इजरायल पर दागे. ईरान और हूती की तरफ से भी बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई. हमास ने तो आयरन डोम के रॉकेट के एंगेज करने की क्षमता से ज्यादा रॉकेट दागे थे. हर बार इजरायल के एयर डिफेंस आयरन डोम के रडार ने ने मार गिराया. हर रॉकेट को आयरन डोम के ताकतवर रडार ने सबसे पहले पिक किया. इजरायली आयरन डोम पूरी तरह से ऑटोमेटिक है. एरियल अटैक के दौरान तुरंत उसे पिक कर लेता है. आयरन डोम को इजात ही किया गया था हाई स्पीड रॉकेट और मिसाइल को रोकने के लिए. इसमें इस तरह का सिस्टम है जो हमले में रॉकेट की स्पीड को ट्रैक करता है. जो भी रॉकेट भीड़ वाले इलाके में गिरने वाला होता है, उस इलाके में एयर रेड वॉर्निंग सायरन बजने लगते है.