उमस के बाद कैसे बदलता है मौसम, इसका साइबेरिया से क्या लेना-देना है

2 days ago

Last Updated:September 23, 2025, 15:36 IST

सितंबर का आखिरी हफ्ता चल रहा है. तेज धूप और पसीना अब भी परेशान कर रहा है. लोग सवाल पूछने लगे हैं कि आखिर उमस कब जाएगी और ठंड आ जाएगी.

उमस के बाद कैसे बदलता है मौसम, इसका साइबेरिया से क्या लेना-देना है

सितंबर में आखिरी हफ्ता चल रहा है. धूप तेज है. बाहर निकलते ही शरीर से पसीना निकलने लगता है. घर में रहो तो उमस और गर्मी से निजात नहीं है. पंखे की बजाए अब भी एसी ही सुकून दे रहा है. बरसात करीब करीब विदा हो चुकी है. सवाल उठता है कि ये उमस का चिपचिपा मौसम कब तक रहेगा. कब इससे निजात मिल पाएगी और ठंड दस्तक देगी.

भारत में गर्मी का मौसम आमतौर पर अप्रैल में आता है, हालांकि अब मार्च से ही तपिश महसूस होने लगती है. फिर मई-जून तक तेज गर्मी होती है. जून के आखिर से मानसून के आने के साथ ही गरम उमस की चिपचिपाहट भी आ जाती है. पूरे बरसात के मौसम में बारिश के कारण उमस से कुछ सुकून तो मिलता है लेकिन धूप आते ही फिर उमस का खेल शुरू हो जाता है. सितंबर का महीना तो खत्म होने वाला है लेकिन उमस अभी मौजूद है. आखिर कब खत्म होगा ये मौसम.

उमस का मौसम आमतौर पर तब खत्म होता है जब वातावरण में नमी या आर्द्रता में गिरावट आती है, जो अक्सर तेज बारिश, ठंडी हवाओं, या मौसमी बदलाव के कारण होता है. वातावरण में नमी तब घटती है जब तापमान गिरता है या जब तेज बारिश के बाद हवा अपेक्षाकृत सूखी हो जाती है. मानसून के जाने के बाद या ठंडी हवा के आने से भी नमी में कमी आती है, जिससे उमस महसूस नहीं होती.

क्यों होती है उमस और कैसे जाती है

आइए इसको विस्तार से समझते हैं कि उमस क्यों होती है और कौन सी बातें इसको टा-टा बाय-बाय करती हैं. मौसम का चक्र पृथ्वी की गति, सूर्य की स्थिति और वायुमंडलीय दबाव के आधार पर बदलता रहता है. भारत जैसे मौसम के कई रूप देखने को मिलते हैं.

उमस का मौसम मानसून के साथ ही आता है, जब हवा में नमी की मात्रा ज्यादा हो जाती है. ये उमस लोगों को असहज महसूस कराती है, क्योंकि पसीना आसानी से नहीं सूखता और जरा सी धूप में ये पसीना गर्म होकर और ज्यादा गर्मी का अहसास देने लगता है. हालांकि जैसे-जैसे मौसम बदलता है, उमस धीरे-धीरे कम होती है और ठंड की शुरुआत होती है.

उमस हवा में जलवाष्प की मौजूदगी के कारण होती है. दरअसल जब भारत में जून के मध्य में मानसून शुरू होता है, उसके साथ ही उमस भी शुरू हो जाता है. गर्मी बेशक कम हो जाती है लेकिन इस दौरान तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. धूप और हवा में बनी हुई नमी उमस को बढ़ा देती है. खासकर उत्तर भारत, मध्य भारत और तटीय क्षेत्रों में.

कहां से आती हैं ठंड लाने वाली हवाएं 

अब सवाल है कि उमस के बाद मौसम कैसे बदलता है? यह बदलाव धीरे धीरे होता है. सितंबर में दिन और रात बराबर हो जाते हैं. सूर्य दक्षिणी गोलार्ध की ओर झुकता है, जिससे उत्तरी गोलार्ध में तापमान कम होने लगता है. भारत में मानसून के पीछे हटने के साथ उत्तर-पूर्वी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं. ये हवाएं साइबेरिया और मध्य एशिया से ठंडी और शुष्क हवाएं लाती हैं, जो उमस को कम करती हैं.

भारत में अक्टूबर के चौथे हफ्ते तक रातें ठंडी होने लगती हैं और दिन का तापमान भी बेहतर हो जाता है. उमस करीब करीब खत्म हो जाती है

वायुमंडलीय दबाव भी इसमें भूमिका निभाता है. मानसून के दौरान भारत के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र होता है, जो नमी वाली हवाओं को आकर्षित करता है. लेकिन अक्टूबर में उच्च दबाव का क्षेत्र विकसित होता है, खासकर हिमालय के उत्तर में. यह उच्च दबाव ठंडी हवाओं को दक्षिण की ओर धकेलता है, जिससे उमस वाली नम हवा उत्तर की ओर खिसकने लगती है. इसके चलते आर्द्रता कम होती है. तापमान गिरना शुरू होता है.

अक्टूबर के आखिर तक रातें ठंडी होने लगती हैं

उत्तर भारत में अक्टूबर पहले – दूसरे हफ्ते तक उमस खत्म सी होने लगती है. अक्टूबर के तीसरे हफ्ते से मौसम हल्का सुहाना कुछ ठंडा होने लगता है. इस महीने के अंत तक रातें ठंडी होने लगती हैं, जबकि दिन कुछ गर्म ही रहते हैं. यही स्थिति उमस से ठंड की ओर ले जाती है.

वैसे तो कभी कभी उमस पूरी तरह विदा होने में नवंबर भी ले लेता है. हालांकि ये स्थिति साउथ इंडिया में ज्यादा रहती है.खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में, जहां मानसून नवंबर और दिसंबर तक सक्रिय रहता है. हालांकि उत्तर और मध्य भारत में उमस आमतौर पर अक्टूबर से खत्म हो जाती है. शुष्क हवाएं हावी हो जाती हैं.

जाड़ा या सर्दी कब आ जाती है?

भारत में सही मायनों में ठंड या सर्दी दिसंबर से शुरू होती है. ये फरवरी या मार्च तक चलती है. दिसंबर में विंटर सोलास्टिक के आसपास सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में सबसे दूर होता है, जिससे उत्तरी भारत में तापमान 5-15 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. हिमालय से आने वाली ठंडी हवाएं ‘शीत लहर’ बनकर हाड़ कंपाती ठंड लाती हैं.

उत्तर भारत में उमस नवंबर तक विदा हो जाती है. दिसंबर से ठंड शुरू हो जाती है, जहां न्यूनतम तापमान 5 डिग्री से नीचे जा सकता है. मध्य भारत में ये थोड़ा देर से होता है. लेकिन दिसंबर तक ठंड महसूस होने लगती है. दक्षिण भारत में उमस दिसंबर तक बनी रह सकती है क्योंकि उत्तर-पूर्वी मानसून यहां लौटती हुई बारिश लाता है, लेकिन जनवरी से ठंड का अहसास होता है, हालांकि यहां तापमान बहुत नीचे नहीं जाता. पूर्वोत्तर राज्यों में उमस जल्दी विदा होती है. ठंड नवंबर से ही शुरू हो जाती है.

वैज्ञानिक रूप से देखें तो ठंड की वापसी में जेट स्ट्रीम की भूमिका महत्वपूर्ण है. सर्दियों में पोलर जेट स्ट्रीम दक्षिण की ओर खिसकती है, जो ठंडी हवाओं को भारत तक लाती है. इसके अलावा, ला नीना या एल नीно जैसे वैश्विक मौसम पैटर्न भी प्रभावित करते हैं. ला नीना के दौरान ठंड अधिक तेज हो सकती है. उमस से ठंड में बदलाव का एक और कारण भूमि और समुद्र का तापमान अंतर है.

Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

September 23, 2025, 15:36 IST

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