सफलता पाने के 5 रहस्य

13 hours ago

सफलता एक मनोभाव है, कोई स्वयं घटने वाली घटना नहीं. व्यापार और आध्यात्मिकता एक दूसरे के पूरक हैं, जैसे कि अंदर जाती हुई साँस और बाहर जाती हुई साँस. अंदर जाती हुई साँस ऊर्जा देती है, ये अनुराग है. पर आप उसे बहुत देर तक रोक कर नहीं रख सकते, आपको साँस बाहर छोड़नी होती है और साँस बाहर छोड़ना वैराग्य है. हर व्यवसाय और संगठन में कठिन परिस्थितियाँ आती हैं, और आपको उनसे निपटने के लिए कौशल की आवश्यकता होती है. यह सब हमारे भीतर के एक स्तर से आता है, जो आध्यात्मिक है.

कार्यस्थल में अनुकूल वातावरण होना चाहिए

शांति और समृद्धि आपस में जुड़ी हुई हैं. आपको एक टीम के रूप में काम करने की आवश्यकता है. विकास के लिए आवश्यक है – धैर्य, दृढ़ता, उद्देश्य में स्पष्टता, और गलतियों को समायोजित करते हुए सभी टीम के सदस्यों के प्रति सम्मान की भावना रखना. विश्वास, सहयोग और अपनेपन का माहौल बनाने की आवश्यकता है. कोई भी संस्था यदि केवल उत्पादकता और परिणामों पर केंद्रित है, तो वह अधिक समय तक टिक नहीं सकती.

आम तौर पर, सभी कॉरपोरेट व्यवसायों में लोगों को उत्साहित करने करने के लिए उन्हें कुछ वेतन बढ़ाकर, बोनस देकर या कुछ और बुनियादी सुविधाएँ देकर प्रोत्साहित किया जाता है. इससे लोग थोड़े समय के लिए बेहतर काम करते हैं. लेकिन यह अधिक देर तक टिकता नहीं है,. लेकिन प्रेरणा ऐसी चीज़ है जो लंबे समय तक टिकती है . आध्यात्मिकता, ध्यान, योग और समय-समय पर मौन आचरण से व्यक्ति अंदर से प्रफुल्लित और प्रेरित रहने लगता है.

कार्य में कुशलता कैसे लाएँ ?

भगवद् गीता का सार है कि कर्म के फल की इच्छा किए बिना कर्म करना. अगर आप सबसे खराब परिस्थिति या युद्ध जैसी स्थिति में अपने मन को नियंत्रित कर सकते हैं, तो आप किसी भी स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं. कर्म में इस कुशलता को योग कहते हैं. यह योग का ज्ञान ही है जो जीवन में अहंकार से आत्मविश्वास की ओर, आश्रित होने के बोझ से परस्पर निर्भरता की ओर, सीमित अधिकार से संपूर्ण सृष्टि के साथ एकता की ओर और संकुचित सोच से एक विशाल दृष्टिकोण की ओर ले जाता है.


कार्य करते समय अगर ध्यान केवल अंतिम परिणाम पर है, तो आप सुचारु रूप से कार्य नहीं कर सकते. बस 100% ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ स्वयं को अपने कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित कर दें.


साहसी बनें

अनुराग रखें, सपने देखें, लेकिन ज्वरित होकर नहीं. उत्तेजना इच्छाओं और लालसाओं के साथ आपका मन स्पष्टता खो देता है, और आपको सही विचार नहीं आते, जिससे आपके कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है. आपको जो चाहिए वह आपके पास आता ही है. जब आप भरमार होने की लालसा नहीं करते, तो वह आती ही है. संस्कृत में प्रसिद्ध उक्ति है, “लक्ष्मी उसी के पास आती है, जिसके पास सिंह जैसा साहस होता है और जो अपना पूरा प्रयास करता है.” सिंह के समान निडरता और महिमा का भाव रखें, साहस के साथ अपना 100% प्रयास करें, तब लक्ष्मी आपके पास आती है.

सफलता के लिए भाग्य की आवश्यकता है

अगर समृद्धि के लिए केवल अपने प्रयास की आवश्यकता होती, तो इतने सारे लोग प्रयास करने पर भी समृद्ध क्यों नहीं बन पाते हैं? यह वह क्षेत्र है जिसके बारे में हम नहीं जानते, यही आध्यात्मिकता है. संपूर्ण भौतिक जगत एक सूक्ष्म जगत द्वारा संचालित होता है और जो दिखाई देने वाली दुनिया से कहीं अधिक सूक्ष्म है.

आध्यात्मिकता बुद्धिमत्ता और अंतर्दृष्टि को बढ़ाती है. अंतर्दृष्टि आपके पास तब आती है जब आप अपने अनुराग को वैराग्य के साथ, लाभ को सेवा के साथ, वस्तुओं को पाने के लिए जुझारूपन को समाज को वापस देने की करुणा के साथ संतुलित करते हैं.

ध्यान मात्र साधना नहीं,जीवन शैली है

सही समय पर सही विचार का आना अन्तर्दृष्टि है – इसे ध्यान और प्राणायाम से पाया जा सकता है. यह व्यवसाय में सफलता के लिए अत्याधिक महत्त्वपूर्ण है. आप जितने अधिक उत्तरदायी और महत्वाकांक्षी होंगे, आपको ध्यान करने की उतनी ही अधिक आवश्यकता है. प्राचीन काल में ध्यान का उपयोग आत्मज्ञान, दुखों तथा समस्याओं पर विजय पाने के लिए किया जाता था. आज समाज में फैला हुआ तनाव भी ध्यान की माँग करता हैं. ध्यान न केवल आपको तनाव और दबाव से मुक्त करता है, बल्कि यह आपकी क्षमताओं को भी बढ़ाता है, आपके मन को मजबूत करता है, शरीर से विषाक्त तत्त्वों को बाहर निकालता है और आपको हर तरह से बेहतर बनाता है. हम शरीर और आत्मा दोनों से मिलकर बने हैं. शरीर की कुछ भौतिक आवश्यकताएँ होती हैं और हमारी आत्मा आध्यात्मिकता से पोषित होती है.


तनाव क्या है ? बहुत अधिक काम, समय बहुत कम और ऊर्जा न होना. आप अपने काम के बोझ को कम नहीं कर सकते और न ही समय नहीं बढ़ा सकते हैं, लेकिन आप अपनी ऊर्जा का स्तर बढ़ा सकते हैं. उच्च ऊर्जा स्तर के साथ आप काम आसानी से कर सकते हैं.आसन, ध्यान और प्राणायाम इसे बढ़ाने में मदद करते हैं.


सफलता की पहचान मुस्कुराहट और आत्मविश्वास है. जीवन में चाहे जो भी हो, अगर आप इन दोनों को बनाए रख सकते हैं, तो यह मान लीजिए कि आपने सफलता पा ली है.

(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)

ब्लॉगर के बारे में

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

गुरुदेव श्री श्री रविशंकर

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर एक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु हैं। उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की स्थापना की है, जो 180 देशों में सेवारत है। यह संस्था अपनी अनूठी श्वास तकनीकों और माइंड मैनेजमेंट के साधनों के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाने के लिए जानी जाती है।

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