विदेशी भाषा सीखो, मगर… RSS प्रमुख का संस्कार पर ज्ञान, बोले- शिक्षा का मतलब...

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Last Updated:August 28, 2025, 18:55 IST

Mohan Bhagwat News: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा का अर्थ सिर्फ डिग्री नहीं बल्कि संस्कार भी है. विदेशी भाषा सीखना ठीक है लेकिन भारतीय संस्कृति और साहित्य से जुड़ाव जरूरी है.

विदेशी भाषा सीखो, मगर… RSS प्रमुख का संस्कार पर ज्ञान, बोले- शिक्षा का मतलब...मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य नौकरी नहीं बल्कि संस्कार होना चाहिए. (फाइल फोटो)

Mohan Bhagwat News: एक विशेष कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शिक्षा, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों पर अपने विचार रखे. उन्होंने साफ कहा कि आज की शिक्षा केवल नौकरी का साधन नहीं बननी चाहिए बल्कि ऐसी होनी चाहिए जो जीवन जीने के संस्कार भी दे.

भागवत ने एक वाकया सुनाते हुए बताया कि नागपुर में उनसे मिलने आए एक पुलिसकर्मी ने शिकायत की थी कि यहां आने के लिए उसे खादी का कुर्ता और कोट-टाई पहनने की सलाह दी गई. इस पर पुलिसकर्मी ने सवाल उठाया कि यह परंपरा कब बदलेगी? इस पर संघ प्रमुख ने कहा कि बदलाव धीरे-धीरे हो रहा है और होना भी चाहिए.

Delhi: RSS Chief Mohan Bhagwat says, “We are not English, and we don’t need to become English. But English is a language. What’s wrong with learning a language?… When I was in eighth grade, my father made me read Oliver Twist and The Prisoner of Zenda. I have studied many… pic.twitter.com/KrzuvfCg9J


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शिक्षा केवल डिग्री नहीं, संस्कार भी जरूरी: संघ प्रमुख
संघ प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद शिक्षा व्यवस्था में कुछ सुधार ज़रूर हुए हैं, लेकिन उसमें भारतीय मूल्यों को अभी पूरी तरह नहीं जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि माता-पिता का सम्मान करना, बड़ों के प्रति विनम्र रहना और समाज के साथ सामंजस्य रखना ये किसी धर्म विशेष की बातें नहीं, बल्कि सार्वभौमिक मूल्य हैं जिन्हें शिक्षा का हिस्सा बनाना चाहिए.

भाषा और साहित्य का संतुलन
मोहन भागवत ने कहा कि विदेशी भाषा सीखना गलत नहीं है. उन्होंने आगे कहा, “मैंने भी अंग्रेजी पढ़ी है, लेकिन इससे हिंदी और भारतीय संस्कृति के प्रति मेरे प्रेम में कोई कमी नहीं आई. समस्या तब होती है जब हम अपने लेखकों और साहित्य से मुंह मोड़ लेते हैं. अलीवर पढ़ लिया लेकिन प्रेमचंद की कहानियां छोड़ दीं, यह ठीक नहीं है.” उन्होंने कहा कि बच्चों को अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाएं सीखनी चाहिए, लेकिन साथ ही उन्हें भारतीय साहित्य और परंपरा से भी जोड़े रखना जरूरी है.

कला और संगीत का महत्व
नई शिक्षा नीति (NEP) का ज़िक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि इसमें पंचकोशी शिक्षा का तत्व जोड़ा गया है जिसमें कला और खेलों को अहमियत दी गई है. उन्होंने कहा, “संगीत और नृत्य अगर जीवन का हिस्सा नहीं हैं तो मनुष्य पशु समान हो जाता है. कला बच्चों पर थोपने की चीज़ नहीं, बल्कि उनमें स्वाभाविक रुचि पैदा करने का साधन होनी चाहिए.”

उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके चाचा घर में गाना गाते थे और रिकॉर्ड बजाते थे. स्कूल में पूरी क्लास कविता गाती थी, जिससे बच्चों का व्यक्तित्व निखरता था. उन्होंने जोर देकर कहा कि परिवार और विद्यालय दोनों में इस परंपरा को फिर से जीवित करना होगा.

वैदिक काल की कलाओं से सीख
भागवत ने बताया कि वैदिक काल में 64 कलाएं थीं- संगीत, नृत्य, चित्रकला, खेल और जीवन कौशल तक. उनका कहना था कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली को भी इन कलाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए. मोहन भागवत ने आगे कहा, “अनिवार्य विषय बनाने से काम नहीं चलेगा, बच्चों को कला और संस्कृति से जोड़ने के नए तरीके खोजने होंगे.”

शिक्षा की असली परिभाषा
अपने संबोधन के अंत में मोहन भागवत ने कहा, “शिक्षा बाहर से देने की चीज़ नहीं है. इसका असली अर्थ है भीतर के ज्ञान को जगाना. यही भारतीय परंपरा और संस्कृति का मूल है. अगर इसे अपनाया जाए तो आने वाली पीढ़ी केवल पढ़ी-लिखी नहीं बल्कि संस्कारी और जिम्मेदार भी बनेगी.”

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...

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First Published :

August 28, 2025, 18:55 IST

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