Last Updated:August 28, 2025, 21:17 IST
FLOOD RESCUE OPERATION: कुदरत का कहर भारत के कई इलाकों में बरप रहा है. इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर और पंजाब भी शामिल हैं. चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी और उसमें फंसे लोग. जमीन पर आर्म...और पढ़ें

FLOOD RESCUE OPERATION: भारतीय थल सेना के एविएशन ने बाढ़ राहत बचाव में इतने जोखिम भरे ऑपरेशन को अंजाम दिया कि देखने वाले चौंक जाएं. पानी से भरे इलाके में घरों की छत पर मदद की राह देखने वाले लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू के लिए आर्मी एविएशन ने अपने चीता और ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर तैनात किए हैं. जम्मू, सांभा, कठुआ, पठानकोट और गुरदासपुर के बाढ़ ग्रस्त इलाकों से लोगों को बचाने का काम जारी है. आर्मी ने राहत बचाव के लिए 20 सेना के कॉलम तैनात किए हैं जो दिन-रात पीड़ितों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने में जुटे हैं. सेना के राइजिंग स्टार कोर की तरफ से चलाए जा रहे इस ऑपरेशन में अब तक 1000 के करीब लोगों को सुरक्षित बचाया गया है. इनमें आर एस पुरा के एक अनाथालय के 50 बच्चे, BSF के 56 और 21 CRPF के जवान भी शामिल हैं. इसके अलावा जम्मू स्थित भारतीय सेना की व्हाइट नाइट कोर की एविएशन यूनिट ने दस घंटे तक सत्रह शटल चलाए और सत्ताईस सुरक्षा कर्मियों को बचाया, जो जम्मू जिले के अखनूर उप-मंडल के जौरियां में बाढ़ के पानी में फंसे हुए थे. भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर Mi-17 और चिनूक ने भी लगातार अपने ऑपरेशन को जारी रखा. कुल 190 लोगों को रेस्क्यू किया और 6750 किलो राहत सामग्री गिराई.
चीता बनी लाइफ लाइन
सियाचिन में सेना की लाइफ लाइन कहे जाने वाले चीता हेलिकॉप्टर इस वक्त जम्मू और पंजाब के बाढ़ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की लाइफ लाइन बन चुके हैं. दिन-रात जोखिम भरे रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं. एक चीता हेलिकॉप्टर में पायलट और को-पायलट के अलावा तीन लोगों के बैठने की जगह है. इसकी खासियत यह है कि यह किसी भी टेरेन में आसानी से ऑपरेट कर सकता है. सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर को फ्रांस से 1962 में खरीदा गया था, तभी से यह सेना में शामिल किया गया है. 1965 में HAL ने लाइसेंस के तहत इसका उत्पादन शुरू किया था. आर्मी और एयरफोर्स के पास चीता हेलिकॉप्टर मौजूद हैं।. आर्मी एविएशन के पास 246 चीता/चेतक हेलिकॉप्टर हैं, जिनमें से 190 के करीब ऑपरेशनल हैं. सियाचिन में इकलौता हेलिकॉप्टर है जो लैंड भी कर सकता है और टेकऑफ भी ले सकता है. ऊंचे पोस्ट पर सैनिकों को रसद और बाकी साजो सामान चीता हेलिकॉप्टरों के जरिए पहुंचाए जाते हैं और किसी भी राहत बचाव के ऑपरेशन में इनका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अब यह काफी पुराने हो चले हैं. सेना का प्लान है कि सभी चीता, चेतक हेलिकॉप्टर को चरणबद्ध तरीके से 10 साल में फेज आउट कर दिया जाए.
सेना के ALH फिर से एक्टिव
तकरीबन 100 दिन के करीब ग्राउंडेड रहने के बाद ALH फिर से एक्शन में हैं. 5 जनवरी को पोरबंदर में कोस्ट गार्ड के ALH क्रैश के बाद से ही सभी फ्लीट को ग्राउंड कर दिया गया था. HAL डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन टीम की सघन जांच के बाद टीम ने 1 मई को थलसेना और वायुसेना के सभी ध्रुव हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने की इजाजत दे दी थी. ध्रुव हेलिकॉप्टर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह समंदर के ऊपर भी उड़ सकता है तो हाई एल्टिट्यूड के इलाके में 15000 फीट के ऊपर भी उड़ान भर सकता है. ALH रात में भी आसानी से ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. एक बार में 10 से 12 लोग इसमें बैठ सकते हैं.
एयरफोर्स के Mi-17 हेलिकॉप्टर भी जुटे राहत बचाव में
भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर पूरी जोर-शोर से राहत बचाव के ऑपरेशन में जुटे हुए हैं.देश में किसी भी आपदा में Mi-17 हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल होता है. भारतीय वायुसेना की पूरी हेलीकॉप्टर फ्लीट को एक्टिव किया गया. नॉर्दर्न एरिया में वायुसेना के एयरबेस से 5 Mi-17 हेलिकॉप्टर और एक चिनूक हेलिकॉप्टर को तुरंत राहत बचाव के काम में तैनात किया गया. Mi-17 की सबसे खास बात यह है कि इसकी लोड कैपेसिटी काफी ज्यादा है. इसमें एक बार में 24 से 36 लोगों को आसानी से ले जाया जा सकता है. साथ ही 4500 किलो तक का वजन भी ढो सकता है. भारतीय वायुसेना के पास Mi-17 हेलिकॉप्टर के कई वेरियंट मौजूद हैं, जिनमें Mi-17, Mi-17-1V और Mi-17 V5 शामिल हैं. Mi-17 पिछले 3 दशक से ज़्यादा वक्त से भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं. फ़िलहाल वायुसेना के पास 60 के क़रीब Mi-17 हेलिकॉप्टर हैं और वो 2028 से फेजआउट होना शुरू हो जाएँगे. भारतीय वायुसेना के पास सबसे उन्नत मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर के तौर पर रूस से लिए तक़रीबन 140 Mi-17V5 हेलिकॉप्टर शामिल हैं. इसे दुनिया के सबसे सुरक्षित हेलिकॉप्टर में जाना जाता है. हालांकि मौसम के खराब के चलते इसी हेलिकॉप्टर क्रैश में देश के पहले CDS जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी सहित कुल 14 लोगों की जान चली गई थी.
चिनूक ने भी संभाल रखा है मोर्चा
राहत बचाव के पहले दिन ही एयरफोर्स ने अपने चिनूक हेलिकॉप्टरों को भी ग्राउंड जीरो पर भेज दिया था. उत्तराखंड से लेकर जम्मू और पंजाब के इलाके में आई प्राकृतिक आपदा में इसका इस्तेमाल किया गया. भारत के पास हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर की कैटेगरी में चिनूक मौजूद है. भारतीय वायुसेना के लिए 15 हेलिकॉप्टर की खरीद साल 2015 में अमेरिका से की गई थी. साल 2019 से इसकी डिलीवरी होनी शुरू हो गई थी. इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल हाई एल्टिट्यूड के इलाके में भारी भरकम हथियारों और साजो सामान को पहुंचाने और ट्रूप मूवमेंट में किया जाता है. एक बार में 10 से 11 टन का वजन उठा सकता है. अमेरिका से भारत ने जो M777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्सर की खरीद की है, इन्हीं चिनूक के जरिए ही उन सभी तोपों को LAC और LOC के इलाके तक पहुंचाया गया. इसकी रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटा के करीब है और यह 20,000 फीट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है. एक बार में 750 किलोमीटर तक उड़ सकता है. इसके दो रोटर होने के चलते इसे स्टेबिलिटी और लोड को लिफ्ट करने की क्षमता बेहतर होती है.
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First Published :
August 28, 2025, 21:17 IST