रूसी तेल खरीद पर डोनाल्ड ट्रंप का भारत से तकरार, फिर तुर्की से कैसे इतना प्यार

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Last Updated:October 29, 2025, 13:15 IST

रूसी तेल खरीद पर डोनाल्ड ट्रंप का भारत से तकरार, फिर तुर्की से कैसे इतना प्यारतुर्की रूसी तेल धड़ल्ले से ख़रीदे जा रहा है और वहां ट्रंप चुप हैं?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उनको भारत ने भरोसा दिया है कि वो अब रूस से तेल नहीं ख़रीदेगा तो भारत ने तुरंत बयान जारी कर दिया कि जिस फ़ोन कॉल की ट्रंप बात कर रहे हैं, ऐसी तो कोई कॉल पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई ही नहीं. लेकिन ट्रंप ये जो बार-बार रूस के तेल की बात भारत को लेकर कर रहे हैं उसमें असली बात तो गोल कर जाते हैं. ये तो ठीक है कि रूस यूक्रेन में जंग लड़ रहा है, और अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप रूस की कमाई की लाइन काटना चाहते हैं ताकि वो युद्ध बंद करे, क्योंकि रूस को सबसे ज़्यादा पैसा तेल और गैस बेचने से मिलता है. लेकिन एक तो ये कि अमेरिका और यूरोप ने जो प्रतिबंध लगाए कि रूस से कोई तेल ना ख़रीदे उससे रूसी तेल सस्ता हो गया, क्योंकि रूस ने डिस्काउंट देना शुरू कर दिया. और भारत का कहना है कि भारत को तेल तो चाहिए हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल ख़रीदने वाले देश हैं.

हालांकि इसमें देखने वाली बात ये है कि यही ट्रंप और यही अमेरिका एक देश को लेकर एकदम चुप हैं. वो देश है तुर्की… तुर्की से उनकी दोस्ती चल रही है. तुर्की NATO का सदस्य है. NATO यानी अमेरिका की अगुवाई वाला 32 देशों का वो सैन्य गठबंधन जहां सब एक-दूसरे की मदद का वादा करते हैं, रूस जैसे दुश्मनों से लड़ने के लिए. लेकिन तुर्की रूसी तेल धड़ल्ले से ख़रीदे जा रहा है और वहां ट्रंप चुप हैं.

2023 से तुर्की दुनिया का सबसे बड़ा रूसी तेल और गैस ख़रीदने वाला देश बन गया. रूस का 18 प्रतिशत एक्सपोर्ट तुर्की को जाता है. 2024-25 में ये ख़रीद डबल से ज़्यादा हो गई. 105 प्रतिशत उछल गई, अरबों डॉलर का धंधा हो गया. लेकिन इतना ही नहीं है कि तुर्की रूस से तेल लेता है. तुर्की के बंदरगाह जैसे सेयहान और मेर्सिन रूसी ईंधन लेते हैं, स्टोर करते हैं, और फिर उसको अपने नाम से बेच देते हैं. किसको? यूरोप को… यानी ये बढ़िया है. दुनिया को लेक्चर दो कि रूस से तेल मत लो. और तुर्की को लेने दो. और फिर तुर्की से वो लेकर बोलो कि हम रूस से थोड़े ही ले रहे हैं, हम तो तुर्की से ले रहे है!

यूरोप ने 2023 में सीधे रूसी तेल पर बैन लगा लिया था. लेकिन तुर्की से ले रहा है. और तुर्की क्या कर रहा है कि रूस के तेल में थोड़ा सा दूसरा तेल मिलाकर लेबल बदलकर बेच रहा है. वो उसे ग्रीस, इटली और स्पेन जैसे यूरोपीय देशों को भेज देता है. फरवरी 2023 से फरवरी 2024 तक यूरोप को 3 बिलियन यूरो का ऐसा तुर्की का तेल मिला, जिसमें अनुमान है कि 86 प्रतिशत बंदरगाहों से सीधे रूस से आया था.

एक रिपोर्ट आई कि 2024 में तुर्की के एक बंदरगाह पर 27,000 टन रूसी डीज़ल पहुंचा, और 10 दिन बाद लगभग उतना ही ग्रीस की फैक्ट्री को वहां से भेज दिया गया. तो वो कहां से आ गया तुर्की के पास. यानी इस हाथ ले और उस हाथ से नाम बदल कर बेच दे. यानी तुर्की मुनाफ़ा कमा लेता है, रूस को पैसा मिल जाता है, और यूरोप को तेल बिना अपने लगाए प्रतिबंद तोड़े मिल जाता है.

गैस का भी यही हाल है. तुर्की को 40 प्रतिशत से ज़्यादा गैस रूस से मिलती है, 2025 की शुरुआत में ये 10 प्रतिशत और बढ़ गई. एक पाइपलाइन है टर्कस्ट्रीम. इस समुद्री पाइपलाइन से ये सीधे तुर्की के घरों और बिजलीघरों तक पहुंचती है रूस से. फिर तुर्की से कुछ गैस हंगरी और बुल्गारिया जैसे यूरोपीय देशों को चली जाती है. 2024 में यूरोप का रूसी गैस का हिस्सा कुल 18 प्रतिशत रह गया, लेकिन तुर्की से एक्स्ट्रा गैस लेने लग गया यूरोप. और तुर्की में कहां से आ रही है? रूस से आ रही है.

रूस ने तुर्की से ही 2024 में 3400 करोड़ यूरो कमा लिए. लेकिन ट्रंप तुर्की को कुछ क्यों नहीं बोल रहे? क्योंकि तुर्की में NATO की फ़ौज के अड्डे हैं. और अमेरिका के बड़े एयरबेस हैं तुर्की में. वहां से आईएसआईएस जैसे दुश्मनों पर अमेरिका हमले करता है. सिरिया से रूस के समर्थन वाली बशर अल असद की सरकार को निकाने में किसने मदद की? तुर्की ने. और तुर्की अगर रूस और चीन की तरफ़ पूरी तरह चला गया तो इस इलाक़े में अमेरिका का एक बड़ा अड्डा जो है वो चला जाएगा. तुर्की को 60 प्रतिशत तेल और 40 प्रतिशत गैस रूस से सस्ते में मिलती है. और टर्कस्ट्रीम जैसे रूस के साथ तुर्की ने लंबे समय के कॉन्ट्रैक्ट कर रखे हैं.

तुर्की खुल कर कहता है कि सर्दी में लोगों को गैस न दो तो क्या जवाब दें? तो तुर्की अपने हित देखकर फ़ैसले करे तो वो कुछ नहीं, भारत करे तो उसपर उंगली उठाओगे? भारत ने भी कह दिया कि हम भी अपने हिसाब से ही तो फ़ैसले लेंगे. लेकिन इसपर अमेरिका के साथ यूरोप भी चुप हो जाता है, क्योंकि तुर्की ही रूसी तेल यूरोप भेजता है. हंगरी जैसे देश अभी भी तुर्की के रास्ते से गैस लेते हैं और तुर्की भी दोनों तरफ़ से खेलता है. पुतिन के साथ भी और ट्रंप के साथ भी. यानी सब अपना फ़ायदा देख कर खेल रहै हैं, तुर्की भी, अमेरिका भी, रूस भी, यूरोप भी. तो भारत भी तो वही करेगा. सौ बात की एक बात…

किशोर अजवाणी मैनेजिंग एडिटर, न्यूज18 इंडिया

न्यूज18 इंडिया के मैनेजिंग एडिटर किशोर अजवाणी एंकरिंग के अपने अलग अंदाज, भाषा शैली और तेवर के लिए जाने जाते हैं. वर्ष 2000 से पत्रकारिता में पूर्ण रूप से सक्रिय किशोर ने शुरुआत दूरदर्शन के लिए एंकरिंग से की और ...और पढ़ें

न्यूज18 इंडिया के मैनेजिंग एडिटर किशोर अजवाणी एंकरिंग के अपने अलग अंदाज, भाषा शैली और तेवर के लिए जाने जाते हैं. वर्ष 2000 से पत्रकारिता में पूर्ण रूप से सक्रिय किशोर ने शुरुआत दूरदर्शन के लिए एंकरिंग से की और ...

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New Delhi,Delhi

First Published :

October 29, 2025, 13:15 IST

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