Explainer: कैसे इतना ताकतवर हो जाता है कोई तूफान कि सामने कुछ टिक नहीं पाता

3 hours ago

भारत में मोंथा चक्रवात ने आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाई.फिर उसका असर ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ से लेकर उत्तर प्रदेश और बिहार तक दिखाई देने लगा. उसकी स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई. वहीं मेलिसा तूफान ने जमैका में जबरदस्त नुकसान पहुंचाया. उसके बाद उसने क्यूबा में दस्तक दे दी. इसे अब तक के सबसे शक्तिशाली श्रेणी 5 तूफानों में गिना जा रहा है. एक समय तो इसकी हवाएं 185 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थीं. आखिर कोई तूफान कैसे इतना ताकतवर बन जाता है. जब ये बन रहा होता है तो इतना ताकतवर नहीं होता लेकिन धीरे धीरे इसमें इतनी ताकत आ जाती है कि कुछ भी इसके रास्ते में टिक नहीं पाता.

हर बड़ा तूफान चाहे वह चक्रवात हो, हरिकेन या टाइफून ये सभी जब समुद्र में बन रहे होते हैं तो इनकी स्पीड 15-20 किलोमीटर या इसके आसपास होती है.यानि ये उस समय बहुत ताकतवर नहीं होते लेकिन जैसे जैसे आगे बढ़ते हैं. कहीं ज्यादा पावरफुल होते चले जाते हैं. वैसे ये शुरू में समुद्र की गर्म सतह से ताकत लेते हुए बनते हैं.

सवाल – समुद्र में चक्रवाती तूफान या हरिकेन कैसे बनते हैं?

– जब समुद्र का तापमान 26.5°डिग्री सेंटीग्रेड या उससे अधिक होता है, तो उससे बहुत अधिक जलवाष्प ऊपर उठने लगती है. यह वाष्प ऊपर जाकर ठंडी होती है और संघनित होकर बादल बनाती है. इस प्रक्रिया में भीषण मात्रा में ऊष्मा निकलती है, यही ऊष्मा तूफान को “ईंधन” और ताकत देती है.ये प्रक्रिया ऐसी होती है कि तूफान की ताकत को और बढ़ाती रहती है.

जैसे जैसे ज्यादा वाष्प बनती है, वैसे वैसे ज्यादा हवा ऊपर उठती है और तब उसकी जगह लेने की स्थिति में हवा जिस तरह बवंडर बनाने लगती है तो बन रहे तूफान को अधिक ऊर्जा मिलती जाती है.

(फाइल फोटो)

जैसे-जैसे ऊर्जा बढ़ती है, तूफान के केंद्र जिसको तूफान की आंख भी कहते हैं, उसके आसपास का वायुदाब तेजी से गिरने लगता है. बाहरी क्षेत्र में हवा का दबाव अधिक होता है. अंदर का दबाव बहुत कम होता है तो हवा तेज़ी से केंद्र की ओर खिंचती है, पृथ्वी के घूमने के कारण यह हवा घूमती हुई सर्पिल बन जाती है. इस तरह बनता है एक घूमता हुआ विशाल वायु-भंवर, जिसके चारों ओर विनाशकारी हवाएं होती हैं.

सवाल – जब तूफान आगे बढ़ने लगता है तो धीरे धीरे हवा की रफ्तार क्यों बहुत भयानक होती जाती है?

– इसमें कुछ समय तो लगता है लेकिन जैसे जैसे हवा का दबाव का अंतर बहुत बढ़ जाता है, तो हवा की गति बहुत तेज होती चली जाती है. ये 200–300 किमी प्रति घंटा तक जा सकती है. इतनी तेज़ कि पेड़ों, इमारतों, जहाजों और समुद्र के पानी को उखाड़ फेंकती है. समुद्र में ये हवा विशाल लहरें उठाती है, जो तटीय इलाकों को डुबो देती हैं.1999 के ओडिशा सुपर साइक्लोन में हवा की गति 260 किमी/घंटा थी और लहरें 6 मीटर ऊंची उठीं.

सवाल – इस तूफान के सामने कुछ टिक क्यों नहीं पाता?

– किसी तूफान में तीन तरह की विनाशक ताकतें मिलती हैं – गति की ऊर्जा, जल दबाव और लहरें और अत्यधिक वर्षा. जब ये तीनों बल एक साथ लगते हैं, तो किसी भी मानव संरचना चाहे पुल हो, पेड़, मकान या बिजली के खंभे, – इन सभी पर कई टन के बराबर ताकत लगती है. मतलब कुछ ऐसा जैसा इन पर टनों की ताकत वाला हथौड़ा लगातार चोट कर रहा हो.

सवाल – तूफान अपने साथ अपरंपार मूसलाधार बारिश भी क्यों ले आते हैं?

– दरअसल चक्रवात किसी जगह पर बहुत कम दबाव की स्थिति में बनते हैं और ऐसे में बड़े क्षेत्र से हवा खींचना शुरू कर देते हैं. जब हवा निम्न दबाव केंद्र में इकट्ठी हो जाती है तो ऊपर उठने लगती है. जो हवा इसमें इकट्ठी होती है, उसमें बड़ी मात्रा में नमी होती है. ये ऊपर जाकर बारिश वाले बादल में बदलते हैं और तूफान के साथ चल पड़ते हैं. ये बादल इतनी बड़ी संख्या में होते हैं कि सैकड़ों हाथियों के वजन के बराबर बारिश साथ लेकर चलते हैं. जब तूफान कहीं टकराता है तो फिर उस इलाके में जबरदस्त आंधी के साथ बारिश शुरू हो जाती है. और ये बारिश बहुत तेज और ज्यादा होती है.

दरअसल जब तूफान बहुत तेज गति के साथ कहीं जमीन से टकराता है तो बादल खुद को संभाल नहीं पाते, लिहाजा भारी भरकम पानी की मात्रा के साथ बरसना शुरू कर देते हैं. इस बारिश की गति भी बहुत तेज होती है, इसी वजह से तूफान के साथ अमूमन मूसलाधार बारिश होती है.

सवाल – क्यों कुछ तूफान “राक्षस” जैसे भयावह बन जाते हैं?

– तूफान की तीव्रता इस पर निर्भर करती है कि
समुद्र का तापमान कितना गर्म है,
ऊपरी हवा कितनी है,
हवा में नमी कितनी है।
अगर ये तीनों अनुकूल हों, तो तूफान कैटेगरी 5 तक पहुंच जाता है यानि बहुत भयावह हो जाता है.इस कैटेगरी के तूफान में
हवा 250 किमी/घंटा से ऊपर स्पीड वाली होती है. समुद्र में इसकी वजह से 8–10 मीटर ऊंची लहरें उठती हैं. बारिश हजारों मिमी की होती है. तब ये वास्तव में बहुत भयावह स्थिति होती है.

(फाइल फोटो)

सवाल – तो क्या ये सही है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जब समुद्र का पानी गर्म होगा तो तूफान ज्यादा आने लगेंगे?

– बिल्कुल ये बात सही है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र का पानी गर्म हो रहा है. अरब सागर का पानी मार्च से अब तक 1.2 सेंटीग्रेड गर्म हो चुका है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र गर्म पूल में बदल रहा है. इससे पूरी दुनिया में तूफ़ान की संख्या बढ़ रही है.

सवाल – क्या अब भविष्य में आने वाले तूफान बारिश के हिसाब से ज्यादा खतरनाक होते जाएंगे?

– वैज्ञानिक अध्ययन तो यही कहते हैं. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंट डिपार्टमेंट (https://environment.princeton.edu/) का अध्ययन कहता है समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान से बढ़ती नमी के कारण तूफान में बारिश की तीव्रता उम्मीद से दोगुनी तेजी से बढ़ेगी. तापमान बढ़ने के साथ उष्णकटिबंधीय तूफानी हवाएं मजबूत होंगी. अध्ययन बताते हैं कि तेज हवाओं वाले तूफानों से वर्षा की दर भी अधिक हो जाती है. हाल के बरसों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के साथ आई भारी बारिश ने तूफान के रास्ते में आने वाले क्षेत्रों में विनाशकारी बाढ़ लाई है. खासकर समुद्र तटीय शहरों में.

सवाल – क्या होती है चक्रवात की आंख?

– चक्रवात तेजी से घूमती हवा होती है, लिहाजा इसका मध्य बिंदु हमेशा रिक्त होता है क्योंकि घूमती हुई हवा उस बिंदु के चारों ओर घूमती है लेकिन उस बिंदु तक नहीं पहुंचती. इसे चक्रवात की आंख कहते हैं.

सवाल – चक्रवात कब कमजोर पड़ता है?

– चक्रवात समुद्र में बनते हैं और फिर वहां से चलते हैं. लेकिन जब वह समुद्र के तट से टकराते हैं तो कमजोर पड़ने लगते हैं. इसका कारण जमीन पर हवा का उच्च दबाव होना है. चक्रवात की दिशा का अनुमान लगाया जाता है लेकिन चक्रवात का रास्ता निश्चित नहीं किया जा सकता.

सवाल – जब चक्रवात आते हैं तो हवा की रफ्तार कहां से कहां तक हो सकती है?

– हवा की रफ्तार के हिसाब से चक्रवातों को पांच श्रेणियों में बांटा जाता है. श्रेणी एक में हवा की रफ्तार 119 किलोमीटर प्रति घंटा से 153 किलोमीटर प्रति घंटा तक होती है, श्रेणी दो में 154 से 177 किलोमीटर प्रति घंटा. श्रेणी तीन में 178 से 208 किलोमीटर प्रति घंटा. श्रेणी चार में 209 से 251 किलोमीटर प्रति घंटा और श्रेणी पांच में 252 किलोमीटर प्रति घंटा और उससे अधिक रफ्तार के तूफान आते हैं. इन सभी में इनके रास्ते में जो आता है, उसको ये तहस-नहस करते जाते हैं. रफ्तार ज्यादा होते जाने पर इनकी विध्वंसक क्षमता भी उतनी बढ़ जाती है.

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