Last Updated:November 08, 2025, 13:15 IST
पाकिस्तान कहीं न कहीं परोक्ष तौर पर अमेरिकी सहयोग से ही एक परमाणु संपन्ना मुल्क बना.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रशासन को परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने का आदेश दिया है. रूस ने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली मिसाइल का परीक्षण किया है. यह दुनिया की सबसे घातक मिसाइल सिस्टम है. यह मिसाइल 14000 किमी दूर तक वार कर सकती है. इसका नाम 9M730 बुरेवेस्टनिक न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल है. यह मिसाइल 15 घंटे तक हवा में रहने के बाद अपने टार्गेट पर वार करती है. उधर, अमेरिका-रूस के हथियारों की जंग में कूदने के साथ चीन भी अपनी तैयारियों को लेकर पीछे नहीं है. शनिवार को ही सीएनएन की एक रिपोर्ट आई. इसमें कहा गया है कि चीन अपनी मिसाइल क्षमता में भारी बढ़ोतरी कर रहा है. अमेरिका ने यह भी दावा किया है कि पाकिस्तान भी परमाणु परीक्षण कर रहा है. यानी, अमेरिका, रूस, चीन और पाकिस्तान यानी हर कोई घोषित तौर पर हथियारों की इस होड़ में शामिल हो चुका है.
ऐसे में आज आपको उस परिस्थितियों के बारे बताते हैं जब पाकिस्तान ने परमाणु ताकत हासिल की. इसने किस तरह तत्कालीन सोवियत संघ यानी मौजूदा रूस के कदम को उसने अपने लिए कवच के रूप में इस्तेमाल किया. उस समय भारत में दिवंगत इंदिरा गांधी की सरकार थी और उनके नेतृत्व में भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बन चुका था. भारत की इस उपलब्धि से पाकिस्तान बुरी तरह परेशान था तभी ऐसी स्थिति बनी कि अमेरिका चाहकर भी उसकी राह में रोड़ा नहीं बन सका.
पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर हमले की योजना
दरअसल, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक पूर्व अधिकारी रिचर्ड बार्लो ने एएनआई से बातचीत में दावा किया है कि 1980 के दशक में भारत और इजरायल ने पाकिस्तान के कहूता यूरेनियम संवर्धन संयंत्र पर हवाई हमले की योजना बनाई थी लेकिन दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसकी इजाजत नहीं दी. बार्लो 1980 के दशक में सीआईए में काउंटरप्रोलिफरेशन अधिकारी थे. उसी वक्त पाकिस्तान अपनी गुप्त परमाणु गतिविधियों को संचालित कर रहा था. तमाम रिपोर्ट्स और डिक्लासिफाइड दस्तावेजों के मुताबिक इस हमले का मकसद इस्लामाबाद को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकना और इजरायल के कट्टर दुश्मन ईरान को परमाणु तकनीक देने से रोकना था. हालांकि, बार्लो आगे कहते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगल किसी भी स्थिति में इस हमले की अनुमति नहीं देते. इसका मुख्य कारण था अफगानिस्तान में सोवियत संघ का हमला.
भारत का परमाणु कार्यक्रम
भारत ने 18 मई 1974 को परमाणु परीक्षण कर दुनिया को बता दिया कि वह एक परमाणु संपन्न राष्ट्र है. लेकिन, इससे काफी पहले ही दुनिया खासकर अमेरिका को पता चल गया था कि भारत परमाणु हथियार बनाने में सक्षम है. उसके पास परमाणु हथियार भी हैं. बीबीसी एक रिपोर्ट के मुताबिक तीन अगस्त 1972 की अमेरिकी इंटेलिजेंस के दस्तावेज में कहा गया कि इस बात की पूरी संभावना है कि भारत एक परमाणु परीक्षण करेगा और इसे शांतिपूर्ण विस्फोट करार देगा. फिर चार अक्तूबर 1973 के एक विश्लेषण में कहा गया कि अगर भारत चाहे तो वह मौजूदा प्लूटोनियम भंडार का उपयोग कर एक दर्जन या उससे अधिक परमाणु हथियार बना सकता है. यानी 1974 से काफी पहले भारत ने यह क्षमता हासिल कर ली थी.
अमेरिका द्वारा 1946 में किए गए एक परमाणु परीक्षण की तस्वीर. फोटो- राइटर
पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम
भारत से दुश्मनी की आड़ में पाकिस्तान अपनी उत्पति के समय से ही परमाणु हथियार हासिल करने की कोशिश में लगा रहा. भारत ने 1956 में कनाडा के सहयोग से अपना पहला परमाणु रिएक्टर बनाया. उधर पाकिस्तान ने 1956 में एटॉमिक एनर्जी कमीशन की स्थापना की. उसका उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर प्रशासन की तरफ से घोषित एटम फॉर पीस कार्यक्रम में भाग लेना था. लेकिन, इस कार्यक्रम के जरिए वह परमाणु हथियार बनाने में लगा रहा. बावजूद इसके शुरुआती वर्षों में उसे अमेरिका से कोई ढील नहीं मिली. वह छटपटाता रहा. 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग के बाद पाकिस्तान और छटपटाने लगा. उसी वक्त पाकिस्तान के मंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान भारत की परमाणु क्षमता की बराबरी करने के लिए दृढ़संकल्प है. अगर भारत बम बनाता है तो हम घास या पत्ते खा लेंगे, भूखे सो जाएंगे लेकिन, हमें अपना बम बनाना होगा. लेकिन 1982 तक उसे अमेरिका की ओर कोई ढील नहीं मिली. अमेरिकी दबाव इतना तगड़ा था कि पाकिस्तान ने फ्रांस और कई अन्य शक्तियों के साथ परमाणु क्षेत्र में समझौता किया, लेकिन वह इन समझौते पर आगे नहीं बढ़ सका.
अफगानिस्तान में सोवियत संघ का हमला
दिसंबर 1979 का समय. भीषण ठंड और बर्फबारी के बीच सोवियत रूस अफगानिस्तान पर हमला करता है. इस एक हमले ने दक्षिण एशिया की पूरी राजनीति बदल दी. इस एक हमले ने अमेरिका को पाकिस्तान के साथ रिश्तों में गर्माहट ला दी. अमेरिका को अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ पाकिस्तान की जरूरत पड़ी. उसे जनरल जियाउल हक के रूप में एक सहयोगी मिला. फिर इसके बदले में अमेरिका को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति अपनी कड़ी निगरानी हटानी पड़ी. उसने परमाणु तकनीक हासिल करने की कोशिश तेज कर दी. दूसरी ओर अमेरिका अपने ही खुफिया अधिकारियों के दावों को खारिज करता रहा. फिर 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान भी एक परमाणु संपन्न देश बन गया.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
November 08, 2025, 13:15 IST

6 hours ago
