रंगदार होता क्या है, रंगदारी किसे कहते हैं, बिहार चुनाव में यह क्यों छाया है?

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Last Updated:November 08, 2025, 14:00 IST

रंगदार होता क्या है, रंगदारी किसे कहते हैं, बिहार चुनाव में यह क्यों छाया है?बिहार चुनाव में रंगदार शब्द की खूब चर्चा है. फोटो-एआई

What Is Rangdar And Rangdari: बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान से ठीक पहले ‘रंगदारी’ शब्द राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है. एनडीए के नेता इसे पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल के ‘जंगल राज’ का प्रतीक बताकर हमला बोल रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा करार दे रहा है. लेकिन आखिर ये रंगदारी शब्द क्या है, रंगदार कौन होता है और यह बिहार चुनाव में क्यों छाया हुआ है? आइए समझते हैं.

रंगदारी, जिसे ‘रंगदारी टैक्स’ भी कहा जाता है, बिहार के संदर्भ में एक अवैध वसूली की प्रथा है. यह एक्सटॉर्शन का एक रूप है, जहां अपराधी या गुंडे तत्व व्यवसायियों, ठेकेदारों या आम लोगों से ‘प्रोटेक्शन मनी’ के नाम पर जबरन पैसे ऐंठते हैं. इसकी जड़ें 1990 के दशक में हैं, जब राजनीतिक संरक्षण में अपराधी सक्रिय थे. ‘रंगदार’ वह व्यक्ति होता है जो इस टैक्स को वसूलता है. यह रंगदार किसी बाजार, किसी इलाके, किसी गांव का, किसी कस्बे का हो सकता है. इनको छुटभैय्ये गुंडे भी कहा जा सकता है. स्थानीय स्तर पर इनका एक टेरर होता है. ये पॉलिटिशियन के गुर्गे या अंडरवर्ल्ड या हिस्ट्री शीटर क्रिमिनल्स के एजेंट हो सकते हैं. यह शब्द कहां से आया और इसका शाब्दिक अर्थ क्या है? इसको लेकर पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. लेकिन, बिहार में यह शब्द खूब चर्चा में है. बिहार के कई इलाकों में यह प्रथा अब भी छिटपुट रूप से जारी है, हालांकि पुलिस दावा करती है कि इसे काफी हद तक काबू किया गया है.

रंगदारी का इतिहास

रंगदारी का इतिहास बिहार की राजनीति से गहराई से जुड़ा है. 1990-2005 के बीच आरजेडी शासन को कथित तौर पर ‘जंगल राज’ कहा जाता है, जब अपहरण, हत्या और एक्सटॉर्शन की घटनाएं काफी बढ़ गई थीं. तब ‘रंगदार’ राजनीतिक दलों के संरक्षण में फलते-फूलते थे. अब 2025 के चुनाव में यह मुद्दा फिर उभरा है, क्योंकि एनडीए इसे आरजेडी के खिलाफ हथियार बना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औरंगाबाद की रैली में कहा कि आरजेडी वाले इंतजार कर रहे हैं कि उनकी सरकार आए और अपहरण, रंगदारी का पुराना धंधा शुरू हो जाए. उन्होंने आरजेडी के एक पुराने गीत का जिक्र किया: आएगी भईया की सरकार, बनेंगे रंगदार. मोदी ने ‘जंगल राज’ को ‘विनाश’ बताया, जबकि एनडीए को ‘विकास’ का प्रतीक. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी आरजेडी को ‘रंगदारी, जंगल राज और दादागिरी’ का पर्याय बताया.

यह मुद्दा चुनाव में इसलिए छाया है क्योंकि बिहार में अपराध और विकास मुख्य एजेंडा हैं. छह नवंबर को पहले चरण का मतदान हो चुका है, जबकि 11 नवंबर को दूसरा चरण है. एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) बनाम महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) की लड़ाई में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन एनडीए ‘जंगल राज’ के डर से वोटरों को लुभा रहा है.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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First Published :

November 08, 2025, 14:00 IST

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