Last Updated:August 28, 2025, 18:39 IST
Bihar chunav 2025: क्या सीएम नीतीश कुमार 'खामोश रणनीति' से बिहार में बड़ा खेल कर दिया है? नीतीश कुमार का एक भी बयान न राहुल न तेजस्वी और न ही प्रशांत किशोर को लेकर क्यों नहीं आया है?

पटना. बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी के सीएम फेस वोटर अधिकार यात्रा पर पर घूम रहे हैं. बिहार में विपक्षी पार्टियां हर दिन ‘तबला’ बजा रही हैं. सीएम नीतीश पर तरह-तरह के आरेप लगाए जा रहे हैं. नीतीश पर अचेत अवस्था में चले जानी की खूब चर्चा हो रही है. लेकिन इस सब के इतर नीतीश खामोशी से और ‘खामोश रणनीति’ से बड़ा खेल कर रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार का एक भी बयान मीडिया में न राहुल न तेजस्वी और न ही प्रशांत किशोर को लेकर आय़ा है. लेकिन इस सबसे हटकर नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक रणनीति में एक खास टारगेट महिलाओं पर फोकस कर दिया है. नीतीश ने 46 फीसदी हिस्सेदारी वाली महिलाओं को साधने के लिए एक से बढ़कर एक चाल चल रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह कि क्या नीतीश अपने पुराने वोट बैंक को फिर से हासिल करेंगे?
नीतीश कुमार का चुनावी अंदाज इस बार ‘टी-20’ क्रिकेट जैसा है, जिसमें बिना ज्यादा शोर-शराबे के तेज़ी से सही रणनीति अपनाकर विपक्ष और बीजेपी दोनों को चुनौती दी जा रही है. खास बात यह है कि उनकी ‘खामोश रणनीति’ न केवल महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे तेजस्वी यादव को मुद्दाविहीन कर रही है, बल्कि बीजेपी के अंदर भी कई नेताओं की उम्मीदों पर ग्रहण लगा रही है.
महिलाओं का वोट बैंक क्यों है निर्णायक?
बिहार में कुल 6.7 करोड़ मतदाताओं में से करीब 3.11 करोड़ महिलाएं हैं, जो कुल वोटर बेस का लगभग 46% हिस्सा हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं के बढ़-चढ़कर वोट देने से ही जेडीयू ने 115 सीटें जीती थीं. नीतीश कुमार की उस समय की नीतियां जैसे शराबबंदी, साइकिल योजना, पंचायतों में 50% महिला आरक्षण, और विशेष रूप से जीविका योजना, जो 1.4 लाख जीविका दीदियों के माध्यम से करीब 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों को जोड़ती है, ने उन्हें खासा फायदा दिया.
पिछला चुनाव और वर्तमान रणनीति
हालांकि 2020 के चुनाव में जेडीयू का प्रदर्शन 43 सीटों और 15.39% वोट प्रतिशत तक सिमट गया था. तेजस्वी यादव के युवा और केंद्रित अभियान ने कई महिलाओं समेत युवा वोटरों को प्रभावित किया था. इस बार, नीतीश ने आशा वर्कर्स, आंगनबाड़ी सेविकाएं, जीविका दीदियां, महिला शिक्षक और नर्सों के लिए बढ़े हुए मानदेय, नियुक्तियां और डोमिसाइल नीति जैसी कई घोषणाएं कर अपनी पकड़ फिर मजबूत करने की कोशिश की है.
प्रमुख महिला-केंद्रित योजनाएं
आशा वर्कर्स: बिहार में लगभग 80,000 आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि 1,000 रुपये से बढ़ाकर 3,000 रुपये कर दी गई है. प्रसव सहायता राशि भी दोगुनी की गई है.
आंगनबाड़ी सेविकाएं: 1,20,000 से अधिक सेविकाओं का मानदेय 6,000-8,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000-15,000 रुपये किया गया.
जीविका दीदियां: 1,40,000 जीविका दीदियों के लिए लोन ब्याज कटौती और प्रशिक्षण योजनाएं लागू की गईं, जो लाखों ग्रामीण परिवारों को लाभ पहुंचाती हैं.
महिला शिक्षक और नर्स: 70,000 शिक्षक पदों में 35% आरक्षण के तहत 26,425 महिलाओं को लाभ मिलेगा. नर्स भर्ती में भी 15,000 महिलाओं को रोजगार मिला है.
नीतीश की ये योजनाएं लगभग 61 लाख लोगों को सीधे लाभ पहुंचा रही हैं, जो बिहार के वोटर बेस का 6-7% हिस्सा है.
डोमिसाइल नीति से चुनावी रणनीति
4 अगस्त 2025 को लागू की गई डोमिसाइल नीति ने बिहार के निवासियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी, खासकर 35% महिला आरक्षण के लिए. यह कदम तेजस्वी यादव के प्रमुख चुनावी मुद्दे को हाईजैक करते हुए जेडीयू की पकड़ को ग्रामीण और ईबीसी महिलाओं के बीच और मजबूत करेगा.
क्या फिर से नायक बनेंगी महिलाएं?
नीतीश कुमार ने दशकों से बिहार में अपने विकास कार्यों और महिला सशक्तिकरण की नीतियों से अपनी राजनीतिक ताकत बनाई है. 2025 के चुनाव में भी यही वोट बैंक उनकी सफलता की कुंजी बन सकता है. अगर महिलाएं और ग्रामीण वर्ग उनके साथ मजबूती से खड़े होते हैं, तो जेडीयू 2020 के 15.39% वोट शेयर को दोगुना कर सकती है और विधानसभा में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है.
बिहार चुनाव 2025 में महिलाओं के वोट का महत्व बहुत बड़ा है और नीतीश कुमार इसे बखूबी समझ रहे हैं. उनकी ‘खामोश रणनीति’ के तहत महिला-केंद्रित योजनाएं और सामाजिक जनकल्याण की पहल उन्हें चुनावी मैदान में एक मजबूत दावेदार बनाती हैं. अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या बिहार की महिलाएं फिर से नीतीश के साथ खड़ी होती हैं और उन्हें उनकी राजनीतिक विरासत को कायम रखने में मदद करती हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
August 28, 2025, 18:39 IST