Last Updated:June 20, 2025, 11:19 IST
Justice Yashwant Verma News: जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जले नोट बरामद हुए, जांच कमेटी ने उन्हें हटाने की सिफारिश की है. जले नोटों को उनके निजी सचिव की निगरानी में साफ किया गया था. वर्मा ने संलिप्तता से इनकार क...और पढ़ें

जस्टिस यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में तबादला किया गया. (Image:News18)
हाइलाइट्स
जस्टिस वर्मा के घर से जले नोट बरामद हुए.जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की.वर्मा ने संलिप्तता से इनकार किया है.Justice Yashwant Verma News: जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड में बड़ा खुलासा हुआ है. जांच कमेटी को इस बात के सबूत मिल गए हैं कि जस्टिस वर्मा के घर से नोट बरामद हुए थे. साथ ही जले नोटों को हटाया गया था. तीन जजों की जांच कमेटी ने जस्टिस यशवंत को हटाने की सिफारिश की है. अब सवाल है कि आखिर किसके कहने पर जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से जले नोटों को साफ किया गया था और किसने इसे अंजाम दिया था? इसे लेकर जांच पैनल ने खुलासा कर दिया है.
कैश कांड में जांच पैनल ने कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के स्टोर रूम में आधे जले हुए 500 रुपये के नोटों के ढेर को 15 मार्च की सुबह-सुबह उनके निजी सचिव की निगरानी में ‘विश्वसनीय नौकरों’ ने साफ किया था. यह सब तब हुआ जब जस्टिस यशवंत वर्मा दिल्ली से बाहर थे और स्टाफ ने उनसे फोन पर बात की थी. जज वर्मा और निजी सचिव के बीच बातचीत के बाद ही अधलजे कैश को साफ किया गया था.
किसने हटाए जले कैश?
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, यह समिति रिकॉर्ड में मौजूद मजबूत साक्ष्यों के आधार पर यह मानने को बाध्य है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घरेलू कर्मचारियों में सबसे भरोसेमंद कर्मचारी राहिल, हनुमान और निजी सचिव आरएस कार्की ने 15 मार्च की सुबह-सुबह स्टोर रूम से जले हुए कैश को हटाने में अहम भूमिका निभाई थी. यह सब कुछ तब हुआ जब अग्निशमन कर्मी और पुलिस कर्मी परिसर से चले गए थे.
जस्टिस वर्मा ने दी सफाई
समिति ने जस्टिस वर्मा की इस दलील को खारिज कर दिया कि स्टोर रूम पर उनका नियंत्रण नहीं था, जो बंगले के आवासीय हिस्से का हिस्सा नहीं था और अन्य लोग भी वहां पहुंच सकते थे. दिल्ली स्थित अपने आधिकारिक आवास के भंडार कक्ष से बड़ी मात्रा में जले नोट बरामद किये जाने के मामले में आरोपी जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया है.
कब का है यह कैश कांड
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन जज यशवंत वर्मा के 30 तुगलक क्रीसेंट स्थित आधिकारिक आवास पर 14 मार्च की रात को आग लग गई थी और उसके भंडार कक्ष से जले नोट बरामद हुए थे. यह घटना तब हुई जब वह शहर से बाहर थे. इसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. इस अजीबोगरीब घटना की जांच के लिए नियुक्त तीन जजों की समिति ने निष्कर्ष निकाला कि जज वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का भंडार कक्ष पर ‘नियंत्रण’ था, जिससे उनका कदाचार इतना गंभीर साबित हुआ है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए.
जज वर्मा की दलील नहीं मान रही कमेटी
जज वर्मा ने समिति के समक्ष कहा कि विचाराधीन भंडार कक्ष उनके रिहायशी क्वार्टर का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक अप्रयुक्त भंडारण स्थान था, जिसका इस्तेमाल नियमित रूप से कर्मचारियों और अन्य लोगों द्वारा किया जाता था. समिति ने जज वर्मा के जवाब का हवाला देते हुए कहा, ‘ जज वर्मा ने हमारे समक्ष अपने स्पष्टीकरण में इस तथ्य पर भरोसा जताया कि भंडार कक्ष के प्रवेश द्वार पर सीसीटीवी कैमरों द्वारा लगातार निगरानी की जाती थी और यह सुरक्षाकर्मियों के नियंत्रण में था, और यह असंभव है कि भंडार कक्ष में नकदी रखी गई थी.’
जज वर्मा की क्या सफाई
जस्टिस यशवंत वर्मा ने सफाई दी कि कमरे का उपयोग अप्रयुक्त फर्नीचर, बोतलें, कालीन और लोक निर्माण विभाग की सामग्री सहित विविध वस्तुओं को संग्रहीत करने के लिए किया जाता था और इस आवासीय परिसंपत्ति के सामने और पीछे के दोनों प्रवेश द्वारों से पहुंचा जा सकता था, जिससे बाहरी लोगों का वहां तक पहुंच पाना आसान था. जस्टिस वर्मा ने कहा कि यह उनकी गलती नहीं थी कि कैमरे काम नहीं कर रहे थे और सीसीटीवी हार्डवेयर को पुनः प्राप्त करने के तरीके पर सवाल उठाया. हालांकि समिति ने उनकी सफाई को खारिज कर दिया और कोई उचित बचाव नहीं पाया.
‘मैं दिल्ली में नहीं था’
जस्टिस वर्मा ने आगे कहा कि आग लगने के समय वह दिल्ली में नहीं थे और सरकारी आवास में केवल उनकी बेटी और बुजुर्ग मां ही मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि आग लगने की सूचना उनकी बेटी और उनके निजी सचिव ने दी थी और बाद में अग्निशमनकर्मियों के चले जाने के बाद परिवार और कर्मचारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. उनके बयान के अनुसार, घटना के दौरान या बाद में उनके घर के किसी भी सदस्य ने नकदी की बोरी नहीं देखी या उन्हें दिखाई नहीं दी.
जस्टिस ने कहा कि किसी के लिए भी ऐसे कमरे में नकदी रखना असंभव है, जो खुले तौर पर सुलभ हो और मुख्य घर से अलग-थलग हो. पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली समिति में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी एस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अनु शिवरामन शामिल थे. समिति ने न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा अपने बचाव में दी गयी दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के पास सीसीटीवी डेटा को सील करने से पहले उसे सुरक्षित करने या उसकी जांच करने के लिए पर्याप्त समय था.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...
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