‘राम’ के नाम पर बसा था जो शहर, मुस्लिम शासकों ने भी रखा उसका मान, जानें कहानी

3 hours ago

Rampur History: नवाब रजा अली के अधीन रामपुर 1949 में भारत में सम्मिलित होने वाला उत्तर प्रदेश का पहला राज्य था. आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का शासन था. उनकी अपनी फौज थी, अपना रेलवे स्टेशन, अपना बिजलीघर, अपनी अदालतें, यानी सब कुछ अपना था. देश 1947 में आजाद हो गया, लेकिन रामपुर के नवाब दो साल बाद तक राज करते रहे. रामपुर में 1774 से 1949 तक नवाबों का शासन रहा. नवाब फैज़ुल्लाह खान पहले और रजा अली खां आखिरी नवाब थे.

रामपुर रियासत की स्थापना नवाब फैज़ुल्लाह खान ने की थी, जो उत्तरी भारत में रोहिल्लाओं के प्रमुख सरदार अली मोहम्मद खान के दत्तक पुत्र थे. रोहिल्ला अफगान थे जो 18वीं शताब्दी में भारत में आए थे. जब मुगल साम्राज्य का पतन हो रहा था तो उन्होंने रोहिलखंड पर नियंत्रण कर लिया था. जिसे उस समय कटेहर के नाम से जाना जाता था. रामपुर में नवाबों के आने से पहले यहां कटेहर राजपूत शासकों का शासन था. रामपुर की स्थापना राजा राम सिंह ने की थी, जिनके नाम पर इस शहर का नाम रखा गया.

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कैसे बनी समृद्ध रियासत
1737 में फैज़ुल्लाह खान ने सम्राट मुहम्मद शाह से कटेहर का इलाका हासिल किया, लेकिन 1746 में अवध के नवाब वजीर के हाथों सब कुछ खो दिया. दो साल बाद उन्होंने भारत पर विजय हासिल करने में अहमद शाह दुर्रानी की मदद की और अपनी सभी पूर्व संपत्तियों को फिर से हासिल कर लिया. अगली दो शताब्दियों में रामपुर राजघराने ने जो पहले एक युद्धरत वंश था अपनी गहरी जड़ें जमा लीं. यहां के नवाबों ने अंग्रेजों की कृपा से देश की सबसे समृद्ध रियासतों में से एक का निर्माण करना शुरू कर दिया.

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​​रामपुर रखा गया नाम
रामपुर रियासत मूल रूप से यह चार गांवों का समूह था. इसका नाम राजा राम सिंह के नाम पर था. पहले नवाब फैज़ुल्लाह खान ने शहर का नाम बदलकर फैजाबाद रखने का प्रस्ताव रखा. लेकिन उस समय देश के कई अन्य स्थान फैजाबाद नाम से जाने जाते थे. इसलिए इसका नाम बदलकर मुस्तफाबाद उर्फ ​​रामपुर कर दिया गया. आगे चलकर ये मुस्तफाबाद के बजाय रामपुर के नाम से ज्यादा मशहूर हुआ. इससे पता चलता है कि नवाब फैजुल्लाह खान को शहर के मूल नाम से कोई विशेष दिक्कत नहीं थी. बल्कि उन्होंने व्यावहारिक कारणों से नाम बदलने का सुझाव दिया था. अंततः शहर को रामपुर के नाम से ही जाना गया. नवाबों ने भी इस नाम को स्वीकार किया और इसके साथ जुड़े रहे. उन्होंने रामपुर को अपनी रियासत की राजधानी के रूप में विकसित किया और इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया. 

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रामपुर में अमीर रजा लाइब्रेरी को कभी नवाब का आधिकारिक दरबार कहा जाता था.

बड़े पदों पर थे हिंदू
रियासत में कई हिंदू वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर कार्यरत थे. नवाब रजा अली खान होली पर भोजपुरी में कविता लिखने के लिए जाने जाते थे. रामपुर राजघरानों ने सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रामपुर में अमीर रजा लाइब्रेरी को कभी नवाब का आधिकारिक दरबार कहा जाता था. इस लाइब्रेरी में अरबी, उर्दू, फारसी और तुर्की में लगभग 15,000 पांडुलिपियां और सातवीं सदी की कुरान भी है. पुस्तकालय में इस्लामी सुलेख के 2,500 नमूने, 5,000 लघु चित्रकारी और 60,000 मुद्रित पुस्तकें हैं. इसके अलावा वाल्मीकि रामायण का अत्यंत दुर्लभ फारसी अनुवाद भी है. जिसके बारे में माना जाता है कि वह सम्राट औरंगजेब की निजी प्रति थी. नवाबों के राज में धार्मिक प्रथाएं लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का उतना ही अभिन्न हिस्सा थीं. जितना कि वे भारत के बाकी हिस्सों में हैं. इसलिए आश्चर्य की बात नहीं है कि यहां सभी धर्मों के त्योहार मिलजुल कर मनाए जाते हैं. 

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आजादी के बाद रियासत
रामपुर के भारत में शामिल होने के तुरंत बाद नवाब ने अपना आधिकारिक शाही निवास रामपुर किला भारत सरकार को सौंप दिया. इस किले का निर्माण 1775 में किया गया था. साथ ही शाही परिसर जैसी कई अन्य संपत्तियां भी सरकार को सौंप दी थी. जिनका उपयोग जिला कलेक्ट्रेट के रूप में किया जाता है. इसमें जिला और सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय भी हैं. बदले में भारत सरकार ने नवाब को दो प्रमुख अधिकार प्रदान किए – उन्हें संपत्तियों का पूर्ण स्वामित्व प्रदान किया गया. और प्रथागत कानून के आधार पर राज्य की गद्दी या शासन के उत्तराधिकार की गारंटी दी गई. जिसके तहत सबसे बड़े बेटे को विशेष संपत्ति अधिकार दिए गए.

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रजा अली की मौत के बाद संपत्ति विवाद
1966 में जब रजा अली खान की मृत्यु हुई तब उनकी तीन पत्नियां, तीन बेटे और छह बेटियां थीं. उनके सबसे बड़े बेटे मुर्तजा अली खान ने परंपरा के अनुसार राज्य के प्रमुख के रूप में उनका स्थान लिया. सरकार ने उन्हें अपने पिता की सभी निजी संपत्तियों का एकमात्र उत्तराधिकारी माना और इस आशय का प्रमाण पत्र जारी किया. लेकिन उनके भाई ने इसे सिविल कोर्ट में चुनौती दी. रामपुर राजघराने के पास पांच शाही संपत्तियां बची हैं, जिन्हें अब परिवार के विभिन्न वारिसों के बीच बांट दिया जाना है. इनमें ग्रीष्मकालीन निवास, खास बाग कोठी, बेनज़ीर और शाहबाद कोठी, सरहरी कुंडा और रामपुर राजघराने का रेलवे स्टेशन शामिल है. इसे शाही परिवार के खास इस्तेमाल के लिए बनाया गया था.

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