Last Updated:May 17, 2025, 17:04 IST
Counter drone system Bhargavastra: भारत की नई स्वदेशी काउंटर-ड्रोन प्रणाली का नाम भार्गवास्त्र है. यह 2.5 किमी तक ड्रोन का पता लगाकर उसे बेअसर कर सकती है. महाभारत काल में भी इसका जिक्र मिलता है. कर्ण ने अर्जुन ...और पढ़ें

इसमें एक साथ 64 माइक्रो मिसाइलें दागने की क्षमता है.
हाइलाइट्स
भार्गवास्त्र 2.5 किमी तक ड्रोन का पता लगाकर बेअसर कर सकता हैभार्गवास्त्र प्रणाली में 64 माइक्रो मिसाइलें दागने की क्षमता हैभार्गवास्त्र भारत की ड्रोन-रोधी तकनीक में बड़ी छलांग हैCounter drone system Bhargavastra: भारत ने स्वदेशी काउंटर-ड्रोन सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इसे ‘भार्गवास्त्र’ नाम दिया गया है. मंगलवार (13 मई) को ओडिशा के तटीय शहर गोपालपुर में सीवार्ड फायरिंग रेंज में इसके माइक्रो रॉकेट का परीक्षण किया गया. यह सफल लांच 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच हुआ है, जिसके बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था.
आइये समझते हैं कि यह भार्गवास्त्र प्रणाली क्या है और यह कैसे काम करती है. इसका जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है. कहा जाता है कि युद्ध में जब अर्जुन और कर्ण का सामना हुआ था तो भार्गवास्त्र का इस्तेमाल किया गया था.
भार्गवस्त्र करेगा ड्रोन का मुकाबला
सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (एसडीएएल) द्वारा डिजाइन और विकसित भार्गवस्त्र 2.5 किमी तक की दूरी पर ड्रोन का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए छोटे रॉकेट का उपयोग करता है. मंगलवार को आर्मी एयर डिफेंस (एएडी) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में माइक्रो रॉकेट के तीन परीक्षण किए गए. इनमें से दो परीक्षण एक-एक रॉकेट लॉन्च करके किए गए. दूसरे परीक्षण में दो सेकंड के भीतर दो रॉकेट दागे गए. सभी चार रॉकेट आवश्यक लांच मापदंडों पर खरे उतरे.
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कैसे काम करता है भार्गवास्त्र?
भार्गवस्त्र प्रणाली 20 मीटर की घातक परिधि वाले ड्रोनों के झुंड को बेअसर करने के लिए अनगाइडेड माइक्रो रॉकेट तैनात करती है. सिस्टम की सुरक्षा की दूसरी परत डायरेक्टेड माइक्रो-मिसाइल है, जो सटीक और प्रभावी लक्ष्य सुनिश्चित करती है. इसमें एक साथ 64 माइक्रो मिसाइलें दागने की क्षमता है. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार इसके रडार की रेंज 6 से 10 किलोमीटर है, जिससे छोटे हवाई खतरों का पता लगाया जा सकता है. चूंकि यह एक मॉड्यूलर सिस्टम है इसलिए सेंसर और शूटर को आवश्यकतानुसार एक साथ रखा जा सकता है. ताकि स्तरीय वायु रक्षा (एडी) कवर प्रदान किया जा सके, जिससे लंबी दूरी पर लक्ष्यों को निशाना बनाने में मदद मिलती है.
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यूएवी को कर देगा बेअसर
एसडीएएल के अनुसार रॉकेटों और माइक्रो-मिसाइलों का उसका स्वदेशी डिजाइन और विकास मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) को बेअसर कर देगा. इस प्रणाली को मौजूदा नेटवर्क-केंद्रित युद्ध इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ भी इंटीग्रेटेड किया जा सकता है. इसका इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (ईओ/आईआर) सेंसर सूट कम रडार क्रॉस-सेक्शन लक्ष्यों की सटीक पहचान सुनिश्चित करता है. भारत के सशस्त्र बलों की खास मांगों को पूरा करते हुए काउंटर-ड्रोन प्रणाली को समुद्र तल से 5,000 मीटर और उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों सहित विविध भूभागों में तैनात किया जा सकता है.
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महाभारत में कहां मिलता है जिक्र
कर्ण-अर्जुन के युद्ध की चर्चा होने पर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि ‘भार्गवास्त्र’ क्या था? यह कहां से आया था? या किसने महाभारत के युद्ध में इसे चलाया? भार्गव अस्त्र’ या जिसे भार्गवास्त्र भी कहा जाता है भगवान् विष्णु के अंशावतार परशुरामजी का अस्त्र था. यह बेहद विनाशकारी माना जाता था. जब कर्ण बचपन में परशुरामजी के पास शिक्षा प्राप्ति के लिए गए थे तो उन्होंने परशुरामजी से भार्गवास्त्र के बारे में सीखा. उस दौर में यह अस्त्र कुछेक महारथियों के पास ही था. मसलन, परशुराम की सारी धनुर्विद्या कर्ण ने सीखी, तो जो-जो अस्त्रविद्या परशुराम जानते थे, वो कर्ण सीखे गए. हालांकि उन्हें अपने झूठ के चलते परशुरामजी ने शाप भी दिया. जिसका खामियाजा कर्ण को अपने अंतिम युद्ध में भुगतना पड़ा.
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कर्ण ने इससे किया पांडव सेना का विनाश
महाभारत के कर्ण पर्व में भार्गवास्त्र के इस्तेमाल का वर्णन है. जब कर्ण के सारे वार अर्जुन की बाणवर्षा से विफल हुए जा रहे थे, तब कर्ण ने भार्गवास्त्र को प्रकट किया. इस अस्त्र ने युद्धभूमि में अपने सामने आयी पांडव सेना को छिन्न-भिन्न कर डाला. साथ ही अर्जुन के महेंद्रास्त्र से प्रकट हुए बाण-समूहों के टुकडे़-टुकडे़ कर दिए. युद्धस्थल में सैकड़ों रथियों, हाथियों और पैदल-सैनिकों का संहार कर डाला. कहा जाता है कि उस दिन कर्ण ने अर्जुन पर दो बार भार्गवास्त्र का प्रयोग किया. महाभारत में सिर्फ कर्ण द्वारा ही इसके इस्तेमाल का जिक्र मिलता है.
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इससे भारत को मिलेगा क्या फायदा
भार्गवास्त्र भारत की ड्रोन-रोधी तकनीक के लिए एक बड़ी छलांग है. SDAL के सूत्रों ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “भार्गवास्त्र सिस्टम ड्रोन लक्ष्यों को खत्म करने के लिए माइक्रो रॉकेट का उपयोग करता है और इसे बड़े पैमाने पर ड्रोन खतरों का तेजी से जवाब देने के लिए डिजाइन किया गया है. इस काउंटर-ड्रोन सिस्टम में इस्तेमाल किए गए मिनी रॉकेट का प्रदर्शन बेहतरीन था. यह काउंटर-ड्रोन युद्ध में एक रणनीतिक छलांग है.” यह प्रणाली सरकार की मेक इन इंडिया नीति को बढ़ावा देगी और भारत की रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी करेगी. परीक्षण देश के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर हुआ है. पिछले दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष चल रहा था, जिसके चलते इस्लामाबाद ने भारतीय सीमा क्षेत्रों में ड्रोन के झुंड भेजे. भारत की वायु रक्षा प्रणालियां हवाई खतरे को बेअसर करने में सफल रहीं, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान होने से बचा जा सका. भारतीय सेना ने बाद में खुलासा किया कि पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा पर 300-400 तुर्की निर्मित सोंगर ड्रोन भेजे. यह नई काउंटर-ड्रोन प्रणाली भविष्य में ऐसे हवाई खतरों को कम करने में मददगार होगी.
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