ये होती है मां... आग में खुद झुलसती रही मगर बाह में समेटे रही 4 बच्चे

6 hours ago

Last Updated:May 19, 2025, 07:33 IST

Hyderabad Fire Tragedy : हैदराबाद के चारमिनार के पास आग में 17 लोगों की मौत हुई, जिनमें 8 बच्चे शामिल थे. यहां एक महिला की लाश मिली, जिसने अपनी बाहों में चार बच्चों को समेट रखा था. यह नजारा जिसने देखा, वो उनकी ...और पढ़ें

ये होती है मां... आग में खुद झुलसती रही मगर बाह में समेटे रही 4 बच्चे

यह घटना मां की ममता और बच्चों के लिए उसके अटूट प्रेम की अमर गाथा बन गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर -AI)

हाइलाइट्स

हैदराबाद अग्निकांड में 17 लोगों की मौत हुई.एक महिला ने आग में झुलसते हुए चार बच्चों को बचाने की कोशिश की.मां की ममता और प्रेम की अमर गाथा बन गई यह घटना.

हैदराबाद में एतिहासिक चारमिनार के पास गुलजार हाउस नामक इमारत में लगी आग से एक तस्वीर ऐसी निकली, जिसने इंसानियत, ममता और दर्द की सारी सीमाएं पार कर दीं. यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक मां की ममता और बच्चों के लिए उसके अटूट प्रेम की अमर गाथा बन गई है. इस हादसे में 17 लोगों की जान चली गई, जिनमें 8 बच्चे शामिल है. लोगों को आग से निकालने के लिए जब कुछ लोग घर के अंदर पहुंचे, तब वहां जो नजारा उन्होंने देखा, वो उनकी आंखों में हमेशा के लिए कैद हो गया.

धुएं और आग से भरे उस घर के पहले माले पर, एक महिला की झुलसी हुई लाश मिली… लेकिन वो अकेली नहीं थी. उसकी बाहों में चार छोटे-छोटे बच्चे थे. इनमें दो लड़कियां, एक लड़का और एक नवजात शिशु था. मौत से पहले के उन आखिरी पलों में वह महिला इन बच्चों को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रही थी. उसके हाथ में एक मोबाइल था, जिसकी टॉर्च जल रही थी… शायद धुएं से अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, मगर मां आखिरी दम तक उम्मीद की रोशनी लिए बच्चों को थामे रही.

दीवार तोड़कर घर में घुसे लोग तो दिखा ये नजारा

महिला को इस हालत में सबसे पहले देखने वालों में मीर जाहिद और मोहम्मद अजमत शामिल थे. ये दोनों बगल वाले घर की दीवार तोड़कर किसी तरह अंदर घुसे थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘जब हम पहली मंजिल पर पहुंचे, तो देखा कि वह महिला चार बच्चों को कसकर पकड़े हुए थी. शायद उसने सोचा होगा कि अपने सीने से लगाकर बच्चों को आग से बचा लेगी.’

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इस दृश्य को देखकर अजमत समझ गए कि कोई जीवित नहीं बचा. वह कहते हैं, ‘हमने तुरंत एक चादर से उन्हें ढक दिया. वो पल मेरी जिंदगी का सबसे भारी पल था. शायद मैं कभी शब्दों में नहीं कह पाऊंगा कि मैंने वहां क्या देखा.’

मां की ममता का कोई मुकाबला नहीं…

यह महिला कौन थी, उसका नाम क्या था… यह सब जानना अब जरूरी नहीं रह जाता. इस महिला ने अपने अंतिम क्षणों में जो किया, वो हर मां की परिभाषा बन गया है. वह अपने बच्चों के लिए मरते दम तक ढाल बनी रही… आग की लपटों से घिरी होने के बावजूद, उन्हें अपनी बाहों में छिपाकर बचाने की कोशिश करती रही.

हैदराबाद अग्निकांड में कुल 17 लोगों की जान गई, लेकिन इस एक मां की कहानी उन तमाम चेहरों से अलग है, क्योंकि यह सिर्फ मौत की नहीं, ममता की भी कहानी है. यह कहानी बताती है कि एक मां अपने बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं कर सकती, आग में झुलसती रही, लेकिन अपने आंचल को ढाल बनाए रखा. इसलिए कहा जाता है… ‘मां का कोई मुकाबला नहीं…’

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Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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