Last Updated:June 20, 2025, 15:42 IST
Sickle Cell Disease: सरकार ने बृहस्पतिवार को 'सिकल सेल' रोग के इलाज के लिए दवा विकसित करने के वास्ते 10 करोड़ रुपए के पुरस्कार की घोषणा की. यह बीमारी भारत की जनजातीय आबादी को विशेष तौर पर प्रभावित करती है.

देस में सिकल सेल के मरीजों को सस्ता इलाज मिल सकेगा.
नई दिल्ली. भारत सरकार ने सिकल सेल जैसी खतरनाक और जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई नेशनल सिकल सेल उन्मूलन मिशन (NSCAEM) के तहत अब गांव-गांव तक इस बीमारी की सस्ती और जल्दी जांच संभव हो गई है. ICMR-NIIH मुंबई और ICMR-CRMCH चंद्रपुर इस मिशन में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. इन संस्थानों ने मिलकर कम लागत वाली जांच किट्स तैयार की हैं जिनसे अब बीमारी की शुरुआती पहचान आसान हो गई है.
सिकल सेल क्या है?
ICMR-NIIH की डायरेक्टर डॉ मनीषा मडकाइकर ने बताया कि सिकल सेल रोग एक अनुवांशिक खून की बीमारी है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं अर्धचंद्राकार (sickle shape) हो जाती हैं. इससे शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है जिससे थकान, दर्द, बुखार, और गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं. इस बीमारी से देश के आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हैं.
2047 तक सिकल सेल उन्मूलन का लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2023 में NSCAEM की शुरुआत की थी. इस मिशन का लक्ष्य है कि भारत की आज़ादी के 100 साल पूरे होने तक यानी 2047 तक, देश को सिकल सेल से मुक्त कर दिया जाए. इस मिशन के तहत 7 करोड़ लोगों की जांच का लक्ष्य रखा गया है. हर जिले में स्क्रीनिंग और जागरूकता,गर्भवती महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता, डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को विशेष ट्रेनिंग शामिल है.
ICMR-NIIH और CRMCH: देश की उम्मीद
मुंबई का ICMR-NIIH पिछले कई दशकों से खून और इम्यून सिस्टम की बीमारियों पर काम कर रहा है।वहीं, चंद्रपुर स्थित ICMR-CRMCH केंद्र आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में सिकल सेल की पहचान, इलाज और जागरूकता के काम को जमीन पर उतार रहा है. सिकल सेल से लड़ाई में इन संस्थानों की कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें अब तक 27 जांच किट्स को वैधता मिल चुकी है।सिकल सेल और थैलेसीमिया की मुफ्त जांच और सलाह, WHO और NHM के साथ मिलकर डॉक्टरों की ट्रेनिंग और मरीजों के लिए फ्री मासिक क्लीनिक और मोबाइल हेल्थ यूनिट शामिल हैं.
सस्ती जांच किट्स से करोड़ों की बचत
सिकल सेल और हीमोफिलिया जैसी बीमारियों की जांच पहले महंगी और सीमित थी. लेकिन अब भारत में बनी Point-of-Care (POC) टेस्ट किट्स ने इसे सस्ता और सुलभ बना दिया है. इन किट्स की मदद से 83,000 से ज़्यादा छिपे मरीजों की पहचान संभव हो गई है.
आदिवासी क्षेत्रों में असरदार काम
ICMR के केंद्रों द्वारा महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश,ओडिशा, झारखंड जैसे राज्यों के आदिवासी इलाकों में स्क्रीनिंग कैंप,स्वास्थ्य शिक्षा सत्र,गर्भवती महिलाओं की जांच,सामुदायिक कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग जैसी गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं ताकि बीमारी की पहचान समय रहते हो सके. मोदी सरकार के नेतृत्व में सिकल सेल से जंग अब निर्णायक मोड़ पर है. ICMR के शोध, केंद्र सरकार की नीतियां और तकनीक की ताकत मिलकर इस गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.
रवि सिंह Special Correspondent
रवि सिंह News 18 India में कार्यरत हैं. पिछले 20 वर्षों से इलेक्ट्रानिक मीडिया में सक्रिय हैं. उनकी मुख्य रूप से रेलवे,स्वास्थ्य,शिक्षा मंत्रालय,VHP और राजनीतिक गतिविधियों पर पकड़ है. अयोध्या में मंदिर की कवरेज...और पढ़ें
रवि सिंह News 18 India में कार्यरत हैं. पिछले 20 वर्षों से इलेक्ट्रानिक मीडिया में सक्रिय हैं. उनकी मुख्य रूप से रेलवे,स्वास्थ्य,शिक्षा मंत्रालय,VHP और राजनीतिक गतिविधियों पर पकड़ है. अयोध्या में मंदिर की कवरेज...
और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi