मोदी के डिनर पार्टी में छाया रहा रूस-यूक्रेन युद्ध, पुतिन ने दिया हिंट

52 minutes ago

Modi-Putin News: भारत और रूस की दोस्ती जगजाहिर है. उसकी बानगी एक बार फिर गुरुवार को दिल्ली में दिखी. जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आए तो सारे प्रोटोकॉल टूट गए. पीएम मोदी ने एयरपोर्ट जाकर वेलकम किया. अपने आवास पर प्राइवेट डिनर पार्टी दी. मगर इस डिनर पार्टी में वह एक मुद्दा छाया रहा, जो पूरी दुनिया की टेंशन है. जी हां, वह है रूस-यूक्रेन जंग. पुतिन के लिए पीएम मोदी की खास डिनर पार्टी में रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा छाया रहा. इसका हिंट हैदराबाद हाउस में भी मिल गया. जब खुद मोदी और पुतिन ने कहा कि वे भी शांति चाहते हैं.

दरअसल, पीएम मोदी की यह डिनर पार्टी और कहीं नहीं बल्कि पीएम हाउस में ही आयोजित की गई थी. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए आयोजित डिनर पार्टी के सेंटर में क्या टॉपिक रहा, इसका हिंट हैदाराबाद हाउस में हुई बैठक के दौरान संकेत दे दिया. जी हां, आज यानी शुक्रवार को पीएम मोदी और पुतिन ने औपचारिक तौर पर हैदराबाद हाउस में बातचीत की. इस बातचीत से साफ हो गया कि दोनों देश रूस-यूक्रेन युद्ध के संकट को लेकर गंभीर हैं और दोनों शांति चाहते हैं.

डिनर पार्टी में मोदी और पुतिन के बीच शांति और सुरक्षा को लेकर कई अहम मुद्दे उठाए गए. मगर सेंटर में यूक्रेन जंग ही रहा. खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बन रही जटिलताओं और वैश्विक असर पर चर्चा हुई. पुतिन का हिंट यह दिखाता है कि दोनों नेता इस जंग के समाधान के लिए रास्ते खोजने पर जोर दे रहे हैं. भारत ने इस युद्ध में हमेशा से संतुलित रुख अपनाया है और शांतिपूर्ण समाधान का पक्ष लिया है. इस डिनर में भी पीएम मोदी ने दोनों पक्षों को बातचीत के जरिए बात निपटाने की सलाह दी. इस बातचीत से यह भी संकेत मिलता है कि भारत भविष्य में इस युद्ध के बाद नई वैश्विक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

हैदराबाद हाउस में क्या हुआ?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को यहां रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के दौरान कहा कि भारत रूस-यूक्रेन संघर्ष में तटस्थ नहीं है, बल्कि शांति के पक्ष में है. पीएम मोदी ने कहा कि यह संघर्ष संवाद और कूटनीति के माध्यम से खत्म होना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं.’ इस दौरान पुतिन ने कहा कि रूस इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान पर काम कर रहा है.

मोदी-पुतिन वार्ता का महत्व
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध ने न केवल दो देशों को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक राजनीति और सुरक्षा तंत्र में भारी बदलाव ला दिया है. इस सन्दर्भ में मोदी-पुतिन डिनर की बातें इस संकट के समाधान और भविष्य की साझेदारी की दिशा तय करने के लिए रणनीतिक रूप से अहम मानी जा रही हैं. भारत ने इस युद्ध को शुरू से ही एक शांतिपूर्ण समाधान की जरूरत बताते हुए अपने संतुलित कूटनीतिक रुख को बनाए रखा है.

पीएम मोदी और पुतिन की केमेस्ट्री देखने लायक है.

मोदी-पुतिन वार्ता में शांति का स्पष्ट संदेश
हैदराबाद हाउस में बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने स्पष्ट किया कि यूक्रेन संकट को लेकर एक संभावित डील पर काम चल रहा है, जिसमें अमेरिका भी शामिल है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भारत ने शुरू से ही शांति के पक्ष में रहते हुए समाधान का रास्ता सुझाया है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी दो टूक कहा कि भारत तटस्थ नहीं है, हम शांति के पक्ष में हैं.

भारत क्यों बन सकता है समाधान की धुरी?
– भारत की भूमिका इसलिए भी विशेष है क्योंकि रूस का भरोसा: रूस ने भारत को लगातार युद्ध की स्थिति से अवगत कराया है. यह दर्शाता है कि मॉस्को भारत को एक भरोसेमंद रणनीतिक साझेदार मानता है.

– पश्चिम के साथ संतुलन: भारत के अमेरिका और यूरोपीय देशों से भी मजबूत रिश्ते हैं. यही संतुलन भारत को एक विश्वसनीय ‘ब्रिज’ बनाता है.

– गैर-पक्षपाती छवि: भारत ने न तो रूस की खुलकर आलोचना की और न ही पश्चिमी दबाव में आकर कोई कठोर कदम उठाया. भारत की यह संतुलित नीति उसकी विश्वसनीयता को बढ़ाती है.

– वैश्विक नेतृत्व की भूमिका: G20 की मेजबानी और विश्व मंच पर सक्रिय कूटनीति के कारण भारत अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में देखा जा रहा है.

युद्ध समाप्ति पर भारत को क्या रणनीतिक लाभ होंगे?
यदि रूस-यूक्रेन युद्ध किसी शांतिपूर्ण समझौते के तहत समाप्त होता है और उसमें भारत की भूमिका निर्णायक रहती है, तो इसके कई बड़े रणनीतिक लाभ होंगे.

1. वैश्विक कूटनीति में भारत की प्रतिष्ठा
भारत एक ऐसे देश के रूप में स्थापित होगा, जिसने दुनिया के सबसे जटिल युद्ध संकट को सुलझाने में भूमिका निभाई. इससे भारत की सॉफ्ट पावर और डिप्लोमैटिक क्लाउट कई गुना बढ़ेगी.

2. ऊर्जा सुरक्षा को स्थिरता
युद्ध की वजह से कच्चे तेल और गैस की कीमतें लगातार अस्थिर रहीं. शांति स्थापित होने से भारत को: सस्ता तेल और गैस मिलने की संभावना बढ़ेगी, ऊर्जा आयात पर खर्च घटेगा और महंगाई पर नियंत्रण आसान होगा.

3. रक्षा और तकनीकी साझेदारी को बढ़ावा
रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार रहा है. युद्ध खत्म होने के बाद भारत नए सैन्य तकनीकी समझौते कर सकता है, हथियारों की सप्लाई सामान्य हो सकती है और संयुक्त निर्माण को रफ्तार मिल सकती है.

4. व्यापार और निवेश में उछाल
युद्ध के कारण वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित हुई है. शांति आने के बाद रूस-भारत व्यापार और तेज होगा, यूरोप के साथ भारत का व्यापार भी स्थिर होगा, विदेशी निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा.

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