Last Updated:December 05, 2025, 14:18 IST
CJi Suryakant : सीजेआई बनने के बाद से जस्टिस सूर्यकांत बेहद सख्त नजर आ रहे हैं. खासकर, उनके कोर्ट में केसों की लिस्टिंग को लेकर. उन्होंने शपथ लेते ही घोषणा किया था कि जरूरी मामलों को तवज्जोह दिया जाएगा. सीजेआई पद की शपथ लेते ही जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि सीनियर एडवोकेट मौखिक मेंशनिंग नहीं कर सकते. किसी खास परिस्थिति में ही मौखिक मेंशनिंग की जा सकती है. शुक्रवार को उन्होंने एक बार फिर से इसे दोहराया है.
केस लिस्टिंग मामले में सीजेआई सूर्यकांत ने किसे सुना दिया?CJi Suryakant : सुप्रीम कोर्ट में पूर्व चीफ जस्टिस बी.आर. सूर्य कांत ने पद संभालते ही साफ कर दिया कि नियमों से कोई समझौता नहीं होगा. उन्हीं की पद चिन्हों पर चलते हुए नए सीजेआई सूर्यकांत ने इन नियमों को दोहराया है. आज दो अलग-अलग मामलों में CJI की बेंच ने एक ही लाइन दोहराई. बेंच की ओर से कहा गया, वरिष्ठ वकीलों द्वारा मेंशनिंग नहीं की जा सकती… अपने जूनियर को ज्ञापन दे दीजिए, हम देख लेंगे. यह सख्ती पूर्व CJI बी.आर. गवई के उस सर्कुलर की सीधी continuity है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि सीनियर एडवोकेट मेंशनिंग नहीं कर सकते. जस्टिस सूर्यकांत ने शपथ लेने के ठीक पहले दिन (24 नवंबर 2025) उन्होंने साफ कर दिया कि अब ओरल मेंशनिंग (मौखिक रूप से अर्जेंट लिस्टिंग की मांग) पूरी तरह बंद। सिर्फ असाधारण परिस्थितियों (जैसे डेथ पेनल्टी या पर्सनल लिबर्टी के केस) में ही मौखिक मेंशनिंग सुनी जाएगी, बाकी सभी के लिए लिखित मेंशनिंग स्लिप अनिवार्य होगी.
CJI जस्टिस सूर्यकांत भी पूर्व CJI बीआर गवई की तरह स्पेशल मेंशनिंग को लेकर सख्त हैं. शुक्रवार को जब एक वरिष्ठ वकील ने मामले की तुरंत सुनवाई के लिए ओरल मेंशनिंग की कोशिश की तो CJI ने साफ कहा, ‘वरिष्ठ वकीलों द्वारा मेंशनिंग नहीं की जा सकती. अपने जूनियर को ज्ञापन दे दीजिए, हम देख लेंगे कि क्या करना है.’ दरअसल, पूर्व CJI गवई ने ही सर्कुलर जारी कर यह व्यवस्था बनाई थी कि सीनियर एडवोकेट ओरल मेंशनिंग नहीं कर सकते, क्योंकि इससे कोर्ट का समय बर्बाद होता है और छोटे वकीलों और जरूरी मामलों को मौका नहीं मिलता. आज CJI सूर्य कांत ने ठीक वही लाइन दोहराई और सर्कुलर का सख्ती से पालन कराया था.
तामिलनाडु मामले पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
वहीं, तमिलनाडु सरकार की याचिका पर भी सीजेआई की टिप्पणी आई. दरअसल, मद्रास HC के आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने थिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर कार्तिगई दीपम के दौरान पत्थर के स्तंभ पर दीप जलाने की अनुमति दी थी. राज्य सरकार ने इसे अवमानना बताते हुए हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि स्तंभ पर दीप जलाना सदियों पुरानी परंपरा है। राज्य सरकार इसे पर्यावरण और सुरक्षा से जोड़ रही है. अब सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई होगी.
कब आया ये बदलाव
यह बदलाव 2024 में पूर्व CJI गवई ने इसलिए लाया था क्योंकि सीनियर वकीलों की मेंशनिंग से कोर्ट का समय बर्बाद होता था और छोटे वकीलों को मौका नहीं मिलता था. CJI सूर्य कांत ने इसे और सख्ती से लागू करना शुरू कर दिया है. वकीलों का कहना है कि इससे कोर्ट की कार्यवाही में अनुशासन आएगा, लेकिन कई सीनियर एडवोकेट इसे “अनावश्यक सख्ती” बता रहे हैं. वहीं, सीजेआई का यह मैसेज कोर्ट रूम में आज जोरदार तरीके से गूंजा कि ‘नियम सबके लिए बराबर.
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दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 05, 2025, 14:18 IST

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