Last Updated:November 09, 2025, 11:36 IST
Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव अंतिम दौर में पहुंच गया है. आज प्रचार का अंतिम दिन है. इस बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा है कि राजद नीतीश के जेडीयू के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी. वह नीतीश कुमार के संपर्क में नहीं हैं.
लालू यादव ने साफ किया है कि वह इस बार नीतीश कुमार के संपर्क में नहीं हैं.Bihar Chunav: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को प्रचार थम जाएगा. दूसरे और अंतिम चरण की वोटिंग मंगलवार को है. इस बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक बड़ी बात कही है. इंडियन एक्सप्रेस अखबार को दिए एक विशेष इंटरव्यू में लालू ने कहा कि इस बार बिहार में चुनाव का मुख्य मुद्दा बेरोजगारी है. अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो वह राज्य से बेरोजगारी दूर करेगी. पत्नी राबड़ी देवी के सरकारी आवास पटना स्थित 10 सर्कुलर रोड पर उन्होंने यह बातचीत की. स्वास्थ्य कारणों से विधानसभा चुनाव प्रचार से पूरी तरह दूर रह रहे लालू यादव ने कहा कि इस बार उनकी पार्टी नीतीश कुमार को सत्ता से हटाएगी.
नीतीश कुमार के साथ फिर से गठबंधन की संभावना से जुड़े एक सवाल पर लालू यादव ने कहा कि अब हम नीतीश कुमार को स्वीकार नहीं करेंगे. इसी से जुड़े एक अन्य काउंटर सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि हम नीतीश के संपर्क में नहीं हैं.
इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि यदि एनडीए जीतता है और भाजपा अगर नीतीश को मुख्यमंत्री नहीं बनाती है तो क्या जेडीयू के मुखिया फिर से महागठबंधन की ओर रुख कर सकते हैं? क्योंकि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बयान देकर हलचल मचा दी थी. उन्होंने कहा था कि एनडीए नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री नवनिर्वाचित विधायकों द्वारा चुना जाएगा. यह बयान नीतीश कैंप को नागवार गुजरा. बाद में कई एनडीए नेताओं ने स्पष्ट किया कि गठबंधन की जीत पर नीतीश ही मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन सवाल बरकरार है. चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने नीतीश की तारीफों के पुल बांधे हैं, बिहार के विकास कार्यों का जिक्र करते हुए लालू के ‘जंगल राज’ पर हमला बोला. लेकिन, सीएम कौन बनेगा यह सवाल अब भी मौजूद है.
बिहार की सियासत में लालू-नीतीश
लालू और नीतीश ने पिछले 35 वर्षों में बिहार की सियासत को बार-बार नया आकार दिया. कभी प्रतिद्वंद्वी रहे तो कभी एक-दूसरे के सहारा बने. 2015 और 2022 में नीतीश ने आरजेडी से हाथ मिलाकर लालू परिवार की प्रासंगिकता बनाए रखी. दोनों बार तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री बनाया. बदले में लालू ने गठबंधन में मुख्यमंत्री पद पर दावा न करके नीतीश को खुला रास्ता दिया.
अखबार लिखता है कि नीतीश की चतुराई से यादव परिवार का वोट बैंक भाजपा की ओर न सरक सका. यदि यादवों का प्रभाव कमजोर पड़ता तो भाजपा स्वतंत्र रूप से मजबूत हो जाती और नीतीश की हैसियत सिकुड़ जाती. नीतीश ने 2005 में लालू से अलग होकर कुर्मी-कोइरी, अत्यंत पिछड़ी जातियों और महादलितों का गठजोड़ बनाया. कुर्मी आबादी का मात्र 2.8 प्रतिशत है, जबकि यादव 14 प्रतिशत से अधिक. भाजपा के साथ ऊपरी जातियों का वोट बैंक जोड़कर नीतीश ने अपना युग शुरू किया. उन्होंने भाजपा पर नियंत्रण रखने के लिए लालू परिवार को प्रासंगिक बनाए रखा.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
और पढ़ें
First Published :
November 09, 2025, 10:47 IST

9 hours ago
