तेल, ताकत और ट्रस्ट की तिकड़ी! सऊदी-अमेरिका के बीच क्या पक रहा जिससे बेचैन है इजरायल

6 hours ago

Saudi Arabia: मध्य पूर्व की राजनीति एक बार फिर करवट ले रही है. सऊदी अरब और अमेरिका के बीच एक नई 'मेगा डील' की चर्चा है. दोनों देशों के बीच जिस डील की चर्चा चल रही वो ना सिर्फ एक दूसरे के आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ा रही है, बल्कि मिडिल ईस्ट में ताकत के संतुलन को थोड़ा हिला रही है. इसमें अब परमाणु सहयोग, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और F-35 लड़ाकू विमानों की डील भी शामिल होने की बात कही जा रही है. इस पूरे मामले को लेकर तीन शब्द गूंज रहे हैं. तेल, ताकत और ट्रस्ट लेकिन इन तीनों के बीच सबसे ज्यादा बेचैनी अगर किसी को है तो वह है इजरायल को.

तेल से तकनीक तक का नया समीकरण

अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्ते की नींव 1945 में 'क्विंसी एग्रीमेंट' से पड़ी थी. तेल के बदले सुरक्षा का वादा. पर अब उस साझेदारी का किरदार बदल चुका है. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) सऊदी अरब को ऊर्जा निर्यातक देश से एक तकनीकी और निवेश शक्ति में बदलना चाहते हैं. Vision 2030 के तहत वे अर्थव्यवस्था को तेल से हटाकर अन्य क्षेत्रों पर भी निर्भर करना चाहते हैं. अमेरिका इस डील के जरिए सऊदी अरब को चीन और रूस के प्रभाव से दूर रखना चाहता है. वहीं सऊदी अरब चाहता है कि उसे अमेरिका से उन्नत हथियार और सैन्य गारंटी मिले. ठीक वैसे ही जैसे इजराइल को दशकों से मिलती आई है.

F-35 डील: सऊदी के पंख, इजरायल की बेचैनी

नवंबर 2025 में एक बड़ी खबर आई था कि सऊदी अरब के F-35 फाइटर जेट सौदे ने अमेरिकी पेंटागन की पहली बड़ी मंजूरी पार कर ली है. इस प्रस्ताव में सऊदी अरब को 48 F-35 जेट देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. यह वही विमान हैं जिन्हें 'स्टेल्थ टेक्नोलॉजी' और 'नेटवर्क वॉरफेयर' की वजह से दुनिया के सबसे एडवांस्ड जेट माना जाता है. हालांकि अभी यह अंतिम मंजूरी अमेरिकी कैबिनेट, राष्ट्रपति और कांग्रेस से मिलनी बाकी है. 

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क्या बदल रही है अमेरिका की प्राथमिकता?

अगर अमेरिका की तरफ से इस डील पर मुहर लग जाती है तो इजरायल को सबसे बड़ा डर यही है सऊदी अरब के पास F-35 जैसे खतरनाक लड़ाकू विमान पहुंच गए तो मिडिल ईस्ट में दशकों से कायम उसका सैन्य संतुलन हिल जाएगा. इजराइल यह मानता है कि मध्य पूर्व में उसकी सुरक्षा इस बात पर टिकी है कि कोई और देश उसके बराबर की वायु या साइबर क्षमता हासिल न करे. इजरायल को डर है कि अमेरिका उसकी प्राथमिकता लिस्ट में नीचे खिसक गया है.

क्या है क्विंसी एग्रीमेंट?

क्विंसी एग्रीमेंट (Quincy Agreement) एक ऐतिहासिक समझौता है जो 14 फरवरी 1945 को अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट और सऊदी अरब के संस्थापक राजा अब्दुल अजीज इब्न सऊद के बीच हुआ था. यह समझौता अमेरिका और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी की नींव माना जाता है. द्वितीय विश्व युद्ध के आखिरी दौर में अमेरिका को अपनी ऊर्जा जरूरतों और मध्य पूर्व की रणनीतिक स्थिति का महत्व समझ में आ गया था. सऊदी अरब में तेल की खोज के बाद अमेरिका ने इस देश को अपनी विदेश नीति का केंद्र बनाना शुरू किया.

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