Last Updated:November 09, 2025, 13:50 IST
Bihar Chunav Surname Name Politics: बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद चुनावी विश्लेषकों और सर्वे एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह वोटर के सरनेम से उनकी जाति का सही अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं. बिहार में एक ही उपनाम जैसे 'चौधरी' अलग-अलग जातियों भूमिहार, कुर्मी, ब्राह्मण, पासी सहित कई जातियों में पाया जाता है.
बिहार चुनाव 2025 सरनेम के मकड़जाल में उलझ गई.पटना. बिहार चुनाव 2025 में वोटरों के जाति और सरनेम के चलते सर्वे वाले और कुछ खोजी पत्रकार परेशान हैं. सर्वे करने वाली एजेंसी को समझ नहीं आ रहा है कि पहले फेज के 121 सीटों की वोटिंग के बाद कौन आगे है और कौन पीछे. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पहला चरण समाप्त हो गया है, लेकिन चुनावी रणनीतिकारों और सर्वे एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है. यह चुनौती है बिहार के वोटरों की अद्वितीय पहचान से जुड़ी. दरअसल, वोट डालने के बाद जब पत्रकार और एजेंसी के लोग वोटर का नाम और सरनेम पूछकर उसकी जाति का अनुमान लगाते हैं तो ‘सरनेम के घनचक्कर’ में उनका सारा ज्ञान बिगड़ जाता है. बिहार की राजनीति जाति पर आधारित है, लेकिन यहां के उपनामों की जटिलता ने समीकरण को इतना पेचीदा बना दिया है कि यह पता लगाना मुश्किल है कि कौन किस पार्टी को वोट दे रहा है.
‘चौधरी’ एक सरनेम और कई जातियां
बिहार में कई ऐसे सरनेम हैं, जो सवर्णों से लेकर ओबीसी और दलित तक की जातियों में समान रूप से इस्तेमाल होते हैं. उदाहरण के लिए ‘चौधरी’ उपनाम को लेते हैं. बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से आते हैं. उनके नाम में भी सरनेम चौधरी है. वहीं जेडीयू के बड़े नेता विजय चौधरी के नाम में भी सरनेम है, लेकिन वह भूमिहार यानी सवर्ण जाति से आते हैं. वहीं, द प्लूरल्स पार्टी की पुष्पम प्रिया चौधरी के नाम में भी चौधरी है लेकिन वह ब्राह्मण यानी सवर्ण जाति से आती हैं.
इसी तरह आरजेडी के नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी यादव जाति से आते हैं, लेकिन उनके नाम में चौधरी है. हाल ही में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर के निशाने पर रहे अशोक चौधरी पासी समुदाय यानी दलित वर्ग से आते हैं, लेकिन वह सरनेम में चौधरी लगाते हैं. इसी तरह उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे मदन चौधरी की जाति कलवार वैश्य है, लेकिन वह चौधरी लिखते हैं. मदन चौधरी भी ओबीसी वर्ग से आते हैं.
क्यों परेशान हैं सर्वे एजेंसियां?
बिहार को करीब से जानने वाले कहते हैं कि यह जटिलता केवल ‘चौधरी’ तक सीमित नहीं है. ‘सिंह’ उपनाम राजपूत, भूमिहार और कुछ अन्य पिछड़ी जातियों में भी मिलता है. इसी तरह, ‘प्रसाद’ और ‘सिन्हा’ जैसे सरनेम भी कई जातियों में बंटे हुए हैं. वोटिंग के बाद एग्जिट पोल और सर्वे करने वाली एजेंसियों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे वोटर से सीधे जाति पूछने से बचते हैं, क्योंकि अक्सर लोग सही जानकारी नहीं देते. इसलिए, वे नाम और सरनेम के आधार पर जाति का अनुमान लगाकर अपने सैंपल को भरते हैं, लेकिन बिहार में यह तरीका फेल हो जाता है.
सरनेम से क्यों हो रहे कन्फ्यूज?
अगर कोई वोटर ‘विजय चौधरी’ कहता है, तो विश्लेषक के लिए यह तय करना मुश्किल है कि वह भूमिहार है या कुर्मी या फिर ब्राह्मण. इससे उनके द्वारा तैयार किया गया जातिगत समीकरण पूरी तरह से गलत हो जाता है. वोटिंग के बाद भी यह पता नहीं चल पाता कि कौन सा वोट बैंक किस पार्टी की तरफ एकजुट हुआ है. यह ‘सरनेम का घनचक्कर’ एक बात साफ करता है कि बिहार में जातिगत राजनीति की जड़ें कितनी गहरी हैं. भले ही नाम समान हों, लेकिन हर जाति का राजनीतिक रुझान अलग है. उदाहरण के लिए, ‘चौधरी’ सरनेम का भूमिहार वोटर ज्यादातर एनडीए के साथ रहता है, जबकि यादव ‘चौधरी’ वोटर आरजेडी के पक्ष में झुका रहता है.
बिहार चुनाव 2025 के पहले फेज में बंपर वोटिंग हुई है. आरजेडी ने दावा किया है कि जब-जब राज्य में 60 प्रतिशत से अधिक वोटिंग हुई है, आरजेडी की सरकार बनी है. उदाहरण के लिए 1990, 1995 और 2000 में लालू-राबड़ी की सरकार बनी है. लेकिन साल 2005 से लेकर 2020 तक 60 प्रतिशत से कम वोट होने पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार बनी है. ऐसे में इस बार के चुनाव में जटिल जातिगत संरचना के चलते यह पता लगाना कठिन है कि वोट किसके पक्ष में गया है. यही कारण है कि बिहार के नतीजे हमेशा एग्जिट पोल के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहे हैं और इस बार भी सरनेम का यह घनचक्कर नतीजों के दिन तक सस्पेंस बनाए रखेगा.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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Location :
Patna,Patna,Bihar
First Published :
November 09, 2025, 13:50 IST

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