Last Updated:April 10, 2025, 14:22 IST
Vijay Malya vs SBI : भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के समूह ने विजय माल्या के खिलाफ बड़ा केस जीत लिया है. इस जीत के बाद भारतीय बैंकों को माल्या की लंदन स्थित संपत्तियां बेचकर कर्ज ...और पढ़ें

भारतीय बैंकों ने विजय माल्या के खिलाफ दिवालिया केस जीत लिया है.
हाइलाइट्स
विजय माल्या के खिलाफ भारतीय बैंकों ने लंदन में केस जीता.माल्या की लंदन संपत्तियां बेचकर कर्ज वसूली का रास्ता साफ.लंदन अदालत ने माल्या को दिवालिया घोषित किया.नई दिल्ली. भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के समूह ने माल्य के खिलाफ लंदन की अदालत में एक बड़ा मुकदमा जीत लिया है. इस जीत के बाद भारतीय बैंकों के लिए माल्या की लंदन स्थित प्रॉपर्टीज बेचकर अपना कर्ज वसूलने का रास्ता साफ हो गया है. लंदन की अदालत ने अपने फैसले में विजय माल्या को पक्के तौर पर दिवालिया घोषित कर दिया है, जिसके बाद उसकी संपत्तियां बेचकर वसूली करने की राह खुल गई है.
एसबीआई की अगुवाई वाले भारतीय बैंकों के समूह की यह कानूनी लड़ाई लंबे समय से चल रही थी. इसमें बैंकों ने माल्या की बंद हो चुकी कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस पर बकाया कर्ज की वसूली की इजाजत मांगी गई थी. इसके तहत बैंकों ने माल्या के खिलाफ दिवाला कार्यवाही शुरू करने का आदेश बरकरार रखने के लिए लंदन की अदालत में दायर अपील जीत ली. इसका मतलब है कि लंदन की शीर्ष अदालत ने भी विजय माल्या दिवालिया घोषित कर दिया है.
विजय माल्या की अपील खारिज
लंदन उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एंथनी मान ने भारतीय बैंकों के पक्ष में फैसला सुनाया और 69 वर्षीय व्यवसायी माल्या की तरफ से दायर दो अपीलों को खारिज कर दिया. इसमें माल्या ने साल 2021 में खुद को दिवालिया घोषित किए जाने वाले निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी. माल्या को भारत में धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के लिए भगोड़ा घोषित किया जा चुका है.
फैसले में क्या बोले जज
न्यायमूर्ति मान ने कहा कि बैंकों की दलील ऐसी थी जिसे उन्हें स्वीकार करना ही था. इस संबंध में मुख्य बात यह है कि दिवाला कार्यवाही का आदेश कायम है. भारतीय बैंकों का प्रतिनिधित्व करने वाली कानूनी फर्म टीएलटी एलएलपी ने कहा कि इस फैसले से यह पुष्टि होती है कि बैंकों के पास माल्या की संपत्तियों पर कोई सुरक्षा नहीं है और दिवाला अर्जी सही थी. अदालत ने भी यह पाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त की गई संपत्तियों से प्राप्तियां सशर्त थीं और ब्रिटिश कानून के तहत कर्ज से मुक्ति नहीं देती हैं.
12 हजार करोड़ की वूसली पर काम
टीएलटी एलएलपी के कानूनी निदेशक निक कर्लिंग ने कहा कि यह बैंकों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला है. टीएलटी को यह परिणाम मिलने पर प्रसन्नता है, क्योंकि माल्या के खिलाफ प्राप्त 1.12 अरब पाउंड (12,435) के डीआरटी (ऋण वसूली न्यायाधिकरण) के फैसले के संबंध में साल 2017 से ही बैंकों के लिए काम किया जा रहा है. यह मामला 2017 का है जब भारतीय बैंकों के समूह ने डीआरटी के फैसले को ब्रिटेन की अदालतों में दर्ज किया था, जो किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज के संबंध में माल्या द्वारा प्रदान की गई व्यक्तिगत गारंटी से संबंधित था. बैंकों ने सितंबर, 2018 में माल्या के खिलाफ दिवाला अर्जी दायर की जिसका उन्होंने कई आधारों पर विरोध किया था.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 10, 2025, 14:22 IST