Last Updated:July 30, 2025, 12:28 IST
Barmer News : मां का अपने बच्चों के प्रति प्यार कभी कम नहीं होता है चाहे वह किसी भी हालत में हो. भगवान ने इस रिश्ते को सबसे बड़ा और ऊपर बनाया है. बाड़मेर में बिछड़े मां-बेटे की भावुक कर देने वाली कहानी सामने आई...और पढ़ें

हाइलाइट्स
मां-बेटे का 39 महीने बाद भावुक मिलन हुआ.परविंदर कौर मानसिक अस्थिरता के कारण घर से भटकी थी.पटियाला शब्द ने परविंदर के परिवार को ढूंढने में मदद की.बाड़मेर. ‘मां चाहे जितनी भी नाराज हो, लेकिन उसकी ममता कभी नहीं मरती’. यह कहावत बाड़मेर में मंगलवार को उस समय बिल्कुल सजीव हो उठी जब मानसिक अस्थिरता और घरेलू कलह के चलते अपने घर से भटकी परविंदर कौर 39 महीने बाद अपने बेटे से गले मिली. यह दृश्य न केवल भावुक कर देने वाला था बल्कि राजस्थान सरकार की ओर से चलाई जा रही पुनर्वास की शक्ति और मानवीय संवेदनाओं की जीत का उदाहरण भी बन गया. परविंदर और उसके परिवार के मिलन के गवाह कई लोग बने. उस समय के माहौल में वहां मौजूद कोई भी शख्स अपने आंसू नहीं रोक पाया.
जानकारी के अनुसार पंजाब के पटियाला निवासी 37 साल परविंदर कौर तीन बच्चों की मां है. वह 2 अप्रैल 2022 को अपने पति दमनदीप सिंह से अनबन के बाद मानसिक तनाव में आ गई और घर से निकल गई थी. रास्ता भटकते हुए 5 अप्रैल 2022 को वह राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर पहुंच गईं. यहां सदर थाना पुलिस ने उन्हें सहारा देते हुए पुनर्वास गृह भेज दिया. हालांकि प्रारंभिक पूछताछ में परविंदर ने अपना नाम-पता नहीं बताया. मानसिक अस्वस्थता की स्थिति में वह चुप्पी साधे रही. इसके कारण उसके परिजनों का कोई सुराग नहीं लग सका.
हमारे जीवन में इससे बड़ा खुशी का पल और कोई नहीं है
पुनर्वास में बीतते समय के दौरान एक दिन उसने वहां एक महिला को अपने बच्चों से मिलते देखा. उस दृश्य ने परविंदर की ममता को जगा दिया. उसने भी अपने बच्चों से मिलने की इच्छा जताई. परविंदर कौर की मां का कहना है कि हमने अपनी बेटी को खूब ढूंढा लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला. हमने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करवाई. पोस्टर लगवाए लेकिन परविंदर का कहीं पता नहीं लगा. लेकिन मेरा मन कहता था कि मेरी बेटी जरूर लौटकर आएगी. हमने उम्मीद नहीं छोड़ी. मेरे बेटों ने भी अपनी बहन को खूब ढूंढा. तीन सालों से उनकी कलाई राखी के बिना सूनी थी. छोटे बेटे की शादी थी लेकिन मन में एक ही सवाल था कि बहन के बिना सेहरा कौन बढ़ाएगा. लेकिन सेहरे और राखी से पहले परविंदर कौर मिल गई. आज हमारे जीवन में इससे बड़ा खुशी का पल और कोई नहीं है.
‘पटियाला’ शब्द ने दिखाई मिलन की राह
परविंदर कौर को परिजनों से मिलाने का जिम्मा संभाला सत्य साईं अंध मूक बधिर स्कूल के प्रधानाचार्य अनिल शर्मा ने. उन्होंने इसके लिए काफी प्रयास किए. बार-बार परविंदर से बातचीत की. इस दौरान परविंदर के मुंह से ‘पटियाला’ शब्द निकला. यह अनिल शर्मा के लिए एक बड़ा सुराग था. काफी खोजबीन और स्थानीय लोगों की मदद से परविंदर के परिवार का पता चला और परिजनों से संपर्क किया गया.
तीन साल बाद भाइयों की कलाई पर बंधेगी राखी
मंगलवार को 39 महीनों के लंबे इंतजार के बाद परविंदर का छोटा भाई सुखप्रीत सिंह, मां जसप्रीत कौर और बेटा सुखविंदर उसे लेने बाड़मेर पहुंचे. बेटे को सामने देख परविंदर की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले. बेटे ने भी मां से लिपटते हुए भावनाओं का सैलाब बहा दिया. पुनर्वास गृह का हर सदस्य, स्टाफ और वहां रह रहे अन्य लाभार्थी इस मिलन के गवाह बने और वे भी अपनी भावनाएं नहीं रोक पाए. बीते तीन रक्षाबंधनों से भाइयों की कलाई बहन की राखी के बिना सूनी रह रही थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. अब परविंदर के लौटने से परिवार में फिर से रौनक लौट आई है. भाइयों के चेहरों पर मुस्कान और आंखों में आंसू थे. यह एक नई शुरुआत थी और एक उम्मीद का पुनर्जन्म भी.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Barmer,Barmer,Rajasthan