Last Updated:September 13, 2025, 19:41 IST
PM Modi Manipur Visit: PM मोदी ने मणिपुर में विकास परियोजनाएं शुरू कर शांति का संदेश दिया. नया सीजफायर समझौता उम्मीद जगाता है, लेकिन मैतेई-कुकी अविश्वास के चलते स्थायी समाधान चुनौती बना हुआ है.

इंफाल/चूड़ाचांदपुर: मणिपुर में हिंसा और अविश्वास की लंबी छाया के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दौरा सिर्फ विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भर नहीं था. यह दौरा राजनीतिक संदेश, शांति का नया फॉर्मूला और केंद्र की इच्छाशक्ति का पैमाना भी था. प्रधानमंत्री ने इंफाल में 1,200 करोड़ रुपए से ज्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए मणिपुर को मां भारती का मुकुट रत्न बताया. उन्होंने कहा कि हिंसा हमारे पूर्वजों और आने वाली पीढ़ियों के साथ अन्याय है. हमें मणिपुर को शांति और विकास के रास्ते पर ले जाना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी सुभाष ने मणिपुर को आजादी का द्वार कहा था. यही वजह है कि सरकार यहां कोर इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी पर जोर दे रही है. मोदी ने मणिपुर शहरी सड़क परियोजना और इन्फोटेक विकास परियोजना जैसे प्रोजेक्ट्स को भविष्य की रीढ़ बताया. उन्होंने कहा कि नॉर्थ-ईस्ट का समय आ चुका है और सरकार इसे नई ऊर्जा देने के लिए काम कर रही है.
चूड़ाचांदपुर में उन्होंने 7,300 करोड़ रुपए की आधारशिला रखते हुए मणिपुर की जनता को भरोसा दिलाया, ‘मैं साथ हूं.’ उन्होंने कहा कि हाल ही में हिल्स और वैली के संगठनों से जो बातचीत हुई है, वह संवाद और सम्मान पर आधारित है. मोदी ने सभी संगठनों से अपील की कि वे शांति की राह पर चलकर अपने सपनों को पूरा करें.
लेकिन असली सवाल यही है, क्या यह शांति फॉर्मूला काम करेगा?
दरअसल, मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष ने मणिपुर को झुलसा दिया है. करीब 260 लोगों की जान गई और 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए. केंद्र ने हाल ही में कुकी उग्रवादी संगठनों KNO और UPF के साथ नया सीजफायर समझौता किया. इसके साथ ही कुकी-जो सिविल सोसाइटी संगठन से राष्ट्रीय राजमार्ग-02 खोलने का ऐलान भी हुआ. लेकिन मैतेई और कुकी-जो संगठनों ने तुरंत इसका विरोध कर दिया.
मैतेई प्रतिनिधि संगठन COCOMI ने इसे ‘धोखा’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह कदम उन ‘सशस्त्र नार्को-टेररिस्ट’ समूहों को वैधता देता है, जिन्हें पहले खत्म करने का संकल्प लिया गया था. दूसरी ओर कुकी-जो संगठनों के भीतर भी अलग-अलग बयान आए. एक तरफ कहा गया कि NH-02 खुलेगा, वहीं दूसरी ओर गांव स्तरीय संगठन ने इसे खारिज कर दिया.
यानी केंद्र का शांति समझौता विरोधाभासी बयानों में उलझ गया. यह दिखाता है कि गहरी अविश्वास की खाई अब भी पटी नहीं है.
मणिपुर में संघर्ष का चार दशक पुराना इतिहास
मणिपुर का इतिहास भी यही बताता है. 1990 के दशक में कुकी-नगा और कुकी-जो उपसमुदायों के बीच भीषण संघर्ष हुआ था. हजारों घर जलाए गए, हजारों लोग विस्थापित हुए. उस दौर में भी शांति सिर्फ कागजों पर आई थी, जमीन पर नहीं.
अब सवाल है कि नया SoO (Suspension of Operations) समझौता कितनी दूर तक जाएगा. इसमें यह वादा किया गया है कि मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता बनी रहेगी. यह शर्त मैतेई पक्ष की मांग के अनुकूल है. लेकिन कुकी-जो समूहों के भीतर ‘अलग प्रशासन’ की आवाज अब भी उठ रही है. यही सबसे बड़ा टकराव बिंदु है.
कांग्रेस और विपक्षी दल मोदी पर आरोप लगा रहे हैं कि वे 29 महीने बाद मणिपुर आए हैं. विपक्ष कह रहा है कि यह देर से दिया गया ‘मरहम’ है. वहीं बीजेपी का तर्क है कि केंद्र ने हर स्तर पर सुरक्षा और विकास दोनों के प्रयास किए हैं.
क्या केंद्र के प्लान से मणिपुर में निकलेगा शांति का सूरज?
प्रधानमंत्री का ‘मैं साथ हूं’ संदेश भावनात्मक जरूर है, लेकिन जमीन पर शांति तब ही टिकेगी जब दोनों समुदाय भरोसे के साथ आगे बढ़ें. सड़कें और रेल कनेक्टिविटी विकास का रास्ता खोल सकती हैं, लेकिन दिलों की खाई पाटना राजनीतिक इच्छाशक्ति और धैर्य की सबसे बड़ी परीक्षा होगी.
केंद्र का शांति फॉर्मूला इस बार सफल होगा या नहीं, यह मणिपुर के पहाड़ों और घाटियों में अगले कुछ महीनों में साफ हो जाएगा. फिलहाल, मोदी का यह दौरा उम्मीदों की किरण तो जगा रहा है, लेकिन डर और अविश्वास का अंधेरा अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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First Published :
September 13, 2025, 19:41 IST