Last Updated:July 30, 2025, 12:29 IST
Earth Quake: कई जगह बड़े भूकंप से पहले ही हजारों सांप धरती के नीचे से बाहर निकल आए और बदहवास से इधर- उधर भागते देखे गए. क्या सांपों को भूकंप आने से घंटों पहले ही इसका पता लग जाता है.

हाइलाइट्स
सांप भूकंप से पहले असामान्य व्यवहार दिखाते हैंसांप भूकंप से पहले विद्युत-चुंबकीय बदलाव महसूस करते हैंचीन और इंडोनेशिया में भूकंप से पहले सांप बाहर निकल आएरूस के समुद्र तटीय इलाके कमचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप आने के बाद दुनिया हिली हुई है. भूकंप केवल जानमाल की हानि ही नहीं होती बल्कि नेचर में भी बड़ा उलटफेर देखने को मिलता है. सांपों को जमीन के नीचे रहने की वजह से भूकंप आने का पता पहले ही चल जाता है. दुनिया में कुछ ऐसी भूकंप की घटनाएं दर्ज की गईं जब हजारों सांप उसके आने से पहले ही बाहर निकल आए.
सांप भूकंप से पहले हरकत में आ जाते हैं. कुछ रिपोर्ट्स और वैज्ञानिक ऑब्ज़र्वेशन से पता चला है कि सांप भूकंप आने से पहले असामान्य व्यवहार दिखाते हैं. अपने बिलों से बाहर निकल आते हैं. अजीब तरीके से घूमते हैं या घबराए से लगते हैं. कुछ तो ठंड में भी बाहर आ जाते हैं जबकि वे आमतौर पर हाइबरनेशन में रहते हैं.
कैसे पहले से ही महसूस कर लेते हैं इसे
सांप धरती के नीचे होने वाले छोटे-छोटे कंपन और विद्युत-चुंबकीय बदलावों को भी महसूस कर सकते हैं. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि वे भूकंप से पहले होने वाली इन सूक्ष्म गतिविधियों को महसूस कर लेते हैं. जब भूकंप आता है, तो ज़्यादातर जानवरों की तरह सांप भी अपने बचाव के लिए किसी सुरक्षित जगह की ओर भागते हैं या स्थिर हो जाते हैं.
जमीन से कितना नीचे रहते हैं
अधिकांश सांप जमीन की सतह से 30 सेंटीमीटर से 1 मीटर गहराई तक बिलों या दरारों में रहते हैं, खासकर गर्मियों या ठंड से बचने के लिए. हाइबरनेशन के दौरान यानि सर्दियों में किंग कोबरा या रैटलस्नेक ठंडी जगहों पर 1.5 से 3 मीटर (5 से 10 फीट) गहराई तक भी छिप सकते हैं. इसे हाइबरकुलम कहते हैं, एक सुरक्षित जगह जहां वे मौसम के ख़राब दौर में रहते हैं.
सांप धरती से नीचे बिल बनाकर रहते हैं. ये बिल जमीन में आधे से एक मीटर नीचे हो सकते हैं. कई बार इससे ज्यादा भी. जाड़ों में तो वो बिल में ही घुसे रहते हैं. बाहर ही नहीं निकलते. (news18)
कई शोध बताते हैं कि सांप और अन्य जानवर भूकंप से पहले की सूक्ष्म गतिविधियों को महसूस कर लेते हैं. इससे प्रेरित होकर कुछ देशों ने जानवर-आधारित चेतावनी सिस्टम विकसित करने की कोशिश भी की.
भूकंप से पहले बहुत से सांप बाहर निकल आए
दुनिया में कई ऐसे भूकंप दर्ज किए गए कि उसके आने से पहले ही बहुत सारे सांप अचानक बाहर निकल आए. इन घटनाओं ने वैज्ञानिकों और आम लोगों दोनों को हैरान किया. क्योंकि सांप आमतौर पर गुप्त और छिपकर रहने वाले जीव होते हैं. ठंड में तो वो धरती में नीचे बिल बनाकर दुबक जाते हैं.
चीन में कड़ाके की ठंड में भी हजारों सांप निकलकर भागने लगे
1920 में चीन के निगशिया प्रांत के हाइयुआन में भूकंप आया. ये कड़ाके की बर्फीली ठंड का समय था. भूकंप काफी तगड़ा था. इसकी तीव्रता रिचर स्केल पर 8.5 थी. इसमें दो लाख से अधिक मौतें हुईं.भूकंप से कुछ घंटे पहले ही हज़ारों सांप ठंड के मौसम में भी अपने बिलों से बाहर निकल आए. इधर उधर भागने लगे. तब यह क्षेत्र में तापमान -10°C तक गिर चुका था. फिर भी सांप खुले में देखे गए, जो आमतौर पर असंभव है. सांपों के इस व्यवहार को आज भी याद किया जाता है.
चीन के निगशिया प्रांत के हाइयुआन में 1920 में तेज भूकंप आया. कड़ाके की ठंड थी लेकिन इसके बावजूद हजारों सांप बिलों से बाहर निकलकर भागने लगे. ( Meta AI)
भूकंप से एक दिन पहले ही झुंड के झुंड निकलते देखे गए
इसी तरह चीन के टांगशान प्रांत के युशान में 1976 में जबरदस्त भूकंप आया. दिन था 28 जुलाई 1976. भूकंप की तीव्रता रिचर स्केल पर 7.6 थी. इसमें दो लाख 40 हजारों लोगों की जान गई. भूकंप से एक दिन पहले ही सांपों के झुंड के झुंड बाहर निकलते देखे गए. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि जानवर (सांप, मछलियाँ, कुत्ते) सभी अजीब व्यवहार कर रहे थे. इस घटना ने चीन को “जानवरों से पूर्व चेतावनी प्रणाली” पर शोध करने के लिए प्रेरित किया.
इंडोनेशिया में रात में सांपों ने घरों में घुसने की कोशिश की
इंडोनेशिया के जोगजकार्ता में 27 मई 2006 के दिन बड़ा भूकंप आया. रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.3. ग्रामीण इलाकों से रिपोर्ट मिली कि सांपों और अन्य सरीसृपों बड़ी संख्या में रात में ही बाहर निकल आए थे. गांव वालों ने बताया कि कई सांपों ने घरों के पास घुसपैठ की कोशिश की, जो मौसम और समय के लिहाज़ से अजीब था.
गुजरात के भुज में भी बड़ी संख्या में सांप बाहर निकल आए थे
भारत में भी ऐसा हुआ. गुजरात के भुज में वर्ष 2001 में भूकंप आया. दिन था 26 जनवरी. रिक्टर स्केल पर ये 7.7 तीव्रता का था. स्थानीय रिपोर्ट्स में बताया गया कि भूकंप के बाद बड़ी संख्या में सांप इलाकों में बाहर निकले हुए देखे गए. राहत शिविरों और खुले मैदानों में सांपों से संबंधित कुछ काटने की घटनाएं भी दर्ज की गईं. माना गया कि ज़मीन के नीचे उनके बिल नष्ट हो गए थे, इसलिए वे बाहर आ गए. ऐसा ही नेपाल में 2005 में आए भूकंप के दौरान हुआ. 2004 के सुनामी और भूकंप के बाद दक्षिण एशिया में सांप काटने के मामलों में वृद्धि देखी गई.
वैज्ञानिक क्या कहते हैं
वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि सांप और अन्य सरीसृप पृथ्वी की प्लेटों में कंपन, विद्युत-चुंबकीय तरंगों और गैस उत्सर्जन को पहले ही महसूस कर लेते हैं. इसी वजह से वे भूकंप से पहले या उसके दौरान जमीन के नीचे से बाहर आ जाते हैं.
उन्हें समझ में नहीं आता कि हो क्या रहा है
वैसे भूकंप के समय ज़्यादातर सांप धरती से इसलिए बाहर निकल आते हैं कि उन्हें समझ में ही नहीं आ पाता कि हो क्या रहा है. वे स्थिर रहते हैं या किसी दरार या गड्ढे में घुस जाते हैं. लिहाजा भूकंप के मलबों में अक्सर सांप छिपे मिल सकते हैं. भूकंप के बाद जब लोग खुले में सोते हैं, तो सांप अंधेरे में बिस्तरों या टेंटों के पास आ सकते हैं, ऐसे में अनजाने में पैर रखने या करवट लेने पर काट सकते हैं.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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