Last Updated:October 23, 2025, 21:09 IST
Gaganyaan Mission Update: इसरो चीफ वी. नारायणन ने गगनयान मिशन को लेकर खुशखबरी दी है. उन्होंने कहा है कि भारत के गगनयान मिशन का 90% विकास कार्य पूरा हो चुका है. तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 2025-26 में भेजने की तैयारी अंतिम चरण में है.

नई दिल्ली: भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ की तैयारियां अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन ने बताया कि मिशन से जुड़ा लगभग 90 प्रतिशत विकास कार्य पूरा हो चुका है और सभी तकनीकी परीक्षण तय समय पर प्रगति कर रहे हैं. यह मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा, जिन्होंने अपने दम पर इंसान को अंतरिक्ष में भेजा है.
इसरो प्रमुख ने कहा कि “गगनयान मिशन बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है. हमने सभी आवश्यक तकनीकों को विकसित कर लिया है. रॉकेट का ह्यूमन रेटिंग प्रोसेस, ऑर्बिटल मॉड्यूल की डिजाइन और पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली लगभग पूरी हो चुकी है.” उन्होंने यह बयान इमरजिंग साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कॉनक्लेव (ESTIC-2025) कार्यक्रम के दौरान दिया.
गगनयान मिशन: भारत की अंतरिक्ष यात्रा का स्वप्न
गगनयान मिशन का उद्देश्य भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता को प्रदर्शित करना है. इसके तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की सतह से 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में तीन दिनों तक भेजा जाएगा. इसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से भारतीय जलक्षेत्र में उतारा जाएगा. यह पूरा मिशन भारत में विकसित तकनीकों और स्वदेशी संसाधनों से पूरा किया जा रहा है.
90% डेवलपमेंट पूरा, अंतिम परीक्षण की तैयारी
वी. नारायणन ने कहा कि मिशन के कई अहम घटक जैसे मानव-रेटेड रॉकेट, ऑर्बिटल मॉड्यूल, और इमरजेंसी एस्केप सिस्टम विकसित हो चुके हैं. अब फाइनल एकीकरण और सेफ्टी वेरिफिकेशन का कार्य चल रहा है. गगनयान मिशन को सुरक्षित बनाने के लिए इसरो ने दर्जनों परीक्षण किए हैं ताकि हर सिस्टम वास्तविक मिशन परिस्थितियों में काम करे.
पहला ‘इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट’ सफल रहा
इसरो ने 24 अगस्त को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर में गगनयान प्रोग्राम के तहत पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट सफलतापूर्वक किया था. इस परीक्षण में हेलीकॉप्टर से एक सिम्युलेटेड क्रू मॉड्यूल को करीब 3 किलोमीटर ऊंचाई तक ले जाकर नौ पैराशूटों की मदद से सफलतापूर्वक पानी में उतारा गया. इस टेस्ट ने मिशन के पैराशूट-आधारित सेफ्टी सिस्टम की पूरी तरह पुष्टि कर दी.
भारत की ‘मेड इन इंडिया’ स्पेस टेक्नोलॉजी की ताकत
गगनयान मिशन पूरी तरह भारतीय विशेषज्ञता पर आधारित है. इसमें इसरो के अलावा देश की कई उद्योगिक इकाइयां और अनुसंधान संस्थान भी शामिल हैं. कुछ एडवांस टेक्नोलॉजी की मदद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से ली गई है. लेकिन मिशन का मूल ढांचा स्वदेशी है. यह मिशन भारत की वैज्ञानिक क्षमता और ‘मेक इन इंडिया इन स्पेस’ के विजन का सबसे बड़ा उदाहरण बनकर उभर रहा है.
ISRO चीफ बोले- भारत तैयार है इतिहास रचने के लिए
नारायणन ने कहा, “गगनयान सिर्फ एक अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर वैज्ञानिक यात्रा का प्रतीक है. हम बहुत जल्द मानव को अंतरिक्ष में भेजने का सपना साकार करने वाले हैं.”
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
October 23, 2025, 21:08 IST