DNA: दुनिया में टेंशन! ट्रंप के 'एक्ट ऑफ वॉर' से भड़के पुतिन; आखिर क्या है मॉस्को की अगली चाल?

4 hours ago

DNA: दुनिया के दो सुपर पावर देशों अमेरिका और रूस के बीच एक फिर तनाव बढ़ रहा है. जानकारी के अनुसार, ट्रंप ने पुतिन के साथ बुडापेस्ट में होने वाली समिट को कैंसिल कर दिया है और रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया. जिसके बाद रूस ने भी युक्रेन में हमले तेज कर दिए और पुतिन ने रूस की जल थल और वायुसेना को एक साथ परमाणु युद्धाभ्यास करने के निर्देश दे दिए. इस बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना मलेशिया दौरा रद्द कर दिया. यहां पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात हो सकती थी. लेकिन अब नहीं होगी. क्या अमेरिका और रूस के बीच बढ़ रहे तनाव का भी इससे कोई कनेक्शन है या फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मलेशिया नहीं जाने की कोई दूसरी वजह है आइए समझते है पूरा माजरा... 

पुतिन के आदेश पर जमीन से रूस की पावरफुल परमाणु मिसाइल यार्स को लॉन्च किया गया. ये रूस की लगभग 23 मीटर लंबी RS- 24 यार्स इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक परमाणु मिसाइल है. रूस की सेनाओं ने पुतिन के निर्देश के बाद इस महाशक्तिशाली मिसाइल से युद्धाभ्यास किया. निर्देश मिलते ही ये मिसाइल अपने लॉन्चर से ऊपर की तरफ उठी और तेज रफ्तार से अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ गई. ये रूस की सबसे ताकतवर मिसाइलों में से एक मिसाइल है और बुडापेस्ट में ट्रंप के साथ पुतिन की वार्ता रद्द होने के बाद युद्धाभ्यास में इस मिसाइल को दिखाने का मतलब क्या है ये जग जाहिर हो गया है.

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क्यों खास है रूस की यार्स मिसाइल

बता दें, यार्स की रेंज 11000 से 12000 किलोमीटर है. इसका मतलब इसकी रेंज में पूरा यूरोप और पूरा अमेरिका आता है. ये MIRV यानि Multiple Independently targetable Reentry Vehicles प्रणाली वाली मिसाइल है यानि इस मिसाइल से एक बार में कई परमाणु हमले किए जा सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो ये मिसाइल एक बार लॉन्च होगी तो कई शहरों पर परमाणु हमला कर सकती है. रूस की यार्स एक बार में 3 से 6 परमाणु वॉरहेड से लैस की जा सकती है. यानि 6 शहरों को एक साथ तबाह कर सकती है. इस मिसाइल में लगे हर परमाणु वॉरहेड में 100 से 300 किलोटन की शक्ति होती है. जबकि जापान के नागासाकी पर गिराया गया परमाणु बम सिर्फ 21 किलोटन का था. यानि ये यूरोप या अमेरिका के जिस शहर पर गिरेगा, वहां सब कुछ नष्ट हो जाएगा. इस मिसाइल के वारहेड्स मिड-फ्लाइट में नकली लक्ष्य छोड़ते हैं ताकि दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणाली भ्रमित हो जाए. यानि लॉन्च के बाद इसे रोकना नामुमकिन है.

बता दें कि जिस वक्त जमीन से यार्स मिसाइल लॉन्च हो रही थी उसी वक्त बेरेंट सागर से रूस की न्यूक्लियर सबमरीन से एक और MIRV मिसाइल लॉन्च हुई जिसका नाम सिनेवा है. इस इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज भी 8 हजार से 11 हजार किलोमीटर तक है. जो एक साथ 10 परमाणु हथियारों के साथ हमला कर सकती है. यानि ये मिसाइल भी एक साथ यूरोप और अमेरिका के कई शहरों को नष्ट कर सकती है.

इसी परमाणु युद्धाभ्यास में लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें दागने वाले टीयू-95 स्ट्रैटेजिक बमवर्षक भी शामिल थे जो आसमान से परमाणु हमला करने में माहिर हैं. पुतिन ने खुद अपने जनरलों के साथ बैठकर इस परमाणु युद्धाभ्यास को देखा. साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि पुतिन के निर्देश पर रूस की सेना ने इस बात का अभ्यास किया है. एक साथ परमाणु युद्धाभ्यास करके पुतिन ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को चुनौती दी है और ये संकेत भी कि मुसीबत उनके ऊपर कहीं से भी टूट सकती है.

आखिर क्यों इतने आक्रामक हुए पुतिन

पुतिन की इस आक्रामकता की सबसे बड़ी वजह कोई और नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं जो एक हफ्ते पहले तक हंगरी के बुडापेस्ट में पुतिन के साथ होने वाली मीटिंग के लिए काफी उत्साहित थे लेकिन अचानक उन्होंने मीटिंग कैंसिल करने का एलान कर दिया. ट्रंप ने कहा कि पु​तिन से मीटिंग वक्त की बर्बादी है. डोनॉल्ड ट्रंप ने अपने बयान में दो बड़ी बातें कहीं पहली बात- बुडापेस्ट में पुतिन से मुलाकात का कोई नतीजा नहीं निकलता. यानि डोनॉल्ड ट्रंप जानते थे कि रूस अपनी मांगों से पीछे नहीं हटने वाला. रूस पाकिस्तान जैसा मुल्क नहीं है, जिसे वो अपने इशारे पर घुमाएं और ना ही पुतिन शहबाज शरीफ या आसिम मुनीर की तरह हैं कि झुक जाएं और ट्रंप की चरण-वंदना करें.

पुतिन ने साफ कर दिया है कि पहले शां​ति समझौता होगा उसके बाद ही सीजफायर होगा. जबकि ट्रंप चाहते हैं पहले युद्ध रूक जाए इसके लिए वार्ता से ठीक पहले पुतिन ने ट्रंप को एक संदेश भी भेजा था जिसमें पुतिन ने एक बार फिर कहा कि रूस डोनबास क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण चाहता है और किसी भी शांति समझौते के तहत NATO सैनिकों की तैनाती नहीं चाहता लेकिन ट्रंप के ऊपर यूरोपीय देशों का दबाव है यूरोपीय देश चाहते हैं कि यूक्रेन डोनबास से अपने सैन्य ठिकाने नहीं हटाए और इस वक्त जो देश जहां पर मौजूद है वहीं पर रुक जाए. ये बात पुतिन को मंजूर नहीं है यानि अगर वार्ता होती तो भी नतीजा नहीं निकलता. लेकिन इस बीच ट्रंप ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी. और उम्मीद जाहिर की ये प्रतिबंध ज्यादा समय तक नहीं रहे. यानि इस प्र​तिबंधों के जरिए ट्रंप पुतिन को सीजफायर के लिए मजबूर करना चाहते हैं लेकिन यहीं पर ट्रंप ने पुतिन को समझने में गलती कर दी क्योंकि पुतिन आज तक कभी भी धमकियों के आगे नहीं झुके. इसलिए उन्होंने परमाणु युद्धाभ्यास के जरिए ट्रंप को अपने इरादे दिखा दिये.

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