भारत-अफगान रिश्तों का नया मोड़? ताल‍िबान के कामर्स मिन‍िस्‍टर आ रहे द‍िल्‍ली

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Last Updated:November 19, 2025, 00:00 IST

नूरुद्दीन अजीजी की भारत यात्रा तालिबान-भारत संबंधों में नया मोड़ है, जिससे व्यापार, चाबहार पोर्ट और रणनीतिक साझेदारी को मजबूती मिलेगी, पाकिस्तान की निर्भरता घटेगी.

भारत-अफगान रिश्तों का नया मोड़? ताल‍िबान के कामर्स मिन‍िस्‍टर आ रहे द‍िल्‍लीअफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अजीजी.

तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद अफगानिस्तान और भारत के राजनयिक रिश्तों में एक लंबा सन्नाटा था. भारत ने औपचारिक मान्यता नहीं दी, दूतावास बंद हुआ, प्रोजेक्ट ठप पड़े, लेकिन संपर्क पूरी तरह नहीं टूटा. अब इसी ठंडी पड़ी कूटनीति में हलचल तेज हो गई है. अफगानिस्तान के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अजीजी बुधवार को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं. यह दौरा सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्‍क‍ि बदलते ज‍ियोपॉल‍िट‍िकल बैलेंस का एक ह‍िस्‍सा है. इससे अफगान‍िस्‍तान को तो फायदा होगा ही, भारत को भी बहुत बड़ा लाभ होने वाला है.

यह वही अफगानिस्तान है, जहां अभी भी तालिबान शासन को दुनिया के किसी देश ने औपचारिक मान्यता नहीं दी है. लेकिन भारत अब ताल‍िबान सरकार के साथ मिलकर अपने इकोनॉमी और‍ सिक्‍योरिटी कार्ड खेल रहा है. तालिबान सरकार भी पाक‍िस्‍तान को दुश्मन मानकर भारत के साथ दोस्‍ती कर रही है. बीते दो महीनों में अफगान‍िस्‍तान सरकार ने कई ऐसे फैसले ल‍िए हैं, जो सीधे तौर पर भारत को फायदा पहुंचाने वाले हैं. साफ है क‍ि अपनी घरेलू समस्याओं के बीच ताल‍िबान भारत को दोबारा एक संभावित साझेदार के रूप में देख रहा है.

पहली बार खुलकर मंत्री-स्तरीय बातचीत

भारत पहले भी तालिबान से बैक-चैनल संपर्क रखता रहा है, लेकिन किसी मंत्री का दिल्ली आना पहला बड़ा सार्वजनिक राजनयिक संकेत है. इसे एंगेजमेंट विदआउट रिकोग्‍नाइजेशन पॉल‍िसी कहा जा रहा है. यानी मान्यता नहीं, लेकिन संपर्क जारी. यह वही नीति है जो भारत ने 90 के दशक में पहले तालिबान शासन के दौरान अपनाई थी, लेकिन इस बार संदर्भ बदल गया है. चीन, ईरान और पाकिस्तान के साथ तालिबान के बढ़ते रिश्ते ने भारत के लिए खेलने की जमीन और सीमित कर दी है. ऐसे में आर्थिक बातचीत राजनीतिक संवाद का पहला कदम बन सकती है.

यात्रा का मकसद क्‍या?

तालिबान शासन में भी भारत–अफगान व्यापार पूरी तरह बंद नहीं हुआ. भारत अब भी अफगान सूखे मेवे, केसर और कारपेट खरीदता है, और अफगानिस्तान को दवाइयां, अनाज और चाय सप्लाई करता है. लेकिन अभी बैंक‍िंग समेत कई चुनौत‍ियां हैं. अब इसे ठीक करने की कोश‍िश होगी. इस मीटिंग से सिक्‍योर पेमेंट सिस्‍टम बनाने पर बात होगी ताक‍ि‍ ट्रेड बेहतर तरीके से क‍िया जा सके. भारतीय उद्योगपत‍ियों से सीधी बातचीत होगी. पुराने ट्रेड एग्रीमेंट से एक्‍ट‍िव होंगे. अफगानिस्तान भारत को सूखे मेवे, केसर , पिस्ता, कालीन और हर्बल प्रोडक्ट निर्यात करना चाहता है. जबक‍ि भारत अफगानिस्तान को दवाइयां, खाद्यान्न, टेक्सटाइल, पेट्रोलियम प्रोडक्ट और इंजीनियरिंग सामान भेजना चाहता है. भारत पहले अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था. तालिबान आने के बाद वह साझेदारी गिर गई. यह दौरा उसे वापस पटरी पर लाने का प्रयास है. पाकिस्तान पर निर्भरता कम करना अफगानिस्तान की मजबूरी बन चुका है. इसलिए भारत–अफगानिस्तान की बातचीत का सबसे अहम हिस्सा है. भारत द्वारा विकसित यह ईरानी चाबहार पोर्ट पाकिस्तान को पूरी तरह बाईपास करता है. यदि अफगान कार्गो चाबहार के जरिए भारत आता है, तो यह तालिबान के लिए भी रणनीतिक गेम-चेंजर होगा. इंटरनेशनल नॉर्थ–साउथ कॉरिडोर, यह वह मार्ग है जो भारत–ईरान–रूस–मध्य एशिया को जोड़ेगा. अफगानिस्तान इसका हिस्सा बनकर चीन-पाक गलियारे के विकल्प के रूप में उभर सकता है. एयर फ्रेट कॉरिडोर, भारत सरकार पहले दो एयर-कार्गो रूट चलाती थी (दिल्ली–काबुल, मुंबई–काबुल). इन्हें फिर से चालू करने का प्रस्ताव होगा.

भारत को क्या मिलेगा फायदा?

अफगान मार्केट की वापसी: भारत की दवाइयां, FMCG, चावल, चाय अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा मांग में हैं. तालिबान के कारण भारतीय कंपनियां पीछे हट गईं थीं. अब वापसी का मौका है. चाबहार पोर्ट की मजबूती: अगर अफगान ट्रेड चाबहार पर टिकता है तो पाकिस्तान को बाईपास क‍िया जा सकेगा. ईरान से भारत का हित संरक्षित रहेगा. मध्य एशिया में भारतीय उपस्थिति स्थिर होगी. तालिबान की सरकार चीन और पाकिस्तान के साथ पहले ही आर्थिक डील कर चुकी है. भारत की दूरी उन्हें पूरी तरह उसी कैंप में धकेल देगी. व्यापारिक जुड़ाव रणनीतिक बैलेंस बना सकता है.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

November 19, 2025, 00:00 IST

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