बिहार SIR पर चुनाव आयोग ने चुन-चुनकर राहुल और तेजस्वी के आरोपों को नकारा

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Last Updated:July 21, 2025, 23:09 IST

बिहार SIR पर चुनाव आयोग ने चुन-चुनकर राहुल और तेजस्वी के आरोपों को नकाराचुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर का बचाव किया.

नई दिल्ली. बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा दायर याचिका में लगाए गए आरोपों का खंडन किया. अब सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी.

बिहार एसआईआर मामले में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. ईसीआई ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), अन्य राजनीतिक दलों की ओर से दायर याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया. साथ ही चुनाव आयोग ने मीडिया के एक वर्ग में एसआईआर को लेकर चलाई जा रही भ्रामक खबरों पर भी सवाल उठाए.

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एसआईआर प्रक्रिया से मतदाताओं को कोई परेशानी नहीं है. कानून के मुताबिक प्रक्रिया पूरी होने के करीब है. आयोग ने कहा कि फर्जी मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाना उसकी जिम्मेदारी है और वह संवैधानिक जिम्मेदारी को निभा रहा है.

90% से अधिक मतदाताओं ने नामांकन फॉर्म भरे
बिहार में वोटर लिस्ट के एसआईआर सर्वे का बचाव करते हुए चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बिहार में चल रहे SIR अभियान के तहत 90% से अधिक मतदाताओं ने नामांकन फॉर्म भर दिए हैं. आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी मतदाता सूची से छूटे नहीं, खासतौर पर ग़रीब, वंचित और हाशिए पर आए समुदायों को प्राथमिकता दी गई है.

आधार को क्यों बाहर रखा
चुनाव आयोग ने आधार को दस्तावेज़ सूची से बाहर रखने का भी बचाव किया और कहा कि आधार को 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल नहीं किया गया क्योंकि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत मतदाता की पात्रता साबित करने में मदद नहीं करता. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उपलब्ध कराई गई दस्तावेजों की सूची संकेतात्मक (indicative) है, न कि अंतिम (exhaustive) – यानी ज़रूरत पड़ने पर अन्य दस्तावेज़ भी मान्य हो सकते हैं.

जवाबी हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए हर सवाल का समुचित जवाब दिया गया है. चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 में प्रदत्त अधिकारों का हवाला देते हुए पूरी प्रक्रिया के सुसंगत और अधिकार क्षेत्र में किए जाने की दलील दी.

बता दें कि बिहार में अब तक 7,89,69,844 मतदाताओं में से 7,16,03,218 यानी 90.67 प्रतिशत गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं. डिजिटल गणना प्रपत्र 7,08,59,670 या 89.73 प्रतिशत हैं. जहां 43,92,864 या 5.56 प्रतिशत मतदाता अपने पते पर नहीं मिले तो वहीं 16,55,407 या 2.1 प्रतिशत मृत वोटर पाए गए. अब तक स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं की संख्या 19,75,231 या 2.5 प्रतिशत है. एक से अधिक स्थानों पर नामांकित मतदाता 7,50,742 या 0.95 प्रतिशत हैं, जबकि अप्राप्त वोटर (जिन निर्वाचकों का पता नहीं चल पा रहा है) 11,484 यानी 0.01 प्रतिशत हैं. कुल सम्मिलित निर्वाचक 7,59,96,082 यानी 96.23 प्रतिशत हैं. अब सिर्फ 29,62,762 या 3.77 प्रतिशत मतदाताओं के गणना प्रपत्र प्राप्त होने शेष हैं.

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...

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