Last Updated:July 30, 2025, 12:48 IST
Amit Shah targeted Congress over POTA: पोटा, आतंकवाद निरोधक वो कानून था, जिसे अटल सरकार लेकर आयी थी. लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कांग्रेस पर पोटा को रद्द करने का आरोप लगाया.

हाइलाइट्स
अमित शाह ने कांग्रेस पर पोटा कानून रद्द करने का आरोप लगायापोटा आतंकवाद निरोधक कानून था, जिसे 2002 में लागू किया गयाकांग्रेस ने 2004 में पोटा को कथित दुरुपयोग के कारण निरस्त कियाAmit Shah targeted Congress over POTA: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में कांग्रेस को घेरा. शाह ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर अपने ‘वोट बैंक’ को बचाने के लिए आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) को निरस्त करने का आरोप लगाया. शाह ने कहा, “2002 में अटल जी की एनडीए सरकार पोटा (आतंकवाद निरोधक अधिनियम, 2002) लेकर आई थी. तब पोटा पर किसने आपत्ति जताई थी? कांग्रेस पार्टी ने. 2004 में सत्ता में आने के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने पोटा कानून को रद्द कर दिया. किसके फायदे के लिए कांग्रेस ने पोटा को रद्द किया?”
अमित शाह के अनुसार कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आतंकवादी हमलों में लगभग 1000 लोग मारे गए. गृह मंत्री ने कहा, “कांग्रेस आतंकवादियों की तस्वीरें पाकिस्तान भेजती रही. कांग्रेस ने दिल्ली के बटला हाउस में मारे गए आतंकवादियों के लिए आंसू बहाए, लेकिन आतंकवादियों द्वारा मारे गए पुलिसकर्मियों के लिए नहीं.”
इस कानून के तहत किसी संदिग्ध को विशेष अदालत द्वारा 180 दिनों तक हिरासत में रखा जा सकता था. आतंकवाद के लिए धन उगाहने को ‘आतंकवादी कृत्य’ के रूप में परिभाषित किया गया था. इसमें आतंकवादी संगठनों से निपटने के भी प्रावधान थे, जिससे केंद्र को उन्हें अपनी सूची में शामिल या हटाने की अनुमति मिलती थी. इसके कई प्रावधानों को 2004 में निरस्त किये जाने के बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में संशोधनों में शामिल किया गया था.
क्यों निरस्त किया गया?
पोटा को कथित दुरुपयोग और मानवाधिकार उल्लंघन की चिंताओं के कारण 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UAPA) सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया था. कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने कहा कि उन्हें चिंता है कि पिछले दो वर्षों में पोटा का घोर दुरुपयोग हुआ है. गठबंधन ने अपने शासन एजेंडे में कहा, “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं किया जाएगा. लेकिन पोटा के दुरुपयोग को देखते हुए यूपीए सरकार इसे निरस्त कर देगी. मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू किया जाएगा.” इसके निरस्त होने के बाद पोटा के कई प्रावधानों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में संशोधनों में शामिल कर लिया गया.
पहला आतंकवादी विरोधी कानून
टाडा (Terrorist and Disruptive Activities (Prevention) Act) भारत में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए पहला कानून था. यह 1985 से 1995 तक लागू रहा. इसे मुख्य रूप से पंजाब में बढ़ते उग्रवाद और खालिस्तान आंदोलन को रोकने के लिए लाया गया था, लेकिन बाद में इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया गया. 1980 के दशक में भारत विशेषकर पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई थी. खालिस्तान आंदोलन के तहत सशस्त्र सिख अलगाववादी समूह सक्रिय थे और उनकी हिंसा देश के अन्य हिस्सों में भी फैल रही थी.
अपर्याप्त थे पुराने कानून
तत्कालीन आपराधिक कानून इन नई और जटिल आतंकवादी गतिविधियों से निपटने में अपर्याप्त साबित हो रहे थे. सरकार को लगा कि आतंकवादियों से निपटने और उन्हें दंडित करने के लिए विशेष कानूनों और अधिक व्यापक शक्तियों की आवश्यकता है. टाडा ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियों से निपटने के लिए व्यापक शक्तियां दीं. इसने आतंकवादी गतिविधि को परिभाषित किया, जिसमें सरकार को डराने, लोगों में आतंक फैलाने, लोगों के किसी भी वर्ग को अलग-थलग करने, या विभिन्न वर्गों के बीच सद्भाव को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने के इरादे से बम, डायनामाइट या अन्य विस्फोटक पदार्थों का उपयोग करके किया गया कोई भी कार्य शामिल था.
टाडा के बाद के कानून
टाडा के समाप्त होने के बाद भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए अन्य कानून भी आए. टाडा के समाप्त होने के बाद 2002 में पोटा लाया गया. लेकिन इस पर भी दुरुपयोग के आरोप लगे और इसे 2004 में रद्द कर दिया गया. वर्तमान में भारत में आतंकवाद विरोधी मुख्य कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) है. जिसे 2004 और 2008 में संशोधित कर आतंकवादी गतिविधियों से संबंधित प्रावधान शामिल किए गए. इसे बाद में 2012 और 2019 में भी संशोधित किया गया.
Location :
New Delhi,Delhi