नेपाल ने ये चीज देना किया बंद तभी आया संकट? जगन्नाथ मंदिर के सेवक का दावा

2 days ago

Last Updated:September 12, 2025, 12:51 IST

नेपाल में हुए भयानक विरोध प्रदर्शन के बाद अभी भी हालात पूरी तरह से शांत नहीं हुए. इस बीच अब ओडिशा के पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर की ओर से बड़ा बयान दिया गया है. मंदिर के सेवकों ने कहा कि कस्तूरी की आपूर्ति मिलने के बाद से नेपाल पर संकट है.

नेपाल ने ये चीज देना किया बंद तभी आया संकट? जगन्नाथ मंदिर के सेवक का दावाजगन्नाथ मंदिर के सेवकों ने नेपाल संकट पर बड़ा दावा किया.

पुरी: ओडिशा के पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के कुछ सेवकों ने नेपाल में चल रही अशांति को मंदिर के लिए कस्तूरी की आपूर्ति बंद होने से जोड़ा है. उनका कहना है कि यह कस्तूरी मंदिर के अनुष्ठानों के लिए जरूरी है, जो पहले नेपाल से आती थी. सेवकों के मुताबिक, नेपाल से कस्तूरी न मिलने से मंदिर की परंपराएं और धार्मिक अनुष्ठान प्रभावित हो रहे हैं. सेवकों ने बताया कि प्राकृतिक कस्तूरी का इस्तेमाल मंदिर के दैनिक और खास अनुष्ठानों में होता है. खासतौर पर ‘बनक लागी’ नाम के गुप्त अनुष्ठान में इसका उपयोग होता है, जिसमें देवताओं को सजाया जाता है.

साथ ही, यह कस्तूरी नीम की लकड़ी से बनी मूर्तियों को कीड़ों से बचाने और भगवान जगन्नाथ के चेहरे की सुंदरता बढ़ाने में भी मदद करता है. चुनारा सेवक डॉ. शरत मोहंती ने कहा, ‘कस्तूरी कैलाश क्षेत्र में मानसरोवर झील के पास पाए जाने वाले कस्तूरी मृग से मिलती है. पहले नेपाल के राजा इसे नियमित रूप से पुरी भेजते थे, क्योंकि उनके और जगन्नाथ मंदिर के बीच गहरा आध्यात्मिक रिश्ता था.’ उन्होंने बताया कि नेपाल के राजाओं को पुरी आने पर रत्न सिंहासन पर भगवान जगन्नाथ की पूजा करने का विशेष अधिकार मिलता था. सेवकों का कहना है कि पिछले कुछ दशकों में वन्यजीव संरक्षण कानूनों के कारण नेपाल ने कस्तूरी की आपूर्ति बंद कर दी है. इससे मंदिर के अनुष्ठान प्रभावित हुए हैं.

नेपाल में भूकंप के पीछे भी कस्तूरी

डॉ. मोहंती ने याद दिलाया कि पहले जब कस्तूरी की आपूर्ति रुकी थी, तब नेपाल में भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं आई थीं. ये घटनाएं आपस में जुड़ी हैं. चुनारा सेवकों ने मंदिर प्रशासन और भारत सरकार से अपील की है कि वे कस्तूरी की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाएं. उन्होंने नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का उदाहरण दिया, जो भारत के केदारनाथ का आध्यात्मिक जुड़ाव माना जाता है. यह दोनों मंदिरों के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते को दिखाता है. सेवकों का मानना है कि कस्तूरी की कमी से सिर्फ अनुष्ठान ही प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि नेपाल और पुरी के बीच का प्राचीन आध्यात्मिक बंधन भी कमजोर होगा.

नेपाल और पुरी के राजवंशों का है संबंध

वहीं, ‘बनक लागी’ अनुष्ठान से जुड़े संजय कुमार दत्ता महापात्रा ने कहा कि कस्तूरी बिना अनुष्ठान अधूरे हैं. मंदिर प्रशासन बार-बार अनुरोध के बावजूद कहता है कि नेपाली राजा ने कस्तूरी भेजना बंद कर दिया है. इसी तरह, मुक्ति मंडप के पंडित संतोष कुमार दास ने कहा कि नेपाल के राजा सूर्यवंश और पुरी के गजपति राजा चंद्रवंश से हैं. जगन्नाथ परंपरा दोनों राजवंशों को जोड़ती है, और कस्तूरी इस पवित्र विरासत का हिस्सा रही है. सेवकों का कहना है कि कस्तूरी के बिना दैनिक पूजा प्रभावित हो रही है और नेपाल-पुरी का रिश्ता भी कमजोर हो रहा है. वे चाहते हैं कि सरकार इस समस्या का समाधान करे ताकि मंदिर की परंपराएं बनी रहें.

Yogendra Mishra

योगेंद्र मिश्र ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया है. 2017 से वह मीडिया में जुड़े हुए हैं. न्यूज नेशन, टीवी 9 भारतवर्ष और नवभारत टाइम्स में अपनी सेवाएं देने के बाद अब News18 हिंदी के इंटरने...और पढ़ें

योगेंद्र मिश्र ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया है. 2017 से वह मीडिया में जुड़े हुए हैं. न्यूज नेशन, टीवी 9 भारतवर्ष और नवभारत टाइम्स में अपनी सेवाएं देने के बाद अब News18 हिंदी के इंटरने...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

First Published :

September 12, 2025, 12:49 IST

homenation

नेपाल ने ये चीज देना किया बंद तभी आया संकट? जगन्नाथ मंदिर के सेवक का दावा

Read Full Article at Source