दिल्ली-एनसीआर में ड्रग्स के खेल ने ऐसा जाल बिछाया था कि किसी ने सोचा भी नहीं था. नगालैंड की एक लड़की का फ्लैट, छतरपुर की एक पॉश बिल्डिंग, शाहीन बाग-जामिया का कनेक्शन और ऊपर से दुबई तक फैला सिंडिकेट. लेकिन एनसीबी और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल (काउंटर इंटेलिजेंस) के ज्वाइंट एक्शन ने इस इंटरनेशनल सिंथेटिक ड्रग्स कार्टेल का पूरा भंडाफोड़ कर दिया. यह मामला किसी वेब सीरीज से कम नहीं है. डीलर भारत में, बॉस विदेश में, नेटवर्क दिल्ली के दिल में और माल की सप्लाई पोर्टर राइडर से! और इस पूरे ऑपरेशन की डोर जिन हाथों में थी, वह कोई बड़ा गैंगस्टर नहीं, बल्कि सिर्फ 25 साल का शाने वारिस था, जो नोएडा में सेल्स मैनेजर बनकर घूम रहा था और गुपचुप तरीके से करोड़ों की ड्रग्स का खेल चला रहा था.
20 नवंबर 2025 की सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते ही एनसीबी ने जिसे दबोचा, उसका नाम है शाने वारिस (उर्फ शाने बारिश). दिखने में एकदम आम और शांत, लेकिन दिमाग पूरा इंटरनेशनल ड्रग नेटवर्क चलाने वाला. यह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा के मंगरौली गांव का रहने वाला है, जो पिछले कुछ महीनों से नोएडा सेक्टर-5 में किराए के मकान में रह रहा था. फेक सिम कार्ड, व्हॉट्सऐप, जैंगी और दूसरे सुरक्षित ऐप्स से उसे दुबई से लगातार एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन आता था. दिल्ली में बैठकर वही विदेशी ऑपरेटिव्स के इशारे पर सिंथेटिक ड्रग्स की डिलीवरी, पिकअप और स्टोरेज मैनेज करता था. जैसे ही वारिस गिरफ्तार हुआ, उससे पूछताछ में एक ऐसा नाम निकला जिसने इस केस को और चौंकाने वाला बना दिया. एस्थर किनिमी, जो नगालैंड से ताल्लुक रखती है, उसका वारिस कनेक्शन सामने आया.
‘सीक्रेट ड्रग ट्रांसफर’
पूछताछ में शाने वारिस ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि एस्थर किनिमी ने ही उसे हाल ही में एक कंसाइनमेंट दिया था. वह खुद सामने नहीं आती थी बल्कि पोर्टर जैसे डिलीवरी ऐप के जरिए राइडर के हाथ ड्रग्स पकड़ा देती थी. मतलब, बाहर से दिखने वाला एक सीधा-साधा पार्सल, भीतर से करोड़ों की मेथाम्फेटामिन! इसके बाद NCB टीम तुरंत हरकत में आ गई. रात के अंधेरे में जैसे किसी मिशन पर निकली टीम, लोकेशन पर पहुंची. छत्तरपुर एन्क्लेव फेज-2, जैन हाउस, चौथी मंजिल, हाउस नंबर 402. जैसे ही फ्लैट खोला, अफसरों की आंखें फटी की फटी रह गईं.
फ्लैट में मौत का सामान
फ्लैट का दरवाजा टूटते ही सामने जो दृश्य था, वह किसी गैंगस्टर की लैब से कम नहीं. 328.54 किलो मेथाम्फेटामिन, इसकी मार्केट में कीमत अरबों में बताई जा रही है. यह कंसाइनमेंट नगालैंड की इस लड़की के फ्लैट से बरामद हुआ. वह फ्लैट अस्थायी स्टोरेज पॉइंट के तौर पर इस्तेमाल हो रहा था. NCB को शक है कि यह सिर्फ एक ठिकाना नहीं, बल्कि दिल्ली में फैले एक बड़े नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें जामिया नगर, शाहीन बाग, और ओखला जैसी लोकेशन का इस्तेमाल कम्युनिकेशन और को-ऑर्डिनेशन के लिए किया जा रहा था. यानी दिल्ली में ‘स्लीपिंग सेल’ की तरह काम करने वाले कई माइक्रो यूनिट्स तैयार थे, जो अलग-अलग हिस्सों में ड्रग्स को स्टोर और ट्रांसफर कर रहे थे.
बॉस विदेश में, ऑपरेटर इंडिया में
जांच में पता चला है कि शाने वारिस भारत में सिर्फ एक ऑपरेटर की तरह काम कर रहा था. असली खेल दुबई से चल रहा था. वहीं बैठकर विदेशी बॉस लोकेशन तय करता था. डिलीवरी पॉइंट भेजता था. ऐप्स के जरिए डीकोडेड संदेश भेजता था और भारत में ड्रग्स के हर मूवमेंट पर नजर रखता था. वारिस की गिरफ्तारी के बाद NCB को कई ऐसे चैट मिले हैं जिनमें कोड वर्ड, नक्शे, और गुप्त रूट शेयर किए गए थे. जांच में यह भी सामने आया है कि यह सिंडिकेट सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं था. इसके तार मणिपुर, नगालैंड, असम, और नेपाल बॉर्डर तक फैले हुए थे.
Our govt is shattering drug cartels at unprecedented pace.
Fiercely pursuing the top-to-bottom and bottom-to-top approach to the investigation of drugs, a breakthrough was achieved by seizing 328 kg of methamphetamine worth ₹262 crore in New Delhi and arresting two. The…
जामिया-शाहीन बाग कनेक्शन
सूत्रों के मुताबिक, इस नेटवर्क का दिल्ली में एक सम्पर्क जोन शाहीन बाग–जामिया इलाका था. यहां फेक आईडी, अस्थायी रेंटल कमरे, और बिना ट्रेस होने वाली पैकेज हैंडलिंग का इस्तेमाल किया जाता था. यहां कुछ लोग ‘टेक सपोर्ट’ की तरह काम कर रहे थे. यही सिम कार्ड का इंतजाम करते थे, एन्क्रिप्टेड फोन सेटअप और सुरक्षित ऐप्स एक्टिवेट करने का काम करते थे. हालांकि अब तक यह स्पष्ट नहीं कि इनमें से कौन किस स्तर पर शामिल था, लेकिन NCB इस लिंक की गहन जांच कर रही है.
मिशन की सबसे बड़ी सफलता
यह पूरा ऑपरेशन एनसीबी और दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल (काउंटर इंटेलिजेंस) की जॉइंट टीम ने अंजाम दिया है. दुबई से लेकर दिल्ली और पूर्वोत्तर राज्यों तक फैले इस नेटवर्क को ट्रैक करना आसान नहीं था. लोकेशन बार-बार बदली जा रही थी. कंसाइनमेंट हमेशा मूव में रहते थे. इस्तेमाल होने वाले फोन कुछ घंटे बाद बदल दिए जाते थे. लेकिन टीम ने टेक्निकल सर्विलांस, ह्यूमन इंटेलिजेंस और क्रॉस स्टेट इन्फो शेयरिंग के जरिए धीरे-धीरे नेटवर्क को घेरा.
अब जांच कहां पहुंची?
शाने वारिस के खुलासों के बाद NCB अब पूरी सप्लाई चेन, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, क्रिप्टो पेमेंट और ‘स्टोरेज नेटवर्क’ को ट्रेस करने में लगी है. इसके अलावा, टीम एस्थर किनिमी और उससे जुड़े अन्य लोगों को तलाश रही है. शक है कि यह नेटवर्क माहिरों के साथ काम करता था, जो डार्क वेब क्रिप्टो और नकली आईडी का इस्तेमाल कर रहे थे. NCB को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क के और बड़े चेहरे सामने आएंगे. यकीन मानिए कि इस केस में अभी बहुत परतें खुलनी बाकी हैं.
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1 hour ago
