'कट्टरता सीखने वाला पंक्चर बनाता है' IAS नियाज खान ने अरशद मदनी को दिखाया आईना

1 hour ago

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर IAS अधिकारी नियाज खान का एक बयान इन दिनों काफी चर्चा में है. इसमें उन्होंने साफ कहा कि “जिस मुसलमान ने शिक्षा ली, वह दुनिया के बड़े शहरों में मेयर और गवर्नर तक बन गया. लेकिन जिस मुसलमान ने कट्टरता सीखी, वह वहीं रह गया. कहीं मैकेनिक, कहीं पंक्चर बनाने वाला.” यह बयान तेजी से वायरल हुआ और बहस का बड़ा मुद्दा बन गया.

नियाज खान ने यह प्रतिक्रिया सीधे तौर पर मौलाना अरशद मदनी के उस बयान के संदर्भ में दी. इसमें मदनी ने कहा था कि “लंदन या न्यूयॉर्क में मुसलमान मेयर बन सकता है. लेकिन भारत में मुसलमान विश्वविद्यालय का वाइस-चांसलर भी नहीं बन सकता.” खान ने इसे गलत मानते हुए जोर दिया कि भारत में शिक्षा और मेहनत हर रास्ता खोल देती है. उनका संदेश साफ था, “कट्टरता रास्ता बंद करती है, शिक्षा रास्ता खोलती है.”

जिस मुस्लिम ने शिक्षा प्राप्त की वह लंदन, न्यूयॉर्क का मेयर बना तो अमेरिका में गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर बना। जिस मुस्लिम ने कट्टरता और अंधविश्वास की शिक्षा ली वो मैकेनिक, महिलाओं पर अन्याय करने वालाऔर पंक्चर बनाने वाला बना। शिक्षा मुस्लिमों के लिए रामबाण औषधि है, समझें इसे।

IAS नियाज खान क्या कहना चाहते हैं?

उन्होंने कहा कि पढ़े-लिखे मुसलमान देश-समाज में मिसाल बनते हैं, जबकि कट्टर सोच अपनाने वाले अपनी ही प्रगति रोक लेते हैं. उन्होंने कहा, “शिक्षा मुसलमानों के लिए रामबाण इसलिए है. क्योंकि यह आत्मनिर्भरता देती है, सम्मान दिलाती है और देश सेवा का रास्ता खोलती है. जो कट्टरता में उलझ जाता है, वह अपनी क्षमता खुद कम कर लेता है.”

नियाज खान की सोशल मीडिया पोस्ट का सार

उन्होंने जो बातें लिखीं, उनका केंद्रीय संदेश यही था कि दुनिया में मुस्लिम समाज ने शिक्षा के दम पर नई पहचान बनाई है.

उनके बयान के अहम प्वाइंट:

“पढ़ा-लिखा मुसलमान लंदन, न्यूयॉर्क का मेयर बना.” “अमेरिका में मुसलमान गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर बने.” “कट्टरता सीखने वाला सिर्फ मैकेनिक या पंक्चर बनाने वाला बनता है.” “शिक्षा मुसलमानों के लिए रामबाण औषधि है.”
IAS नियाज खान ने अरशद मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी.

अरशद मदनी ने क्या कहा था?

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में दावा किया था कि दुनिया मुसलमानों को कमजोर समझ रही है, लेकिन वे इससे सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा था, “न्यूयॉर्क में ‘ममदानी’ मेयर बन सकता है, लंदन में ‘खान’ मेयर बन सकता है, लेकिन भारत में मुसलमान वाइस-चांसलर भी नहीं बन सकता. अगर कोई बन भी जाए तो उसे आज़म खान की तरह जेल भेज दिया जाता है.” यही बयान आगे चलकर बड़ी बहस का कारण बना और IAS नियाज खान ने इसे “तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया.

भारत में मुसलमानों की सफलताओं पर नियाज खान ने क्या उदाहरण दिए?

नियाज खान ने तर्क देते हुए कई नाम गिनाए और बताया कि भारत में मेहनत व शिक्षा से हर दरवाजा खुलता है. उन्होंने कहा, “APJ अब्दुल कलाम वैज्ञानिक से राष्ट्रपति बने. मोहम्मद अजहरुद्दीन भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी करते रहे. दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि असली ताकत ज्ञान है, कट्टरता नहीं.”

खान ने यह भी कहा कि भारत में मुसलमानों को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता- यदि वह शिक्षा और कौशल को अपनाए.

दोनों बयानों से छिड़ी राष्ट्रीय बहस

इन दोनों बयानों ने सोशल मीडिया पर बड़ा विमर्श खड़ा कर दिया है. जहां लोग नियाज खान के विचारों को युवाओं के लिए प्रेरणादायक बता रहे हैं, वहीं एक वर्ग अरशद मदनी के तर्कों का समर्थन भी कर रहा है. यह पूरा मुद्दा अब शिक्षा, अवसर और मुस्लिम समाज की प्रगति को लेकर नई चर्चा में बदल चुका है.

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