Last Updated:November 23, 2025, 13:16 IST
IAF Jawan Killing Case: जम्मू-कश्मीर में 80 के दशक में शुरू हुआ अशांति का दौर अभी तक जारी है. अनुच्छेद 370 हटने के बाद से इस प्रदेश को दो हिस्सों में बांट दिया गया. इसके बाद जम्मू-कश्मीर भी अब केंद्र प्रशासित क्षेत्र में आ गया है. दूसरा लेह-लद्दाख है. इस कदम के बाद से जम्मू-कश्मीर में हिंसा में कमी देखी गई है.
IAF Jawan Killing Case: 35 साल पुराने एयरफोर्स के जवानों की हत्या के मामले में यासीन मलिक का नाम सामने आया है. (फाइल फोटो/PTI)IAF Jawan Killing Case: साल 1990 के भारतीय वायुसेना (IAF) के जवानों की हत्या से जुड़े मामले में एक बड़ा मोड़ आया है. जम्मू स्थित TADA कोर्ट में सुनवाई के दौरान दो अहम गवाहों ने जेल में बंद कश्मीर अलगाववादी नेता और JKLF प्रमुख यासीन मलिक को उन हमलावरों में से एक के रूप में पहचाना, जिन्होंने वायुसेना के जवानों पर गोली चलाई थी. गवाहों ने उसके तीन अन्य कथित सहयोगियों की भी पहचान की है. बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर इसे बड़ी उपलब्धि बताया. उन्होंने लिखा कि एक महत्वपूर्ण चश्मदीद और पूर्व वायुसेना कर्मी ने कोर्ट में बयान दिया है कि साल 1990 में श्रीनगर में IAF कर्मियों पर हुए हमले में यासीन मलिक ही मुख्य शूटर था, जिसने चार वायुसेना अधिकारियों की हत्या की. उन्होंने कहा कि वर्षों से पीड़ित परिवार न्याय का इंतजार कर रहे थे और अब यह पहचान अभियोजन पक्ष के केस को और मजबूत करती है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी.
दरअसल, 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा इलाके में आतंकियों ने वायुसेना के कर्मचारियों पर हमला कर दिया था. उस समय जवान ड्यूटी के लिए बस का इंतजार कर रहे थे. इस गोलीबारी में चार जवानों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे. शहीदों में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना भी शामिल थे. इस मामले में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है. उसके साथ छह और लोगों पर आरोप लगे हैं जिनमें अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ़ मुस्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ़ नल्का, शोएबत अहमद बक्शी, जावेद अहमद जरगर और रफीक नानाजी पहलू शामिल हैं.
तिहाड़ जेल में बंद है यासीन मलिक
यासीन मलिक फिलहाल तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है. मई 2022 में ट्रायल कोर्ट ने उसे UAPA और IPC के तहत दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. उसने सुनवाई के दौरान आरोपों को स्वीकार कर लिया था. सितंबर में उसने हाई कोर्ट में 85 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया था, जिसमें दावा किया गया कि वह तीन दशकों तक कई प्रधानमंत्रियों, खुफिया प्रमुखों और उद्योगपतियों के साथ सरकार की बैकचैनल शांति प्रक्रिया में शामिल रहा.
NIA कर रही मौत की सजा की मांग
उधर, NIA ने दिल्ली हाईकोर्ट में यासीन मलिक को उम्रकैद के बजाय मौत की सजा देने की मांग की है. एजेंसी का कहना है कि सिर्फ इसलिए कि किसी आतंकवादी ने आरोप स्वीकार कर लिए हैं, उसे फांसी से नहीं बचाया जा सकता. यह नीति के लिए ख़तरनाक मिसाल साबित होगी. NIA की अपील पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने 28 जनवरी की तारीख तय की है. मलिक ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए कोर्ट में कहा कि तीन साल से अपील लंबित रहने की वजह से वह मानसिक यातना झेल रहा है. न्यायिक प्रक्रिया जहां एक ओर आगे बढ़ रही है, वहीं 1990 के शहीदों के परिवारों को भी लंबे समय बाद न्याय की उम्मीद फिर मजबूत होती दिखाई दे रही है.
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Location :
Jammu,Jammu and Kashmir
First Published :
November 23, 2025, 13:16 IST

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