Last Updated:October 29, 2025, 11:43 IST
हिमाचल के इतिहास का दूसरा सबसे लंबा धरना, बैकलॉग भर्ती और समय पर पेंशन देने की मांग पर 17,640 घंटो से धरने पर बैठे हैं दृष्टिबाधित, कालीबाड़ी मंदिर के समीप रेन शेल्टर में 25 अक्तूबर 2023 से धरने पर बैठे हैं, कई बार प्रदर्शन किया, चक्का जाम किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
735 दिनों से इंसाफ़ के इंतजार में दृष्टिबाधित, शिमला में एक वर्षा शालिका में धूप, बारिश, कड़ाके की ठंड और बर्फ के बीच 2 सालों से लगातार जारी है धरनाशिमला. हिमाचल के इतिहास में दूसरा सबसे लंबा धरना चल रहा है, वो भी कठिन चुनौतियों के बीच. पिछले 735 दिनों से हिमाचल प्रदेश के दृष्टिबाधित शिमला में एक वर्षा शालिका में लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. शिमला में पड़ने वाली कड़ाके की ठंड, भीषण बारिश, बर्फ और कड़ी धूप के साथ-साथ कई चुनौतियों का सामना करते हुए इन दृष्टिबाधितों ने इस अंधकार में भी उम्मीद की मशाल जलाए रखी है.
इस स्थिति को जरा गौर से समझिए…नीचे सार्वजनिक शौचालय है और ऊपर धरना चल रहा है. धरना स्थल के एक ओर बैंक है, एक मंदिर है और दूसरी तरफ एक स्कूल है. दो-चार सौ मीटर की दूरी पर डीसी का दफ्तर है और चंद किलोमीटर की दूरी पर मुख्यमंत्री का घर है और राज्य सचिवालय है, जहां से सरकार चलती है. इस सब के बावजूद इंसाफ के लिए इतने समय तक संघर्ष करना पड़ रहा है.
बैक लॉग भर्ती और समय पर पेंशन देने की मांग पर दृष्टिहीन जन संगठन के बैनर तले ये दिव्यांग एक रेन शेल्टर में टूटे-फूटे तरपालों के आसरे 25 अक्तूबर 2023 से न्याय उम्मीद लगाए बैठे हैं. रोजगार की रोशनी आस में दिन-रात लड़ रहे हैं. एक उम्मीद है कि शायद सरकार उनकी आवाज़ सुनेगी, सरकार ने कई बार आवाज भी सुनी लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ.
दृष्टिबाधितों ने इन दो सालों में कई बार राज्य सचिवालय के बाहर चक्का जाम किया, नारेबाजी की, यहां तक विधान सभा के कई सत्रों के दौरान भी प्रदर्शन किया लेकिन कोई राहत भरी खबर नहीं आई केवल आश्वासन ही मिला. अब इन्होंने ठान लिया है कि जब तक कोई राहत नहीं मिलती तब तक इस जज़्बे को जिंदा रखेंगे औऱ संघर्ष करेंगे.
कई महीनों से यहां धरने पर बैठे जयवंत कुमार का कहना है कि सरकार केवल अपनी सुन रही है…लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है पर हमने हिम्मत नहीं हारी है. प्रदर्शनकारी बताते हैं कि धरने के इन 17,640 घंटो के दौरान लगा कि कोई पूछने आएगा पर कोई नहीं आया… न नेता, न अधिकारी और न ही समाजसेवी. रामपुर के रहने वाले नंद लाल ने कहा कि जैसे ही मौसम बदलता है तो तिरपाल भी बदलनी पड़ती है, खाना भी यहीं बनता है और खाने के लिए संगठन खुद पैसे इकट्ठे करता है, सरकार कहती है दिव्यांगों के लिए योजनाएं बहुत हैं, लेकिन यहां तो पेंशन भी वक्त पर नहीं मिलती. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से 1700 रूपए मासिक पेंशन की व्यवस्था की गई है लेकिन वो भी समय पर नहीं मिलती, 3-3 महीनों बाद मिलती है, ऐसा लगता है जैसे हमें भूख भी तीन महीने बाद लगती हो.
1200 पद खाली पड़े हैं
विनोद ने बताया कि हमारी कैटिगरी के विभिन्न विभागों में करीब 1200 पद खाली पड़े हैं, लेकिन सरकार उन पर कोई भर्ती नहीं कर रही है और पूरे प्रदेश में हमारी संख्या लगभग 500 है. उन्होंने कहा कि बरसात के दिनों में इस रेन शेल्टर में पगडंडी से होते हुए पानी आता है, सर्दियों में कड़ाके की ठंड इम्तिहान लेती है. इनका कहना है कि इससे पहले भी 2001 में 1197 दिनों तक लगातार संघर्ष किया था, उसका असर भी हुआ और अब भी हौसलें बुलंद हैं.
Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें
Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...
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Location :
Shimla,Shimla,Himachal Pradesh
First Published :
October 29, 2025, 11:43 IST

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