Last Updated:September 30, 2025, 12:19 IST
भारतीय संस्कृति में गधा को कोई उचित सम्मान या स्थान नहीं मिला है लेकिन दो हिंदू देवियों की वो सवारी, इन देवियों ने उसे क्यों सवारी बनाया, इसकी कहानी भी रोचक है

भारत में दो हिंदू देवियों की सवारी गधा है. भारतीय संस्कृति के हिसाब से देवियों की ये वाहन हैरान तो करता है लेकिन गधे को उन्होंने अपना वाहन क्यों बनाया है, इसकी कहानी भी है और प्रतीक भी. चेचक और खसरा रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी शीतला माता की सवारी गधा है तो नवरात्र में पूजी जाने वाली कालरात्रि का वाहन भी गधा है. ग्रीको-रोमन और एशियाई लोककथाओं में इसे हठ और मूर्खता के लिए जाना जाता है तो ईसाई, यहूदी और इस्लाम धर्म में इसे बहुत ही सकारात्मक और प्रतिष्ठित स्थान मिला हुआ है.
ईसाई धर्म में गधा विनम्रता, सेवा और शांति का प्रतीक है. यीशु मसीह यरूशलम में गधे पर सवार होकर पहुंचे थे. बाइबिल में गधे को मेहनती और भरोसेमंद पशु के रूप में दिखाया गया है. यहूदी धर्म में ये बुद्धिमान प्राणी के रूप में दिखता है. लेकिन भारत और पश्चिम में गधे को “बोझ ढोने वाले मूर्ख” के प्रतीक के रूप में माना जाता है. होमर और ईसप की कहानियों में गधे को आमतौर पर आलसी, हठी, मूर्ख और निम्न वर्ग का प्रतीक माना जाता था.
गधा रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रतीक
अब हम आपको बताते हैं कि शीतला माता ने गधे को क्यों अपना वाहन बनाया. इसके पीछे एक वजह भी है और एक कहानी भी. शीतला माता को चेचक, खसरा जैसे रोगों से मुक्ति दिलाने वाली देवी माना जाता है. गधा को उन्होंने अपना वाहन इसलिए बनाया, क्योंकि उन्हें ये धैर्य, सहनशीलता के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रतीक लगा.
गधा बहुत सहनशील प्राणी है. ये हर परिस्थिति में काम करता है. जल्दी बीमार नहीं पड़ता. शीतला माता रोगों को दूर करने वाली देवी हैं, इसलिए गधा उनकी रोगों से लड़ने की क्षमता और धैर्य का प्रतीक है. गधे को विनम्र और साधारण जानवर माना जाता है. शीतला माता का यह स्वरूप दिखाता है कि वह सबसे साधारण रूप में भी भक्तों के लिए उपलब्ध हैं. उनका पूजन सादगी से किया जाता है.
शीतला माता के एक हाथ में झाड़ू और दूसरे में कलश होता है. झाड़ू सफाई और स्वच्छता की प्रतीक है. कलश में शुद्ध जल होता है. गधे पर सवार होकर वो संदेश देती हैं कि रोगों से बचने के लिए स्वच्छता और धैर्य बहुत जरूरी है.
क्या है इसके पीछे की कहानी
अब ये भी जान लें कि क्या गधा को वाहन बनाने के पीछे कोई कहानी भी है, जो कही जाती है. स्कंद पुराण और लोक कथाओं के अनुसार, देवी शीतला एक बूढ़ी महिला के रूप में पृथ्वी पर घूम रही थीं, तब वो रोगों की गर्मी से जल रही थीं. वो सहायता के लिए एक कुम्हारिन के घर गईं. कुम्हारिन ने माता की सच्ची श्रद्धा से सेवा की, उनके शरीर पर ठंडा जल डाला. उन्हें शांति दी.
कुम्हारिन गरीब थी, उसके पास कोई ऐसी चीज नहीं थी, जिस पर वो माता शीतला को बिठा सके. उसने कहा कि उसके पास उन्हें बिठाने के लिए कोई चौकी या आसन नहीं है. तब माता ने कहा, तुम चिंता मत करो. उन्होंने कुम्हारिन के घर के बाहर खड़े गधे पर आसन ग्रहण किया. इसके बाद माता ने अपने हाथ में पकड़ी झाड़ू से कुम्हारिन के घर की दरिद्रता और रोगों को झाड़कर फेंक दिया. बस इसके बाद से ही गधा उनकी सवारी बन गया.
देवी कालरात्रि क्यों गधे पर बैठती हैं
नवदुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि देवी का वाहन भी गधा है. वह दुर्गा का सबसे उग्र रूप हैं, जो अंधकार और दुष्ट शक्तियों का विनाश करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गधा अज्ञानता और अहंकार का प्रतीक है. देवी कालरात्रि गधे पर सवार होकर यह दिखाती हैं कि वो अपने भक्तों के जीवन से अज्ञानता और अहंकार को नष्ट कर देती हैं.
गधा आमतौर पर धीमी गति और सहनशीलता का प्रतीक भी है लिहाजा माता कालरात्रि का गधे पर सवार होना यह संदेश देता है कि सर्वोच्च शक्ति का सही उपयोग तभी हो सकता है जब मन और इंद्रियां पूरी तरह कंट्रोल हों. उग्र स्वरूप होने के बावजूद, उनका गधे पर सवार होना यह दिखाता है उनकी शक्ति और कृपा सभी भक्तों के लिए सहज और सुलभ है, भले ही उनका सामाजिक या भौतिक स्तर कुछ भी हो.
गधे की 5 ख़ासियतें
1. गधा बेहद कठिन और शुष्क वातावरण में भी काम करने की अद्भुत क्षमता रखता है. वो कम भोजन और पानी में भी जीवित रह सकता है. ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों पर बिना थके लम्बे समय तक भारी बोझ ढो सकता है. उसकी इसी खासियत के कारण उसे सदियों से “बोझ ढोने वाले पशु” के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
2. गधे अक्सर हठी या मूर्ख माने जाते हैं, लेकिन यह उनकी गहरी समझदारी और आत्मरक्षा की वृत्ति का परिणाम है. यदि गधे को लगता है कि कोई रास्ता असुरक्षित है, या उस पर लादा गया बोझ उसकी सहनशक्ति से अधिक है, तो वह वहां से हिलने से इनकार कर देता है. यह हठ नहीं, बल्कि विवेकपूर्ण निर्णय है. वे खतरों को तुरंत भांप भी लेते हैं. इसलिए उनका इस्तेमाल भेड़ों या बकरियों के झुंड की रक्षा के लिए होता है.
3. गधों की याददाश्त बहुत तेज होती है. वे उन रास्तों और जगहों को लम्बे समय तक याद रख सकते हैं जहाँ वे पहले केवल एक बार गए हों.
4. वे परिस्थितियों के अनुसार ढल जाते हैं. अकेले या छोटे समूहों में भी काम कर सकते हैं, जो उन्हें किसानों और चरवाहों के लिए एक आदर्श पशु बनाता है.
5. गधे मूल रूप से अफ्रीका के रेगिस्तानी क्षेत्रों से आते हैं, जिसके कारण वे गर्मी और सूखे को आसानी से झेल सकते हैं. उनकी खाल मोटी होती है. वे अपने शरीर के वजन का लगभग 30% तक पानी की कमी को सहन कर सकते हैं, जबकि घोड़े केवल 15% तक सहन कर पाते हैं.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 30, 2025, 12:19 IST