डिजिटल अरेस्ट अपराधियों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, CBI को सौंपे जा सकते हैं मामले

4 hours ago

Last Updated:October 27, 2025, 13:56 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट घोटालों पर सख्त रुख अपनाया है. उसने सभी राज्यों से साइबरक्राइम मामलों की रिपोर्ट मांगी है. शीर्ष अदालत CBI को जांच सौंपने पर विचार कर रही है.

डिजिटल अरेस्ट अपराधियों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, CBI को सौंपे जा सकते हैं मामलेसुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों को सीबीआई को सौंपने का संकेत दिया है.

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश में बढ़ते डिजिटल अरेस्ट घोटालों पर लगाम कसने के लिए कड़ी चेतावनी दी. कोर्ट ने कहा कि वह डिजिटल अरेस्ट के इन मामलों पर नजर रखेगा और इन्हें केंद्रीय एजेंसियों को सौंपने पर विचार कर सकता है. जस्टिस सूर्याकांत और ज्योमलया बागची की बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि सभी राज्यों को डिजिटल अरेस्ट से जुड़े साइबरक्राइम मामलों की एफआईआर की पूरी जानकारी कोर्ट को सौंपनी होगी. कोर्ट का मकसद है कि पूरे देश में इन जांचों को एक समान बनाया जाए, ताकि अपराधियों को सजा मिल सके और पीड़ितों के साथ न्याय हो.

कोर्ट ने कहा कि डिजिटल अरेस्ट एक नया साइबरक्राइम है, जिसमें ठग पुलिस या सरकारी अधिकारियों का भेष धारण कर वीडियो कॉल के जरिए लोगों को धमकाते हैं. वे पीड़ितों को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनके खिलाफ कोई केस चल रहा है और पैसे मांगते हैं. कोर्ट ने इस प्रवृत्ति को गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि देशव्यापी जांच जरूरी हो सकती है. बेंच ने संकेत दिया कि सीबीआई को ये सभी मामले सौंपे जा सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यों को सुनवाई का मौका मिलेगा, उसके बाद ही कोई अंतिम आदेश जारी किया जाएगा.

सीबीआई पहले ही कुछ मामलों की जांच कर रही

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि सीबीआई पहले से ही कुछ मामलों की जांच कर रही है, जिसमें गृह मंत्रालय के साइबरक्राइम डिवीजन की मदद ली जा रही है. बेंच ने मेहता से पूछा कि क्या सीबीआई के पास पूरे देश के सभी मामलों को संभालने की क्षमता और संसाधन हैं. जजों ने अतीत के बड़े वित्तीय घोटालों, जैसे पोंजी स्कीम्स का जिक्र किया, जहां मामलों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई थी कि सीबीआई पर बोझ पड़ गया था.

कोर्ट ने चिंता जताई कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो जांच प्रभावित हो सकती है. यह मामला 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर शुरू किया था. अब कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर दिए हैं. राज्यों को निर्देश है कि वे अब तक दर्ज डिजिटल अरेस्ट से जुड़े साइबरक्राइम मामलों की विस्तृत रिपोर्ट दें. कोर्ट का कहना है कि एकरूपता के बिना इन घोटालों पर काबू पाना मुश्किल होगा.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक डिजिटल अरेस्ट घोटालों और इससे जुड़े साइबरक्राइम की संख्या 2022 से 2024 के बीच लगभग तिगुनी हो गई, जबकि ठगे गए पैसे 21 गुना बढ़ गए. मार्च में संसद को दी गई जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर 2022 में 39,925 मामले दर्ज हुए थे, जिनमें कुल 91.14 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 2024 तक यह संख्या 1,23,672 हो गई और ठगे गए पैसे 19,35.51 करोड़ रुपये तक पहुंच गए. 2025 के पहले दो महीनों (28 फरवरी तक) में ही 17,718 मामले सामने आए, जिसमें 210.21 करोड़ रुपये का चस्का काटा गया.

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First Published :

October 27, 2025, 13:47 IST

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