Last Updated:October 22, 2025, 10:57 IST
Deportation of Professor Francesca Orsini: दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर लंदन की प्रोफेसर फ्रांसेस्का ऑर्सिनी को डिपोर्ट कर दिया गया है. उन पर पिछली भारत विजिट के दौरान वीजा नियमों का उल्लंघन का आरोप है. इन्हीं उल्लंघनों के चलते भारत में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था.

Delhi IGI Airport: मैडम ने भारत का वीजा हासिल करने के लिए खुद को टूरिस्ट बताया था. लेकिन, भारत आने के बाद वह चोरी-चुपके दूसरे काम में जुट गई. वहीं, जब इस बारे में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भनक लगी, तो उन्होंने लंदन की इन मैडम को ब्लैक लिस्ट कर दिया. अपने पुराने इरादों के साथ यह मैडम एक बार फिर भारत आना चाहती थीं. अपनी चाहत को पूरा करने के लिए वह दिल्ली के इंदिरा गांधी इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंच भी गईं.
लेकिन, ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने उन्हें भारत में दाखिल होने की इजाजत नहीं दी और उन्हें डिपोर्ट कर वापस उनके मुल्क भेज दिया गया. दरअसल यह मामला लंदन के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, कल्चर्स एंड लिंग्विस्टिक्स में हिंदी और उर्दू साहित्य की प्रोफेसर एमेरिटा फ्रांसेस्का ऑर्सिनी जुड़ा हुआ है. प्रोफेसर ऑर्सिनी की गिनती साउथ एशियन लिटरेचर एक्सपर्ट के तौर पर होती है. वह लंबे समय से हिंदी-उर्दू लिटरेचर और मल्टीलिंगुअल कल्चर पर रिसर्च भी कर रही हैं.
इसलिए ब्लैक लिस्ट की गई थी ऑर्सिनी
सूत्रों के मुताबिक, प्रोफेसर ऑर्सिनी इस साल की शुरूआत में बतौर टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थीं. उस दौरे के दौरान उन्होंने रिसर्च एक्टिविटीज़ की थीं, जो वीजा की शर्तों का सीधा उल्लंघन है. इस मामले के खुलासे के बाद प्रोफेसर ऑर्सिनी को मार्च 2025 में ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था. बताया जा रहा है कि इस बार वह हॉन्ग कॉन्ग से दिल्ली पहुंची थीं, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया और वापसी की फ्लाइट से डिपोर्ट कर दिया.
एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशियल के अनुसार, उनका केस वीजा नियमों के हिसाब से बिल्कुल साफ़ है. उन्होंने टूरिस्ट वीजा लेकर रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर काम किया था. ये एक सीधी वीजा वॉयलेशन है. दुनिया भर में ऐसा होता है कि अगर कोई विदेशी वीजा कंडीशंस का उल्लंघन करता है, तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि अगर कोई विदेशी भारत में रिसर्च करना चाहता है, तो उसे इसके लिए ‘आर वीजा (R Visa)’ यानी रिसर्च वीजा लेना जरूरी होता है.
आर वीजा हासिल करने के लिए रिसर्चर को अपने पूरे प्रोजेक्ट का विषय, भारत में रहने के दौरान विजिट किए जाने वाले स्थानों की जानकारी, किसी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्था से एफिलिएशन सर्टिफिकेट और आर्थिक संसाधनों का प्रूफ देना होता है.
ऑर्सिनी के डिपोर्टेशन का शुरू हुआ विरोध
आपको बता दें कि फ्रांसेस्का ऑर्सिनी के डिपोर्टेशन पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई सांसदों और अकैडमिक्स ने नाराजगी जताई है. उन्होंने इसे इनसिक्योर और पैरानॉइड सोच बताया है. इसके जवाब में अधिकारियों का कहना है कि किसी भी देश को यह सोवरेन राइट है कि वह किसी विदेशी नागरिक को प्रवेश देने या न देने का फैसला करे. उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति ब्लैकलिस्ट हो चुका होता है, तो डिपोर्टेशन के वक्त कारण बताना अनिवार्य नहीं होता है.
आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी स्कॉलर को भारत में एंट्री से रोका गया हो. फरवरी 2024 में ब्रिटेन की एक अन्य प्रोफेसर निताशा कौल को बेंगलुरु एयरपोर्ट से वापस भेज दिया गया था. उनके खिलाफ एजेंसियों ने ‘प्रिवेंटिव लुकआउट सर्कुलर’ जारी किया था. निताशा कौल पर आरोप था कि उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर जम्मू-कश्मीर को लेकर प्रो-सेपरेटिस्ट और एंटी-इंडिया बयान दिए थे. बाद में उनका ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया स्टेटस भी रद्द कर दिया गया था.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 6 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
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First Published :
October 22, 2025, 10:57 IST