Explainer: दिल्ली का AQI 400 या 2000, दोनों अलग-अलग रीडिंग सही क्यों?

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Last Updated:October 22, 2025, 19:56 IST

Delhi Diwali Pollution Explain: दिवाली के बाद दिल्ली की हवा फिर जहरीली हो गई. CPCB और IQAir के आंकड़ों में बड़ा फर्क दिखा. लेकिन दोनों का मतलब एक ही है... राजधानी की हवा सांस लेने लायक नहीं बची. इस खबर में पढ़िए डिटेल में.

 दिल्ली का AQI 400 या 2000, दोनों अलग-अलग रीडिंग सही क्यों?दिवाली के बाद दिल्ली की हवा फिर जहरीली हो गई. (फोटो PTI)

Delhi Diwali Pollution Explain: दिवाली के रात ही दिल्ली एक बार फिर घने जहरीले धुंध में समा गई. आतिशबाजी के धुएं, निर्माण धूल और वाहनों के धुएं ने मिलकर राजधानी को धुंध के ऐसे जहर से भर दिया कि सुबह उठते ही लोगों की आंखें जलने लगीं, सांस लेना मुश्किल हो गया और दृश्यता बेहद कम हो गई. सोशल मीडिया पर लोग मास्क पहने अपने घरों की छतों से धुंध में गायब इमारतों की तस्वीरें साझा करते दिखे. दिल्ली एक बार फिर दुनिया का सबसे प्रदूषित बड़ा शहर बन चुकी थी.

मंगलवार तक हालात इतने बिगड़ गए कि दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘खतरनाक’ स्तर पर पहुंच गया. लेकिन इसी के साथ एक और बड़ी उलझन सामने आई. अलग-अलग संस्थानों की रिपोर्ट में दिल्ली का AQI अलग-अलग दिखाया गया. भारत के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने जहां औसत AQI करीब 351 बताया, वहीं स्विट्ज़रलैंड आधारित ग्लोबल प्लेटफॉर्म IQAir ने कुछ इलाकों में यह आंकड़ा 2000 से भी ऊपर दर्ज किया. सवाल उठने लगा कि आखिर एक ही शहर की हवा का आंकड़ा इतना अलग कैसे हो सकता है और कौन सही है?

कैसे बिगड़ी दिल्ली की हवा
दिवाली की रात और उसके बाद कई दिनों तक दिल्ली की हवा में धुएं और सूक्ष्म कणों (PM2.5) की मात्रा खतरनाक स्तर तक बढ़ गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजधानी का औसत AQI करीब 350 से 400 के बीच बना रहा. इसे राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रखा जाता है. वहीं IQAir के आंकड़ों में कुछ इलाकों जैसे सीरी फोर्ट और मंदिर मार्ग में AQI 2000 के पार पहुंच गया.

सर्दियों की शुरुआत के साथ दिल्ली में प्रदूषण हर साल नई ऊंचाई पर पहुंचता है. (फोटो PTI)

उदाहरण के तौर पर जब CPCB ने सीरी फोर्ट का AQI 272 बताया, उसी समय IQAir ने वही आंकड़ा 2449 दिखाया. जबकि दोनों के सेंसर पर दर्ज PM2.5 की मात्रा लगभग समान थी, यानी 300 से 320 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर. इससे साफ है कि फर्क डेटा में नहीं, बल्कि कैल्कुलेशन के तरीके में है.

आखिर क्या है AQI और इसे कैसे मापा जाता है?
AQI (Air Quality Index) हवा में मौजूद कई तरह के प्रदूषकों जैसे PM10, PM2.5, ओज़ोन, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अमोनिया को एक ही स्केल पर लाकर बताता है कि हवा कितनी साफ या जहरीली है.

CPCB के अनुसार, AQI की श्रेणियां इस प्रकार हैं:
0-50: अच्छा, 51-100: संतोषजनक, 101-200: मध्यम, 201-300: खराब, 301-400: बहुत खराब, और 401-500: गंभीर.

भारतीय इंडेक्स में 500 से ऊपर की रीडिंग को भी ‘गंभीर’ ही माना जाता है. यानी एक बार जब हवा इस स्तर से ज़्यादा प्रदूषित हो जाए, तो उसे मापना जरूरी नहीं माना जाता क्योंकि स्वास्थ्य पर असर पहले ही जानलेवा हो चुका होता है.

वहीं IQAir, जो अमेरिकी EPA मॉडल पर काम करता है 500 के बाद भी स्केल को बढ़ाता जाता है ताकि बताया जा सके कि प्रदूषण कितना और बढ़ गया है. इसलिए जब दिल्ली की हवा में PM2.5 की मात्रा 1000 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंचती है तो IQAir का स्कोर 2000 के पार जा सकता है. जबकि CPCB की रिपोर्ट 500 पर रुक जाती है.

क्यों दोनों आंकड़े सही?
CPCB के मॉनिटरिंग स्टेशन रेफरेंस-ग्रेड एनालाइज़र से लैस होते हैं. यानी ये सरकारी और वैज्ञानिक मानकों के हिसाब से कैलिब्रेटेड डिवाइस हैं. वहीं IQAir के नेटवर्क में सरकारी सेंसर के साथ-साथ लो-कॉस्ट कम्युनिटी सेंसर भी शामिल हैं. जिन्हें निजी कंपनियां या आम नागरिक लगाते हैं. ये रियल-टाइम डेटा तो देते हैं, लेकिन उनका कैलिब्रेशन और एल्गोरिदम सार्वजनिक नहीं होता.

भारतीय इंडेक्स में 500 से ऊपर की रीडिंग को भी ‘गंभीर’ ही माना जाता है. (फोटो PTI)

यही वजह है कि IQAir के आंकड़े वास्तविक प्रदूषण की तीव्रता को दिखाते हैं, जबकि CPCB का डेटा सरकारी मानकों के हिसाब से नीति और स्वास्थ्य चेतावनी के लिए होता है. दोनों ही इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि दिल्ली की हवा इस समय सांस लेने के लिए बेहद खतरनाक है.

आंकड़े भले अलग लेकिन खतरा एक ही
सर्दियों की शुरुआत के साथ दिल्ली में प्रदूषण हर साल नई ऊंचाई पर पहुंचता है. खेतों में पराली जलना, ठंडी हवाओं की कमी और दिवाली के पटाखे मिलकर राजधानी को एक गैस चैंबर में बदल देते हैं. चाहे CPCB की रीडिंग 400 हो या IQAir की 2000 दोनों ही एक ही हकीकत बताते हैं कि दिल्ली की हवा जहरीली है और स्वास्थ्य के लिए घातक. लिहाजा लोगों को अब यह नहीं देखना चाहिए कि AQI कितना है, बल्कि यह समझना चाहिए कि जब हवा ‘सीवियर’ या ‘हैजर्डस’ श्रेणी में चली जाए तो सांस लेना भी एक जोखिम बन जाता है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...

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First Published :

October 22, 2025, 19:54 IST

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