जम्मू-कश्मीर की आधी औरतें हैं अविवाहित, जानें क्यों टूट रही हैं पुरानी परंपराए

2 days ago

Last Updated:September 12, 2025, 15:51 IST

Jammu and Kashmir women: जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की शादी की औसत उम्र 24.7 साल हो गयी है. जबकि आर्थिक अस्थिरता, शिक्षा और बदलती प्राथमिकताओं के कारण 44 फीसदी महिलाएं अविवाहित हैं.

जम्मू-कश्मीर की आधी औरतें हैं अविवाहित, जानें क्यों टूट रही हैं पुरानी परंपराएमहिलाएं उच्च शिक्षा और नौकरी पर ध्यान देती हैं, जिससे शादी टल जाती है.

Jammu and Kashmir women: कश्मीर के पारंपरिक रूप से पितृसत्तात्मक समाज में विवाह के मामले में महिलाओं की पसंद को कभी क्रांतिकारी माना जाता था. पीढ़ियों से महिलाओं को अपने वैवाहिक फैसलों में बहुत कम बोलने का अधिकार था. परिवार के बड़े-बुज़ुर्ग ऐसे जोड़ों की व्यवस्था करते थे जो व्यक्तिगत आकांक्षाओं की बजाय सामाजिक और आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता देते थे. शिक्षा और करियर की महत्वाकांक्षाएं अक्सर कम उम्र में शादी के लंबे समय से चले आ रहे रिवाज के आगे पीछे छूट जाती थीं. हालांकि जैसे-जैसे सामाजिक मानदंड बदल रहे हैं- खासकर शहरी केंद्रों में- ज्यादा से ज्यादा महिलाएं यह तय करने के अपने अधिकार का दावा कर रही हैं कि वे कब और किससे शादी करेंगी या शादी नहीं करेंगी.

एसआरएस स्टेटिकल रिपोर्ट 2023 कहती है कि जम्मू-कश्मीर की 44 फीसदी महिलाएं अविवाहित हैं. हालांकि उपलब्ध स्रोतों में 44 फीसदी की संख्या की पुष्टि नहीं होती है. शायद यह अनुमानित या निकटवर्ती आंकड़ा है क्योंकि 2022 के रिपोर्ट में महिलाओं का विवाहित प्रतिशत 43 फीसदी था. जिससे अविवाहित 57 फीसदी बनता है, जिसमें विधवा और तलाकशुदा भी शामिल हैं. वहीं, जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की शादी की औसत आयु में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की शादी की औसत आयु राष्ट्रीय औसत 22.1 वर्ष की तुलना में बढ़कर 24.7 साल हो गयी है. 1990 के पलायन से पहले जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की शादी की औसत आयु 21 साल थी. 

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कश्मीर को उसके विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है. यहां शादी केवल दो लोगों या दो परिवारों का मिलन नहीं है, बल्कि इससे भी कहीं ज्यादा है. क्योंकि इसका गहरा प्रतीकात्मक महत्व है. जम्मू-कश्मीर जैसी सामूहिक संस्कृति में इसके महत्व के बावजूद शादी करने की प्रवृत्ति में बदलाव को लेकर चिंता बढ़ रही है. इस बदलाव के कई कारण हो सकते हैं, पैसे और नौकरी के मुद्दों से लेकर व्यक्तिगत पसंद तक. आइए जानते हैं कि क्या हैं विवाह न करने की वजहें…

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आर्थिक अस्थिरता और बेरोजगारी
पिछले कई दशकों में कश्मीर में अशांत राजनीतिक स्थिति और आर्थिक अवसरों की सीमित उपलब्धता ने युवाओं को आर्थिक रूप से असुरक्षित महसूस कराया है. चूंकि दुनिया भर की कई अन्य संस्कृतियों की तरह इस संस्कृति में भी विवाह में दहेज प्रथा, समारोह और विवाहेत्तर जिम्मेदारियों सहित काफी खर्चे शामिल होते हैं. इसलिए स्थिर और सुरक्षित रोजगार के बिना विवाह को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसके परिणामस्वरूप पुरुष और महिलाएं समान रूप से अपनी शादी को तब तक टालते रहते हैं जब तक कि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र न हो जाएं जो कि अधिकांश लोगों के लिए मुश्किल होता है.

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शैक्षिक आकांक्षाएं और करियर लक्ष्य
शादी में देरी या शादी न करने का एक और महत्वपूर्ण कारण यह है कि लोग खासकर युवा शिक्षा को बहुत ज्यादा महत्व देने लगे हैं. आजकल काफी युवा चाहे वे पुरुष हों या महिला, अपनी पढ़ाई पूरी करने या अपने करियर/पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए शादी टाल देते हैं. दरअसल शिक्षा और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने में शादी आड़े आती है. इसलिए वैवाहिक योजनाओं में देरी हो सकती है, या उससे हमेशा के लिए टाल दिया जाता है. खासकर महिलाओं के लिए पढ़ाई और करियर की आकांक्षाओं पर इस जोर को झेलना ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो सकता है. क्योंकि उनके ऊपर अपने लक्ष्यों को हासिल करने के साथ-साथ समाज की अपेक्षाओं के अनुरूप चलने की भी जिम्मेदारी होती है.

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सामाजिक अपेक्षाएं और वैवाहिक दबाव
कश्मीर में पारंपरिक विवाह रीति-रिवाजों के साथ होने के कारण दोनों परिवारों की ओर से काफी मांगें होती हैं. कश्मीर में अभी भी अरेंज मैरिज का चलन है और ऐसे मामलों में परिवार जाति, आर्थिक स्थिति और अन्य कारकों के आधार पर आदर्श जीवनसाथी की तलाश करते हैं. ऐसे मामलों में विवाह में देरी हो सकती है, खासकर जब परिवार बहुत ज्यादा नखरेबाज हों. विवाह में देरी का एक और कारण दुल्हन के परिवार द्वारा दहेज की बढ़ती मांग है. भले ही ऐसी प्रथाओं को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हों. इस वजह से काफी लड़कियों के विवाह नहीं हो पाते हैं.

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बदलता सामाजिक नजरिया और प्राथमिकताएं
शादी और रिश्तों के प्रति लोगों का नजरिया भी धीरे-धीरे बदल रहा है. युवा खासकर महिलाएं इस बात को लेकर ज्यादा जागरूक हो रही हैं कि अगर वे शादी करने का फैसला करती हैं तो वे अपने लिए क्या चाहती हैं और क्या पसंद करती हैं. सिर्फ सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए जल्दबाजी में शादी करने के बजाय वे ऐसे साथी की तलाश में ज्यादा से ज्यादा जुट रही हैं जो उनके अनुकूल हों. जिसके साथ वे एक सार्थक और फलदायी रिश्ता साझा कर सकें. ऐसे जीवनसाथी की तलाश में उन्हें अविवाहित रहना मंजूर है, लेकिन वे अपनी पसंद से समझौता नहीं करना चाहतीं. 

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 12, 2025, 15:51 IST

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