Tutankhamun Tomb: दुनिया का इतिहास इतने रहस्यों से भरा हुआ है कि जब वर्तमान के हाथ वो दस्तावेज लगते हैं तो वह हैरान हुए बिना नहीं रह पाता. आज से करीब 103 साल पहले 26 नवंबर का दिन ऐसे ही रोमांचक और अद्भुत तारीख के रूप में दर्ज है.
पहली बार खोला था मुख्य कक्ष
इसी दिन ब्रिटिश पुरातत्वविद् हावर्ड कार्टर ने मिस्र के युवा फराओ तुतनखामन की कब्र का मुख्य कक्ष पहली बार खोला और दुनिया को प्राचीन मिस्र की अनमोल विरासत से रूबरू कराया. कई वर्षों तक किंग्स की घाटी में खुदाई करने के बाद कार्टर लगभग हार मान चुके थे.
खुदाई रोकने से ठीक पहले उन्हें एक छोटा-सा सुराग मिला. ये जमीन के भीतर जाती सीढ़ियां थीं. धीरे-धीरे रास्ता साफ हुआ और कार्टर और उनके वित्तीय सहयोगी लॉर्ड कार्नावॉन उस एंट्रेंस गेट तक पहुंचे, जहां हजारों वर्ष पुराना रहस्य छिपा था. जब दरवाजे को खोलते समय एक साथी ने पूछा कि अंदर क्या दिखाई दे रहा है, तो कार्टर ने उत्साह से भरी आवाज में कहा—'यस वंडरफुल थिंग्स!' यानी 'हां, अद्भुत चीजें!'
तूतनखामन मिस्र के 18वें राजवंश के फराओ थे. तूतनखामन ने कम उम्र में सिंहासन संभाला और लगभग 19 साल की उम्र में ही मौत हो गई. उनकी कब्र सदियों तक लगभग सुरक्षित रही. इसी वजह से उनका अंतिम विश्राम स्थल आज तक की सबसे अहम और संरक्षित पुरातात्विक खोज माना जाता है.
कब्र के अंदर से क्या मिला था?
कब्र के अंदर सोने से बना मशहूर मुखौटा, आभूषण, अनुष्ठानों में इस्तेमाल चीजें, हथियार, सिंहासन, रथ और स्वयं फराओ के ममीकृत अवशेष समेत पांच हजार से ज्यादा चीजें मिलीं. इस खोज ने न केवल मिस्र की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान दी बल्कि पूरी दुनिया में मिस्री सभ्यता को लेकर जिज्ञासा और अध्ययन का दरवाजा खोल दिया.
कब्र खुलने के बाद लॉर्ड कार्नावॉन की अचानक मृत्यु ने 'ममी का श्राप' जैसी कहानियों को जन्म दिया. कई लोगों ने यह मान लिया कि जो भी फराओ की शांति भंग करेगा, उसका अंत दुखद होगा. हालांकि वैज्ञानिक इसे संयोग और अंधविश्वास बताते हैं, मगर यह रहस्य आज भी लोगों की कल्पना को रोमांचित करता है.
26 नवंबर 1922 की यह घटना मानव इतिहास की उन उपलब्धियों में गिनी जाती है, जिसने संस्कृति, इतिहास और पर्यटन की दिशा बदल दी और तुतनखामन को अमर प्रसिद्धि दिला दी.

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