Last Updated:September 02, 2025, 06:45 IST

Census 2027 News: देश की जनगणना प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत होने जा रही है. केंद्र सरकार ने जनगणना 2027 में पहली बार देश की सभी इमारतों आवासीय और गैर-आवासीय को जियो-टैग करने की योजना बनाई है. यह कदम न केवल जनगणना को तकनीकी रूप से उन्नत बनाएगा, बल्कि डेटा संग्रह और विश्लेषण में अभूतपूर्व सटीकता लाएगा. जनगणना 2027 में डिजिटल लेआउट मैपिंग (डीएलएम) का उपयोग किया जाएगा. इसके तहत गणना करने वाले कर्मचारी हाउसलिस्टिंग ऑपरेशंस (एचएलओ) के दौरान प्रत्येक इमारत को हाउसलिस्टिंग ब्लॉक (एचएलबी) के साथ जियो-टैग करेंगे. जियो-टैगिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी इमारत को भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) नक्शे पर विशिष्ट अक्षांश-देशांतर निर्देशांक (लैटिट्यूड-लॉन्गिट्यूड) दिया जाता है. इससे किसी भी घर या इमारत को ऑनलाइन आसानी से खोजा जा सकता है.
हाउसलिस्टिंग ब्लॉक एक गांव या शहर के वार्ड में स्पष्ट रूप से चिह्नित क्षेत्र होता है, जिसके लिए जनगणना कार्यों के लिए एक काल्पनिक नक्शा तैयार किया जाता है. पहले की जनगणनाओं में हाउसलिस्टिंग के दौरान हाथ से लिखे काल्पनिक स्केच बनाए जाते थे, लेकिन अब जियो-टैगिंग के जरिए स्वचालित रूप से डिजिटल लेआउट नक्शे तैयार होंगे. यह तकनीक न केवल समय की बचत करेगी, बल्कि डेटा की गुणवत्ता और उपयोगिता को भी बढ़ाएगी.
बेहतर ढंग से काम कर पाएंगे कर्मचारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक इससे कर्मचारियों के काम के बोझ का प्रबंधन बेहतर होगा और जनगणना घरों और परिवारों की संख्या का सटीक अनुमान लगाने में मदद करेगा. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में कुल 33.08 करोड़ घर थे, जिनमें 30.61 करोड़ में लोग रह रहे थे और 2.46 करोड़ खाली घर शामिल थे. इनमें से 22.07 करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों में और 11.01 करोड़ शहरी क्षेत्रों में थे. जनगणना घर की परिभाषा के अनुसार यह एक ऐसी इमारत या इसके हिस्से को कहा जाता है जिसका मुख्य प्रवेश द्वार सड़क, आंगन या सीढ़ियों से अलग होता है. यह घर आवासीय, गैर-आवासीय या दोनों उद्देश्यों के लिए हो सकता है.
जनगणना 2027 में डेटा संग्रह दो चरणों में होगा. पहला चरण, हाउसलिस्टिंग ऑपरेशन, अप्रैल से सितंबर 2026 तक चलेगा, जिसमें आवास की स्थिति, घरेलू सुविधाओं और संपत्तियों का विवरण एकत्र किया जाएगा. दूसरा चरण में जनसंख्या की गणना फरवरी 2027 से शुरू होगा, हालांकि लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में यह सितंबर 2026 में होगा.
इस जियो-टैगिंग प्रक्रिया में एक समर्पित वेब मैपिंग एप्लिकेशन का उपयोग होगा, जिसमें प्रशासनिक सीमाओं, उपग्रह चित्रों और निर्मित क्षेत्रों जैसे भू-स्थानिक डेटा शामिल होंगे. यह तकनीक पहले से ही प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण और शहरी) जैसी योजनाओं में उपयोग की जा रही है, जहां संपत्तियों को जियो-टैग किया जाता है. 33 करोड़ से अधिक घरों को जियो-टैग करने की यह महत्वाकांक्षी योजना जनगणना 2027 को भारत के डिजिटल परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएगी. यह न केवल जनसंख्या और आवास डेटा को अधिक विश्वसनीय बनाएगा, बल्कि नीति निर्माण और संसाधनों के आवंटन में भी मदद करेगा.
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First Published :
September 02, 2025, 06:45 IST