नहीं चाहिए और राफेल-सुखोई! हर 12वें दिन नया फाइटर जेट, 5 कंपनियों ने कसी कमर

5 hours ago

Last Updated:September 02, 2025, 12:17 IST

नहीं चाहिए और राफेल-सुखोई! हर 12वें दिन नया फाइटर जेट, 5 कंपनियों ने कसी कमरएचएएल ने तेजस के प्रोडक्शन को रॉकेट की रफ्तार देने की योजना बनाई है.

India Will Get 30 Fighter Jet Annually: भारतीय एयरफोर्स के पास लगातार लड़ाकू विमान घट रहे हैं. उसके बाद इफेक्टिव स्क्वायड्रन की संख्या घटकर अब 29 पर आ गई है, जबकि उसको कुल 42 स्क्वायड्रन चाहिए. एक स्क्वायड्रन में करीब 18 विमान होते हैं. ऐसे में स्थिति गंभीर है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि सरकार और सेना इस गंभीरता को नहीं समझ रही है. एयरफोर्स की मारक क्षमता बनाए रखने के लिए सरकार लड़ाकू विमानों की सप्लाई अब रॉकेट के रफ्तार से शुरू कराने की योजना पर काम रही है. रिपोर्ट के मुताबिक एयरफोर्स को इसी सितंबर महीने में कम से कम दो नए फाइटर जेट मिलने वाले हैं.

दरअसल, भारतीय एयरफोर्स और सरकार के सामने सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न यह है कि कैसे इस कमी को पूरा किया जाए. लड़ाकू विमानों के लिए तिजोरी में पैसे रखे हुए हैं लेकिन कोई ऐसा रास्ता नहीं सूझ रहा है जो सुगम और भरोसेमंद हो. भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू खरीदे थे. वह डील एयरफोर्स की तात्कालिक जरूरत को पूरा करने के लिए थी. लेकिन, इसके बावजूद जरूरत पूरी नहीं हुई है.

भारत के सामने और राफेल विमान खरीदने का एक विकल्प है. उसके पास दूसरा विकल्प अपने पुराने साझेदार रूस से पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 विमान खरीदने का है. राफेल बहुत महंगा विमान है और सुखोई-57 के परफॉर्मेंस पर सवाल उठते रहे हैं. इस कारण इन दोनों विमानों को लेकर कोई नया डील करना बहुत मुश्किल काम है.

ऐसे में भारत के पास एक ही विकल्प बचता है. अपने देसी फाइटर जेट. भारत ने अपना तेजस देसी फाइटर जेट बना लिया है. सेना के पास इसके दो स्क्वायड्रन मौजूद हैं. यह तेजस प्रोजेक्ट 1980 के दशक में शुरू हुआ था. लेकिन, तमाम बाधाओं के कारण इसकी डेवलप्मेंट काफी धीमी गति से हुआ. बावजूद इसके भारत आज अपने दम पर 4.5 पीढ़ी के तेजस मार्क1A फाइटर जेट बनाने की क्षमता हासिल कर लिया है. सरकार ने दो खेप में ऐसे कुल 180 फाइटर जेट्स का ऑर्डर भी दे दिया है. इसी ऑर्डर के पहले दो विमान इस माह मिलने वाले हैं.

सबसे बड़ी बाधा
तेजस मार्क1A विमान को पब्लिक सेक्टर की कंपनी एचएएल ने डेवलप किया है. इसको दुनिया के बेहतरीन विमानों में शामिल किया जाता है. लेकिन, सबसे बड़ी बाधा इस विमान के प्रोडक्शन की गति है. इस विमान में अमेरिका कंपनी जीई का इंजन लगा है और वह इंजन की सप्लाई में ठीक तरीके से नहीं कर रही है. उसने अभी तक केवल दो इंजन की सप्लाई की है.

इस बीच वैश्विक परिदृश्य और हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद एचएएल पर हर हाल में प्रोडक्शन बढ़ाने का दबाव है. इसके लिए एचएएल ने अब अपने पंख खोल दिए हैं. उसने प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए देश की नामी निजी कंपनियों को साथी बनाया है. इस कवायद में हालांकि एचएएल का मुनाफा घट जाएगा लेकिन प्रोडक्शन को गति मिलेगी.

5 कंपनियों ने कमर कसी
एचएएल इंजन की आपूर्ति सुचारु होते ही प्रोडक्शन को रॉकेट की रफ्तार देने को तैयार है. इसके लिए पांच कंपनियों को जोड़ा गया है. ये कंपनियां फाइटर जेट्स के अलग-अलग हिस्से का निर्माण करेंगी और एचएएल का काम केवल विमान को असेंबल करने भर का रह जाएगा. इसके लिए देश की नामी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) विंग्स बना रही है. वीईएम टेक्नोलॉजीज सेंटर फ्यूजलेग, डायनेमेटिक टेक्नोलॉजीज फ्रंट फ्यूजलेग, अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज रियर फ्यूजलेग और टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड वर्टिकल टेल का निर्माण करेगी. ये कंपनियां अब तेजस एमके1A के ये पूरे हिस्से करीब-करीब रेडी मोड में उपलब्ध करवाएगी.

वेबसाइट डिफेंस डॉट इन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एचएएल ने यह रणनीति ग्लोबल एविएशन कंपनियों जैसे बोइंग और एयरबस से ली है. ऐसे में अब एचएएल केवल विमानों को असेंबल करने पर ध्यान केंद्रित करेगी. एचएएल के पास अब विमान में इंजन, एवियोनिक्स और वीपन सिस्टम को लगाने का काम बचेगा.

एचएएल की मौजूदा प्रोडक्शन क्षमता सालाना 16 विमान की है. वह इस रणनीति के जरिए प्रोडक्शन क्षमता 2027 तक सालाना 30 कर लेगी. हालांकि ऐसे करने पर एचएएल का मुनाफा प्रति विमान 12 फीसदी से घटकर 6 फीसदी पार आ जाएगा. अगर ऐसा होता है एचएएल पहले खेप के ऑर्डर की 83 विमानों की आपूर्ति जल्दी कर देगी. फिर वह बाद के 97 विमानों और फिर एम्का प्रेजेक्ट पर फोकस कर सकेगी.

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First Published :

September 02, 2025, 12:17 IST

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