Last Updated:September 02, 2025, 16:37 IST
हिमालय क्षेत्र में एक चूहे जैसा जंतु मिलता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो मिट्टी से सोना खोदकर निकाल लेता है. ग्रीक के एक विद्वान ने तो उसे गलती से सोना पकड़ने वाली बड़ी चींटी कह दिया.

क्या आपको मालूम है कि हिमालय क्षेत्र में एक ऐसा चूहा मिलता है, जिसको ‘सोना खोदने वाला’ कहते हैं. ये जिस मिट्टी को खोदता है, उसमें सोना निकलता है. हालांकि इसका आकार प्रकार गिलहरी और खरगोश के बीच का होता है, लेकिन देखने से ये बड़ा चूहा ही लगता है.
इसे हिमालयन मरमोट कहते हैं. सोना खोजने वाला चूहा. इसकी लंबाई 50 से 70 सेमी होती है तो वजन 4 से 9 किलो. ये 3,500–5,000 मीटर की ऊंचाई वाले ठंडे और घासदार मैदानों में रहता है. भारत में ये मुख्य रूप से लद्दाख, लाहौल-स्पीति, अरुणाचल और सिक्किम में मिलता है. इसे सोना वाला चूहा कैसे कहने लगे और ये करता क्या है, ये आगे बताएंगे.
ये चूहा जब मिट्टी खोदता है तो उसमें होता है सोना
इस खास चूहे के बारे में प्राचीन ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस और बाद में फ्रांसीसी खोजकर्ताओं ने बताया. दरअसल ये मरमोट विशेषकर तिब्बत और लद्दाख क्षेत्र अपने बिल खोदते समय खूब मिट्टी बाहर निकालता है. बिलों से निकली इस मिट्टी में सोने के कण अक्सर मिले हुए मिलते हैं. इस वजह से मरमोट को “सोना खोजने वाला चूहा” कहा जाने लगा. लोग इस बात की ताक में रहते हैं कि ये देखें कि ये कहां मिट्टी खोद रहा है. उस मिट्टी को लेने की होड़ रहती है.
बिल बनाते समय मिट्टी निकालते हैं
कुछ वैज्ञानिक अध्ययनों ने पाया गया कि तिब्बती पठार और हिमालय के ऊंचे इलाकों की मिट्टी में वास्तव में सोने की धूल पाई जाती है. मरमोट जब बिल बनाते हैं तो वो ये मिट्टी बाहर फेंकते हैं. स्थानीय खानाबदोश लोग उस मिट्टी को छानते थे.
लद्दाख में इन्हें शुभ मानते हैं
लद्दाख और तिब्बत में इन्हें शुभ जानवर माना जाता है. वहां ये भी माना जाता था कि मरमोट के बिलों की रक्षा ईगल यानि गरुड़ करते हैं, ताकि इंसान ज्यादा सोना न ले जाए. कई बौद्ध कथाओं में मरमोट को मेहनती और सौभाग्य लाने वाला प्राणी बताया गया है.
ये बर्फीली सर्दियों में बिल में 8 महीने तक सोते हैं
वैसे हिमालय इलाके में जैसे ही बर्फीली सर्दियां आती हैं तो ये जमीन के नीचे बिलों में चले जाते हैं और फिर हाइबरनेशन में 6 से 8 महीने बर्फ के नीचे सोते रहते हैं. वो दुनिया में सबसे लंबी नींद लेने वाले जंतुओं में हैं.
वो आमतौर पर अक्टूबर में सोने चले जाते हैं और फिर अप्रैल-मई तक सोते रहते हैं. इस दौरान उनके शरीर का तापमान 5 डिग्री से भी नीचे चला जाता है. हृदय की गति सामान्य 100-120 बीट प्रति मिनट से घटकर मात्र 3-5 बीट प्रति मिनट रह जाती है. सांस लेने की दर भी 1-2 सांस प्रति मिनट तक पहुंच जाती है वो इस तरह पूरी तरह से बस केवल सोते हैं. ना खाते हैं और न ही मल-मूत्र त्यागते हैं. वे अपने शरीर में जमा वसा पर जीवित रहते हैं.
सामाजिक प्राणी हैं
मरमोट दुनिया के सामाजिक प्राणी हैं, परिवार या कॉलोनी में रहते हैं. आवाज़ें निकालकर एक-दूसरे को खतरे का संकेत देते हैं. घास, जड़ी-बूटियां, जड़ें खाते हैं. लद्दाख की सेना चौकियों के पास अक्सर यह देखने को मिलते हैं. जवान इन्हें बिस्कुट या खाना खिलाते भी हैं. हालांकि इनसे प्लेग की बीमारी फैलने का भी खतरा रहता है.
सोना खोदने वाली चींटियां
ग्रीक के हेरोडोटस की “सोना खोदने वाली चींटियां” कहा था. वह अपनी किताब हिस्ट्रीज, बुक 3 (सेक्शन 102–105) में लिखते हैं, “यहां, इस रेगिस्तानी क्षेत्र में, गहरे भूमिगत बिल खोदने वाली विशाल ‘चींटियां’ होती हैं – आकार में लोमड़ी से बड़ी लेकिन कुत्ते से छोटी… जो मिट्टी ये खोदती हैं, वो मिट्टी सोने की धूल से भरी होती है. वैसे खुद हेरोडोटस ने खुद ऐसा जीव नहीं देखा था; वह केवल स्रोतों से सुनी कहानी को लिख रहा था.
इसका फर मोटा और घना होता है, जो इसे ठंड से बचाता है. इसका रंग भूरा या मटमैला पीला होता है, जो पहाड़ी इलाकों में छुपने में मदद करता है. इसकी पूंछ लंबी और फूली हुई होती है. पंजे मजबूत और लंबे होते हैं, जो जमीन खोदने के काम आते हैं. इनके बिल देखने के बाद लोग उन्हें कमाल का इंजीनियर भी कह देते है. इनके बिल बहुत गहरे और जटिल होते हैं, जिनमें कई कमरे और बाहर निकलने के रास्ते होते हैं.
यह शाकाहारी जानवर है. इसका मुख्य आहार घास, जड़ें, फूल, बीज और पौधों की पत्तियां हैं. मरमोट जब अपने बिल छोड़ देते हैं तो इसका इस्तेमाल लोमड़ियां पक्षी और कीड़े करते हैं. हालांकि अब उनकी आबादी कम हो रही है.
किसी अपार्टमेंट की तरह होते हैं उनके बिल
हिमालयन मरमोट अपने बिल जमीन से करीब 3 से 5 फीट (1 से 1.5 मीटर) नीचे बनाते हैं. ताकि ये सर्दियों में बहुत ठंडे नहीं रहें. ये बिल सिर्फ गहरे नहीं होते, बल्कि काफी लंबे भी होते हैं. एक बिल में सुरंगों की कुल लंबाई 20 से 30 फीट (6 से 9 मीटर) तक या उससे भी अधिक हो सकती है. एक मरमोट का बिल एक छोटे अपार्टमेंट की तरह होता है, जिसमें अलग-अलग “कमरे” होते हैं.
एक मुख्य कक्ष होता है. यह सबसे अंदर और सबसे सुरक्षित जगह होती है, जहां परिवार सोता है और शीतनिद्रा में जाता है. इसे बनाने में विशेष ध्यान दिया जाता है. इसे नरम घास और पत्तियों से गद्देदार बनाया जाता है.
सुरक्षा के लिए एक बिल में कम से कम दो या अक्सर उससे ज्यादा मुंह होते हैं.
इससे शिकारी के एक द्वार पर आने पर वे दूसरे से भाग सकते हैं.इसमें एक गार्ड रूम भी होता है, यहां से बैठकर वो बाहरी खतरे को भांप सकते हैं. बिल हमेशा ढलान वाली जगह पर बनाते हैं. ताकि उसमें बारिश का पानी बिल के अंदर नहीं घुसे और चारों तरफ नजर रखने में आसानी भी हो. उनके बिल बनाने की इस कला की वजह से उन्हें कमाल का इंजीनियर भी कहते हैं.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 02, 2025, 16:37 IST