आज कोई ऐसा सोचता भी नहीं लेकिन एक दौर था जब लेटर की तरह डाकिया बच्चों की भी डिलिवरी करता था. हां, 100 साल पहले तक ऐसा होता था. अमेरिका में डाक विभाग ने नई-नई पार्सल सेवा शुरू की थी तो बच्चों की स्पेशल डिलिवरी का भी रूल बनाया गया था. जनवरी 1913 में एक कपल ने 15 सेंट का स्टैंप खरीदा और 50 डॉलर का इंश्योरेंस किया. बस, ये प्रक्रिया पूरी होते ही अपने बेटे को डाकिये को सौंप दिया. कुछ दूरी पर बच्चे के दादा-दादी का घर था. डाकिये ने लेटर की तरह बच्चे को भी बताए गए पते पर पहुंचा दिया.
तब रूल ज्यादा कड़े नहीं थे. क्या भेज सकते हैं और क्या नहीं, इसको लेकर स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं थी. ऐसे में लोगों ने अंडे, ईंटे, सांप और दूसरी अजीबोगरीब पैकेज भी भेजना शुरू कर दिया था. आपके मन में सवाल होगा कि क्या कानूनी रूप से लोगों को बच्चे को पोस्ट करने की परमिशन दी गई थी. टेक्निकली देखें तो इसके खिलाफ डाक विभाग ने कोई नियम नहीं बनाया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्सल पोस्ट सर्विस के शुरुआती कुछ साल भारी उथल-पुथल वाले रहे. पोस्टमास्टर नियमों को कैसे समझते, वैसे रूल मानकर पालन करने लग जाते. 1913 से लेकर 1915 के बीच बच्चों को डाकिये से भेजने के करीब 7 मामलों के बारे में दुनिया को जानकारी है. पहला केस ओहियो का पता चलता है. हां, यह जरूर था कि लोग अजनबी व्यक्ति को बच्चा नहीं सौंपते थे, जिस डाकिये को वे अच्छी तरह से जानते थे उसे ही यह काम सौंपते थे.
वैसे, ज्यादा दूर होने पर बच्चों को डाकिये से भेजने के मामले नहीं मिलते क्योंकि उस केस में रेलवे से भेजना सस्ता पड़ता था. अगस्त 1915 में तीन साल के बच्चे को आखिरी बार अमेरिकी डाक विभाग के तहत पार्सल के तौर पर भेजा गया था. बच्चे को उसके दादा-दादी ने घर पर भेजा था क्योंकि उसकी मां बीमार थी. जून 1920 में एक पोस्टमास्टर ने दो एप्लीकेशन को यह कहते हुए कैंसल कर दिया था कि यह खतरनाक है. (फोटो-सोशल मीडिया से)