Last Updated:May 14, 2025, 17:09 IST
India Pakistan Tension: भारत-पाक युद्ध के दौरान QUAD देशों ने भारत का साथ नहीं दिया, जिससे उसका मकसद ही विफल होता दिखा. चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया, जबकि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने तटस्थ रुख अपनाया. ...और पढ़ें

भारत के बिना क्वाड का कोई मतलब नहीं है. (File Photo)
नई दिल्ली. पाकिस्तान के खिलाफ सरहद पर युद्ध जैसे हालात पैदा हुए तो भारत को उम्मीद थी कि क्वाड देश पूरी तरह से भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ना तो अमेरिका पूरी तरह भारत के साथ खड़ा हुआ और ना ही ऑस्ट्रेलिया और जापान ने इसपर पीएम नरेंद्र मोदी का साथ दिया. ये तीनों ही देश पाकिस्तान के खिलाफ कुछ भी डायरेक्ट बोलने की जगह न्यूट्रल रुख अपनाते हुए नजर आए. इन देशों ने ना सीधे तौर पर भारत का साथ दिया और ना ही पाकिस्तान का. ऐसे में जिस मकसद से क्वाड का गठन किया गया था अब वो भी फैल होता नजर आ रहा है.
क्वाड का गठन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ती आक्रमकता को रोकने के लिए किया गया था. भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान चीन भले ही शुरुआत में पाकिस्तान के पक्ष में कुछ भी कहने से बचता दिखा हो लेकिन बाद में संप्रभुता के मुद्दे पर वो अपने खास दोस्त पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखा. इस संघर्ष में आसिम मुनीर की आर्मी ने सीधे तौर पर पाकिस्तान में बने फाइटर जैट से लेकर ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया. इतन सबकुछ हो जाने के बावजूद भी क्वाड का कोई सदस्य देश चीन की इस हिमाकत पर भारत के साथ खड़ा नजर नहीं आया.
भारत की भौगोलिक स्थिति अन्य QUAD देशों से अलग
भारत क्वाड के चार सदस्यों में एकमात्र ऐसा देश है जिसकी भौगोलिक स्थिति रणनीतिक आत्मनिर्भरता और चीन से सीमा विवाद इसे एक विशेष दर्जा देती है. यही वजह है कि भारत ने कई मौकों पर क्वाड के मंच पर अपनी इंडिपेंडेंट विदेश नीति और ग्लोबल साउथ की चिंताओं को सामने रखा है. रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ नहीं गया. भले ही ऑस्ट्रेलिया से लेकर जापान और अमेरिका ने इसका खुले तौर पर विरोध किया हो. ऐसे में अगर क्वाड के बाकी सदस्य देश पाकिस्तान की हिमाकत और चीन के बढ़ते दबदबे के खिलाफ भारत की बातों को नजरअंदाज करेंगे तो यह न केवल भारत की हिस्सेदारी को कमजोर करेगा बल्कि इसके वजूद पर ही सवाल खड़े करने लगेगा.
QUAD के वजूद पर संकट
क्वाड की शक्ति केवल चार लोकतंत्रिक देशों के एक साथ खड़े होने में नहीं बल्कि उनके विचारों की समानता और पारस्परिक सम्मान देने में है. भारत अगर महसूस करता है कि उसकी बात नहीं सुनी जा रही तो वह अपनी रणनीति को रीडिफाइन यानी नए सिरे से परिभाषित कर सकता है. लिहाजा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए यह जरूरी है कि वो भारत को साझेदार नहीं बल्कि समान भागीदार के तौर पर देखें. अन्यथा क्वाड का वजूद वाकई संकट में पड़ सकता है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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