Last Updated:October 27, 2025, 14:14 IST
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण अब युवाओं को लंबी बीमारी की ओर धकेल रहा है. जोड़, कमर और घुटनों के दर्द के साथ शुरू होने वाली गठिया की बीमारी की एक वजह प्रदूषण भी देखने को मिल रही है. कई रिसर्च बताती हैं कि जो व्यक्ति जितने लंबे समय तक प्रदूषण में रहता है, उसमें कई तरह की अर्थराइटिस होने का खतरा उतना ही ज्यादा होता है.
Air pollution and Joint pain: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की वजह से सिर्फ बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि युवाओं के घुटने, कमर, गर्दन और जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ रही है जो लॉन्ग टर्म में गठिया की बीमारी के रूप में सामने आ रही है. इंडियन रूमेटोलॉजी एसोसिएशन से जुड़े डॉक्टरों की मानें तो प्रदूषण से बढ़ रही गठिया की बीमारी नई हेल्थ इमरजेंसी है, जिसे तत्काल रोकना जरूरी है. प्रदूषण सिर्फ कुछ समय के लिए ही सांसों पर कहर नहीं ढा रहा है बल्कि यह लंबे समय की बीमारी देकर जा रहा है, जिससे युवाओं को जूझना पड़ सकता है.
दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों के सिर्फ फेफड़ों पर ही नहीं बल्कि अब जोड़ों पर भी प्रदूषण हमला कर रहा है और इसी के चलते रूमेटाइड अर्थराइटिस के मामले सामने आ रहे हैं. एक्सपर्ट कहते हैं कि लंबे समय तक प्रदूषण में रहने वाले लोगों में अपंगता भी देखने को मिल सकती है. हाल ही में आईं कई नई रिसर्च में पॉल्यूशन के इस असर के खुलासे के बाद एनसीआर के डॉक्टरों ने इसे बहुत खतरनाक और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल माना है.
इंडियन रूमेटोलॉजी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रोहिणी हांडा कहते हैं कि यूरोपियन मेडिकल जर्नल (2025) में प्रकाशित एक ऐतिहासिक अध्ययन ने वायु प्रदूषण को आरए सहित ऑटोइम्यून रोगों से जोड़ने वाले मजबूत प्रमाण दिए हैं. ये अध्ययन बताता है कि सामान्य प्रदूषकों और इम्यून सिस्टम के गड़बड़ाने के बीच महत्वपूर्ण संबंध है.
ये वायु प्रदूषक जोड़ों में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और ऑटो-एंटीबॉडी उत्पादन का कारण बन सकते हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि पीएम 2.5 का, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओज़ोन के संपर्क में आने से गठिया का खतरा तो बढ़ता ही है खासकर अति संवेदनशील व्यक्तियों में इसके लक्षण बिगड़ जाते हैं.ऐसा व्यस्त सड़कों के पास रहने ,लगातार यातायात से जुड़ा प्रदूषण गठिया के बढ़ते रिस्क से भी जुड़ा है.
डॉ. हांडा कहते हैं कि प्रदूषण सिर्फ ज्वॉइंट ही नहीं बल्कि हार्ट की बीमारी में भी नुकसानदेह है. प्रदूषण कई तरह का है लेकिन सबसे ज्यादा काम एयर पॉल्यूशन या वातावरण के प्रदूषण पर ही हो रहा है, ऐसे में इसके नुकसानों को लेकर अध्ययन भी सामने हैं. जबकि अन्य प्रदूषण भी इतने ही खराब असर डालने वाले हो सकते हैं.
उन्होंने कहा कि हालिया रिसर्च बताती हैं कि जहरीली हवा और पीएम 2.5 प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर में रूमेटॉइड आर्थराइटिस के मामलों के बढ़ने के पीछे का प्रमुख कारण बन गए हैं. युवाओं में तेजी से बढ़ते जोड़ों के दर्द इसके एक लक्षण के रूप में सामने आ रहे हैं.
वहीं एम्स की प्रोफेसर उमा कुमार कहती हैं कि प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाले उन रोगियों में रूमेटॉइड आर्थराइटिस के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं जिनका ऑटोइम्यून रोगों का कोई पारिवारिक इतिहास या आनुवंशिक प्रवृत्ति भी नहीं है. प्रदूषक सूजन पैदा करते हैं, जोड़ों के नुकसान को बढ़ाते हैं और जिन लोगों को जोड़ों में दर्द या अर्थराइटिस की समस्या है तो ऐसे रोग को बढ़ने में मदद करते हैं. ये पॉल्यूटेंट्स सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ावा देते हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया अतिसक्रिय हो जाती है.
priya gautamSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
October 27, 2025, 14:10 IST

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