तिब्बती बौद्ध धर्म के उत्तराधिकारियों को लेकर चीन और अमेरिका में फिर तकरार तेज हो गई है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने खुद 11वें पंचेन लामा गेधुन चोएकी निज्मा की तुरंत रिहाई की मांग चीन से की है. चीनी एजेंसियों ने 30 साल पहले पंचेन लामा और उनके परिवार को हिरासत में ले लिया था, तब से उनका कोई अता पता नहीं है.
रुबियो ने कहा, पंचेन लामा जब महज छह साल के थे, तब 30 साल पहले उनका चीनी अधिकारियों ने अपहरण कर लिया था. उन्हें तुरंत आजाद किया जाना चाहिए. दलाई लामा ने गेधुन चोएकी निज्मा को 11वें पंचेन लामा के तौर पर 14 मई 1995 को मान्यता दी थी. लेकिन चीन परेशान हो उठा. उसके तीन दिन बाद ही चीनी एजेंसियों ने उनके परिवार को अपनी हिरासत में ले लिया था. चीन सरकार ने खुद अपने पंचेन लामा का ऐलान कर दिया. उसकी कोशिश है कि वो तिब्बती बौद्ध धर्म के शीर्ष धर्मगुरुओं पर नियंत्रण रख सके. भारत में निर्वासित जीवन जी रहे दलाई लामा भी उसकी आंखों में खटकते हैं.
सेंट्रल तिब्बती एडमनिस्ट्रेशन ने भी 11वें पंचेन लामा निज्मा की हालत की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है. उसने कहा कि 14वें दलाई लामा से मान्यता मिलने के तीन दिन के भीतर 11वें पंचेन लामा निज्मा को परिवार समेत बंधक बना लिया गया, लेकिन 30 साल बाद वो कहां और किस हालत में हैं, ये भी बताने को कोई तैयार नहीं है.
निज्मा का जन्म 25 अप्रैल 1989 को तिब्बत में हुआ था और दलाई लामा ने उन्हें 11 पंचेन लामा की उपाधि दी थी. दलाई लामा के बाद पंचेन लामा को तिब्बती बौद्ध धर्म में दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक नेता माना जाता है.हालांकि चीन की कोशिश है कि वो अगले दलाई लामा या पंचेन लामा या अन्य तिब्बती धर्म गुरुओं का फैसला खुद कर अपना नियंत्रण मजबूत करे.
तिब्बत पहले एक स्वतंत्र राष्ट्र की तरह था, लेकिन 1959 में चीन ने सैन्य शक्ति के दम पर उस पर कब्जा जमा लिया. तिब्बत नागरिक लगातार स्वायत्तता, सांस्कृतिक-धार्मिक और राजनीतिक अधिकारों की मांग उठाते रहे हैं. लेकिन चीन सरकार कहती रही है कि तिब्बत उसके अभिन्न हिस्सा है.चीन सरकार लगातार मानवाधिकार हनन कर तिब्बतियों की आवाज को दबाती रही है.